विशिष्ट बालक का अर्थ
विशिष्ट बालको को जानने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि सामान्य बालक किसे कहते है। विद्यालय में हर समाज, हर वर्ग तथा भिन्न-भिन्न परिवारों से बालक आते है ये सभी विभिन्न होते हुये भी सामान्य कहलाते है। परन्तु कुछ ऐसे भी होते है तो शारीरिक, मानसिक, शैक्षिक एवं सामाजिक गुणो की दृष्टि से अन्य बालको से भिन्न होते है। सामान्य बालक वे होते है जिनका शारीरिक स्वास्थ एवं बनावट इस प्रकार की होती है कि उन्हे सामान्य कार्य करने मे किसी प्रकार की कठिनाई का अनुभव नही होता है। जिनकी बुद्धि लब्धि औसत (90 से 110) के बीच होती है। ऐसे बालको की शैक्षिक उपलब्धि कक्षा के अधिकांश बालको के समान होती है।
क्रूशैंकं के अनुसार-”एक विशिष्ट बालक वह है जाे शारीरिक, बौद्धिक, संवेगात्मक एवं सामाजिक रूप, सामान्य बुद्धि एवं विकास की दृष्टि से इतने अष्टिाक विचलित होते है कि नियमित कक्षा- कार्यक्रमो से लाभान्वित नही हो सकते है तथा जिसे विद्यालय में विशेष देखरेख की आवश्यकता होती है।”
विशिष्ट बालको का वर्गीकरण
विशिष्ट बालक सामान्य बालको से भिन्न होते है। विभिन्न प्रकार के विशिष्ट बालक आपस में भी एक दूसरे से भिन्न होते है। ये भिन्न बौद्धिक योग्यताओं में, शारीरिक योग्यताओ मे या शैक्षिक उपलब्धि मे हो सकते है। मुख्य रूप से सभी प्रकार के विशिष्ट बालको को चार वर्गो मे विभाजित किया गया है।
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