मिर्गी का रोग (Epilepsy Disease)
मिर्गी का रोग एक ऐसा रोग हैं. जिससे पीड़ित होने पर व्यक्ति को दौरे पड़ते रहते हैं. जिसके कारण कई बार व्यक्ति बेहोश भी हो जाता हैं. मिर्गी एक मस्तिष्क से जुडी हुई बिमारी हैं. जैसे यदि किसी व्यक्ति का मस्तिष्क ठीक ढंग से कार्य न कर पा रहा हो तो व्यक्ति को मिर्गी का रोग हो सकता हैं. मिर्गी का रोग व्यक्ति के द्वारा अत्यधिक नशीले पदार्थों का सेवन करने के कारण, मस्तिष्क में गहरी चोट लगने के कारण या मानसिक सदमा लगने के कारण भी हो सकता हैं.
मिर्गी एक स्थायी और गंभीर बीमारी है जिसमें व्यक्ति अनुत्तेजित (unprovoked) हो जाता है और उसे तेजी से बार-बार दौरे पड़ते हैं। ये दौरे व्यक्ति के मस्तिष्क के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के टूट जाने के कारण पड़ते हैं। मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है और इस बीमारी से पूरी दुनिया में लाखों लोग प्रभावित हैं। कोई भी व्यक्ति मिर्गी की चपेट में आ सकता है लेकिन आमतौर पर यह बीमारी बच्चों और वयस्कों में अधिक होती है।
मिर्गी के दौरे दो प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार को सामान्यीकृत दौरा (Generalized seizures ) कहते हैं। इसमें पूरा मस्तिष्क प्रभावित होता है। दूसरे प्रकार के दौरे को फोकल या आंशिक दौरा (Focal, or partial seizures) कहते हैं, जिसमें कि मस्तिष्क का सिर्फ एक ही हिस्सा प्रभावित होता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर व्यक्ति अचेत हो जाता है और कुछ सेकेंड तक वह किसी को भी पहचानने की स्थिति में नहीं होता है।
लक्षण (Symptoms)
1. मिर्गी के रोग से ग्रस्त होने पर व्यक्ति के शरीर में झटके आना तथा शरीर का अकड़ जाता हैं.
2. उसकी आँखे ऊपर की ओर उलट जाती हैं.
3. व्यक्ति का अपने शरीर पर नियंत्रण नहीं रहता. इसलिए वह अनियंत्रित शारीरिक गतिविधियाँ करता हैं.
4. मिर्गी के दौरे आने पर व्यक्ति अपने होंठों को तथा जीभ को काटने लगता हैं.
5. कई बार व्यक्ति मिर्गी के दौरे आने पर एक जगह अपनी निगाहों को केन्द्रित कर लगातार देखता रहता हैं.
6. बिना बुखार के शरीर में ऐंठन या कंपकंपी
7. यादाश्त कमजोर होना या भ्रमित स्मृति का होना
8. बेहोशी और शरीर लुढ़क या झुक जाना और इसके कारण ब्लैडर पर नियंत्रण न रहना औऱ अत्यधिक थकावट
9. कुछ देर तक व्यक्ति का अचेत अवस्था में रहना और किसी बात का जवाब न देना।
10. बिना किसी स्पष्ट कारण के व्यक्ति का अचानक जमीन पर गिर जाना।
11. बिना किसी कारण के अचेत अवस्था में होठों को चबाना
12. गंध (smell), स्पर्श और आवाज जैसे इंद्रियों (senses) में असाधारण परिवर्तन
13. बांहों, पैरों और शरीर में तेजी से झटके आना
मिर्गी के रोग का घरेलू उपचार (Treatment of Epilepsy Disease)
निम्बू और हिंग
1. मिर्गी की बिमारी से राहत पाने के लिए एक निम्बू लें और थोडा सा हिंग का पाउडर लें.
2. अब निम्बू को दो भागों में काट लें और उसपर थोडा - सा हिंग पाउडर छिड़क दें.
3. अब इस निम्बू के रस को आराम – आराम से चूसें.
4. इसके अलावा निम्बू के साथगोरखमुंडी का भी प्रयोग कर सकते हैं.
निम्बू में हिंग पाउडर या गोरखमुंडी मिलाकर रोजाना चूसने से कुछ ही दिनों में मिर्गी के दौरे आने बंद हो जायेंगे.
बिजौरा निम्बू का रस तथा निर्गुण्डी का रस
1. मिर्गी की बिमारी को ठीक करने के लिए एक बिजौरा निम्बू लें और निर्गुण्डी के पौधे की पत्तियां लें.
2. अब बिजौरा नीबू को काट लें और उसका रस एक कटोरी में निकाल लें.
3. अब निर्गुण्डी के पौधे की पत्तियां लें और उन्हें धोने के बाद पीसकर इसका रस निकाल लें.
4. अब बिजौरे निम्बू के रस में निर्गुण्डी के पत्तियों का रस डालकर अच्छी तरह से मिला लें.
5. अब बिजौरे निम्बू और निर्गुण्डी के रस की बूंदों को अपनी नाक में डाल लें.
लगातार 4 दिनों तक बिजौरे निम्बू और निर्गुण्डी के रस को नाक में डालने से आपको मिर्गी के रोग में काफी राहत मिलेगी.
प्याज का रस
1. मिर्गी के दौरों से हमेशा – हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए प्याज लें और उन्हें पिसकर लगभग 75 मिली. रस निकाल लें.
2. अब एक गिलास में थोडा पानी लें और इसमें प्याज के रस को मिला लें.
3. इसके बाद सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें.
रोजाना सुबह उठने के बाद प्याज के रस में पानी मिलकर सेवन करने से आपको मिर्गी के दौरे पड़ने बंद हो जायेगें. इसके अलावा यदि मिर्गी के रोग से ग्रस्त व्यक्ति मिर्गी के दौरे पड़ने के बाद बेहोश हो जाता हैं तो भी आप प्याज के रस का प्रयोग कर सकते हैं. मिर्गी के रोग से पीड़ित व्यक्ति की बेहोशी दूर करने के लिए थोडा सा प्याज का रस लें और उसे रोगी व्यक्ति को सुंघा दें. प्याज के रस को थोड़ी देर सूंघाने के बाद व्यक्ति की बेहोशी बिल्कुल ख़त्म हो जायेगी.
मिर्गी के कारण – causes of epilepsy
मिर्गी के 10 में से 6 रोगियों में इस रोग के वास्तविक कारणों का पता नहीं चल पाता है। मिर्गी के दौरे के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
मिर्गी के संभावित कारण निम्न हैं-
1. मस्तिष्क में चोट लगना
2. मस्तिष्क में चोट लगने के बाद मस्तिष्क पर निशान पड़ना
3. गंभीर बीमारी या बहुत तेज बुखार
4. 35 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों में स्ट्रोक, मिर्गी का कारण हो सकता है।
5. अन्य संवहनी रोग (vascular diseases)
6. ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट
7. डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग
8. मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी
9. प्रसव पूर्व चोट लगना, मस्तिष्क विकृति या जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी होना।
10. एड्स या मेनिनजाइटिस (meningitis) जैसी संक्रामक बीमारियां
11. अनुवांशिक या तंत्रिका संबंधी रोग
यह बीमारी दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों में या 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में दिखायी देने की संभावना होती है। मिर्गी किसी भी उम्र में विकसित हो सकती है लेकिन इसका निदान आमतौर पर बचपन में या 60 वर्ष के बाद होता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज किस स्थिति का अनुभव करेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति के मस्तिष्क का कौन सा भाग प्रभावित हुआ है।
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मिर्गी का रोग एक ऐसा रोग हैं. जिससे पीड़ित होने पर व्यक्ति को दौरे पड़ते रहते हैं. जिसके कारण कई बार व्यक्ति बेहोश भी हो जाता हैं. मिर्गी एक मस्तिष्क से जुडी हुई बिमारी हैं. जैसे यदि किसी व्यक्ति का मस्तिष्क ठीक ढंग से कार्य न कर पा रहा हो तो व्यक्ति को मिर्गी का रोग हो सकता हैं. मिर्गी का रोग व्यक्ति के द्वारा अत्यधिक नशीले पदार्थों का सेवन करने के कारण, मस्तिष्क में गहरी चोट लगने के कारण या मानसिक सदमा लगने के कारण भी हो सकता हैं.
मिर्गी एक स्थायी और गंभीर बीमारी है जिसमें व्यक्ति अनुत्तेजित (unprovoked) हो जाता है और उसे तेजी से बार-बार दौरे पड़ते हैं। ये दौरे व्यक्ति के मस्तिष्क के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के टूट जाने के कारण पड़ते हैं। मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है और इस बीमारी से पूरी दुनिया में लाखों लोग प्रभावित हैं। कोई भी व्यक्ति मिर्गी की चपेट में आ सकता है लेकिन आमतौर पर यह बीमारी बच्चों और वयस्कों में अधिक होती है।
मिर्गी के दौरे दो प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार को सामान्यीकृत दौरा (Generalized seizures ) कहते हैं। इसमें पूरा मस्तिष्क प्रभावित होता है। दूसरे प्रकार के दौरे को फोकल या आंशिक दौरा (Focal, or partial seizures) कहते हैं, जिसमें कि मस्तिष्क का सिर्फ एक ही हिस्सा प्रभावित होता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर व्यक्ति अचेत हो जाता है और कुछ सेकेंड तक वह किसी को भी पहचानने की स्थिति में नहीं होता है।
लक्षण (Symptoms)
1. मिर्गी के रोग से ग्रस्त होने पर व्यक्ति के शरीर में झटके आना तथा शरीर का अकड़ जाता हैं.
2. उसकी आँखे ऊपर की ओर उलट जाती हैं.
3. व्यक्ति का अपने शरीर पर नियंत्रण नहीं रहता. इसलिए वह अनियंत्रित शारीरिक गतिविधियाँ करता हैं.
4. मिर्गी के दौरे आने पर व्यक्ति अपने होंठों को तथा जीभ को काटने लगता हैं.
5. कई बार व्यक्ति मिर्गी के दौरे आने पर एक जगह अपनी निगाहों को केन्द्रित कर लगातार देखता रहता हैं.
6. बिना बुखार के शरीर में ऐंठन या कंपकंपी
7. यादाश्त कमजोर होना या भ्रमित स्मृति का होना
8. बेहोशी और शरीर लुढ़क या झुक जाना और इसके कारण ब्लैडर पर नियंत्रण न रहना औऱ अत्यधिक थकावट
9. कुछ देर तक व्यक्ति का अचेत अवस्था में रहना और किसी बात का जवाब न देना।
10. बिना किसी स्पष्ट कारण के व्यक्ति का अचानक जमीन पर गिर जाना।
11. बिना किसी कारण के अचेत अवस्था में होठों को चबाना
12. गंध (smell), स्पर्श और आवाज जैसे इंद्रियों (senses) में असाधारण परिवर्तन
13. बांहों, पैरों और शरीर में तेजी से झटके आना
मिर्गी के रोग का घरेलू उपचार (Treatment of Epilepsy Disease)
निम्बू और हिंग
1. मिर्गी की बिमारी से राहत पाने के लिए एक निम्बू लें और थोडा सा हिंग का पाउडर लें.
2. अब निम्बू को दो भागों में काट लें और उसपर थोडा - सा हिंग पाउडर छिड़क दें.
3. अब इस निम्बू के रस को आराम – आराम से चूसें.
4. इसके अलावा निम्बू के साथगोरखमुंडी का भी प्रयोग कर सकते हैं.
निम्बू में हिंग पाउडर या गोरखमुंडी मिलाकर रोजाना चूसने से कुछ ही दिनों में मिर्गी के दौरे आने बंद हो जायेंगे.
बिजौरा निम्बू का रस तथा निर्गुण्डी का रस
1. मिर्गी की बिमारी को ठीक करने के लिए एक बिजौरा निम्बू लें और निर्गुण्डी के पौधे की पत्तियां लें.
2. अब बिजौरा नीबू को काट लें और उसका रस एक कटोरी में निकाल लें.
3. अब निर्गुण्डी के पौधे की पत्तियां लें और उन्हें धोने के बाद पीसकर इसका रस निकाल लें.
4. अब बिजौरे निम्बू के रस में निर्गुण्डी के पत्तियों का रस डालकर अच्छी तरह से मिला लें.
5. अब बिजौरे निम्बू और निर्गुण्डी के रस की बूंदों को अपनी नाक में डाल लें.
लगातार 4 दिनों तक बिजौरे निम्बू और निर्गुण्डी के रस को नाक में डालने से आपको मिर्गी के रोग में काफी राहत मिलेगी.
प्याज का रस
1. मिर्गी के दौरों से हमेशा – हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए प्याज लें और उन्हें पिसकर लगभग 75 मिली. रस निकाल लें.
2. अब एक गिलास में थोडा पानी लें और इसमें प्याज के रस को मिला लें.
3. इसके बाद सुबह उठकर इस पानी का सेवन करें.
रोजाना सुबह उठने के बाद प्याज के रस में पानी मिलकर सेवन करने से आपको मिर्गी के दौरे पड़ने बंद हो जायेगें. इसके अलावा यदि मिर्गी के रोग से ग्रस्त व्यक्ति मिर्गी के दौरे पड़ने के बाद बेहोश हो जाता हैं तो भी आप प्याज के रस का प्रयोग कर सकते हैं. मिर्गी के रोग से पीड़ित व्यक्ति की बेहोशी दूर करने के लिए थोडा सा प्याज का रस लें और उसे रोगी व्यक्ति को सुंघा दें. प्याज के रस को थोड़ी देर सूंघाने के बाद व्यक्ति की बेहोशी बिल्कुल ख़त्म हो जायेगी.
मिर्गी के कारण – causes of epilepsy
मिर्गी के 10 में से 6 रोगियों में इस रोग के वास्तविक कारणों का पता नहीं चल पाता है। मिर्गी के दौरे के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
मिर्गी के संभावित कारण निम्न हैं-
1. मस्तिष्क में चोट लगना
2. मस्तिष्क में चोट लगने के बाद मस्तिष्क पर निशान पड़ना
3. गंभीर बीमारी या बहुत तेज बुखार
4. 35 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों में स्ट्रोक, मिर्गी का कारण हो सकता है।
5. अन्य संवहनी रोग (vascular diseases)
6. ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट
7. डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग
8. मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी
9. प्रसव पूर्व चोट लगना, मस्तिष्क विकृति या जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी होना।
10. एड्स या मेनिनजाइटिस (meningitis) जैसी संक्रामक बीमारियां
11. अनुवांशिक या तंत्रिका संबंधी रोग
यह बीमारी दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों में या 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में दिखायी देने की संभावना होती है। मिर्गी किसी भी उम्र में विकसित हो सकती है लेकिन इसका निदान आमतौर पर बचपन में या 60 वर्ष के बाद होता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज किस स्थिति का अनुभव करेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति के मस्तिष्क का कौन सा भाग प्रभावित हुआ है।
दोस्तों आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताये. आप अपनी राय, सवाल और सुझाव हमें comments के जरिये जरुर भेजे. अगर आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे share करे।
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