अधिगम अक्षमता के प्रकार -
अधिगम अक्षमता एक वृहद् प्रकार के कई आधारों पर विभेदीकृत किया गया है। ये सारे विभेदीकरण अपने उद्देश्यों के अनुकूल हैं। इसका प्रमुख विभेदीकरण ब्रिटिश कोलंबिया (201) एवं ब्रिटेन के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक सपोर्टिंग स्टूडेंट्स विद लर्निंग डिएबलिटी ए गाइड फॉर टीचर्स में दिया गया है, जो निम्नलिखित है -
1. डिस्लेक्सिया (पढ़ने संबंधी विकार)
2. डिस्ग्राफिया (लेखन संबंधी विकार)
3. डिस्कैलकूलिया (गणितीय कौशल संबंधी विकार)
4. डिस्फैसिया (वाक् क्षमता संबंधी विकार)
5. डिस्प्रैक्सिया (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार)
6. डिसऑर्थोग्राफ़िय (वर्तनी संबंधी विकार)
7. ऑडीटरी प्रोसेसिंग डिसआर्डर (श्रवण संबंधी विकार)
8. विजुअल परसेप्शन डिसआर्डर (दृश्य प्रत्यक्षण क्षमता संबंधी विकार)
9. सेंसरी इंटीग्रेशन ऑर प्रोसेसिंग डिसआर्डर (इन्द्रिय समन्वयन क्षमता संबंधी विकार)
10. ऑर्गेनाइजेशनल लर्निंग डिसआर्डर (संगठनात्मक पठन संबंधी विकार)
डिस्लेक्सिया
शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द डस और लेक्सिस से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथन भाषा (डिफिकल्ट स्पीच)। वर्ष 1887 में एक जर्मन नेत्र रोग विशेषज्ञ रूडोल्बर्लिन द्वारा खोजे गए इस शब्द को शब्द अंधता भी कहा जाता है। डिस्लेक्सिया को भाषायी और संकेतिक कोडों भाषा के ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्णमाला के अक्षरों या संख्याओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अंकों के संसाधन में होने वाली कठिनाई के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह भाषा के लिखित रूप, मौखिक रूप एवं भाषायी दक्षता को प्रभावित करता है यह अधिगम अक्षमता का सबसे सामान्य प्रकार है।
डिस्लेक्सिया के लक्षण - इसके निम्नलिखित लक्षण है –
1. वर्णमाला अधिगम में कठिनाई
2. अक्षरों की ध्वनियों को सीखने में कठिनाई
3. एकाग्रता में कठिनाई
4. पढ़ते समय स्वर वर्णों का लोप होना
5. शब्दों को उल्टा या अक्षरों का क्रम इधर – उधर कर पढ़ा जाना, जैसे नाम को मान या शावक को शक पढ़ा जाना
6. वर्तनी दोष से पीड़ित होना
7. समान उच्चारण वाले ध्वनियों को न पहचान पाना
8. शब्दकोष का अभाव
9. भाषा का अर्थपूर्ण प्रयोग का अभाव तथा
10. क्षीण स्मरण शक्ति
डिस्लेक्सिया की पहचान – उपर्युक्त लक्षण हालाँकि डिस्लेक्सिया की पहचान करने में उपयोगी होते हैं लेकिन इस लक्षणों के आधार पर पूर्णत: विश्वास के साथ किसी भी व्यक्ति को डिस्लेक्सिया घोषित नहीं किया जा सकता है। डिस्लेक्सिया की पहचान करने के लिए सं 1973 में अमेरिकन फिजिशियन एलेना बोडर ने बोड टेस्ट ऑफ़ रीडिंग स्पेलिंग पैटर्न नामक एक परिक्षण का विकास किया। भारत में इसके लिए डिस्लेक्सिया अर्ली स्क्रीनिंग टेस्ट और डिस्लेक्सिया स्क्रीनिंगटेस्ट का प्रयोग किया जाता है।
डिस्लेक्सिया का उपचार – डिस्लेक्सिया पूर्ण उपचार अंसभव है लेकिन इसको उचित शिक्षण - अधिगम पद्धति के द्वारा निम्नतम स्तर पर लाया जा सकता है।
डिस्ग्राफिया
अधिगम अक्षमता का वो प्रकार है जो लेखन क्षमता को प्रभावित करता है। यह वर्तनी संबंधी कठिनाई, ख़राब हस्तलेखन एवं अपने विचारों को लिपिवद्ध करने में कठिनाई के रूप में जाना जाता है। (नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसबलिटिज्म, 2006)।डिस्ग्रफिया
डिस्ग्रफिया के लक्षण – इसके निम्नलिखित लक्षण है –
1. लिखते समय स्वयं से बातें करना।
2. अशुद्ध वर्तनी एवं अनियमित रूप और आकार वाले अक्षर को लिखना
3. पठनीय होने पर भी कापी करने में अत्यधिक श्रम का प्रयोग करना
4. लेखन समग्री पर कमजोर पकड़ या लेखन सामग्री को कागज के बहुत नजदीक पकड़ना
5. अपठनीय हस्तलेखन
6. लाइनों का ऊपर – नीचे लिया जाना एवं शब्दों के बीच अनियमित स्थान छोड़ना तथा
7. अपूर्ण अक्षर या शब्द लिखना
उपचार कार्यक्रम – चूंकि यह एक लेखन संबंधी विकार है, अत: इसके उपचार के लिए यह आवश्यक है कि इस अधिगम अक्षमता से ग्रसित व्यक्ति को लेखन का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास कराया जाय।
डिस्कैलकुलिया
यह एक व्यापक पद है जिसका प्रयोग गणितीय कौशल अक्षमता के लिए किया जाता है इसके अन्तरगत अंकों संख्याओं के अर्थ समझने की अयोग्यता से लेकर अंकगणितीय समस्याओं के समाधान में सूत्रों एवं सिंद्धांतों के प्रयोग की अयोग्यता तथा सभी प्रकार के गणितीय अक्षमता शामिल है।
डिस्कैलकुलिया के लक्षण – इसके निम्नलिखित लक्षण है –
1. नाम एवं चेहरा पहचनाने में कठिनाई
2. अंकगणितीय संक्रियाओं के चिह्नों को समझने में कठिनाई
3. अंकगणितीय संक्रियाओं के अशुद्ध परिणाम मिलना
4. गिनने के लिए उँगलियों का प्रयोग
5. वित्तीय योजना या बजट बनाने में कठिनाई
6. चेकबुक के प्रयोग में कठिनाई
7. दिशा ज्ञान का अभाव या अल्प समझ
8. नकद अंतरण या भुगतान से डर
9. समय की अनुपयुक्त समझ के कारण समय - सारणी बनाने में कठिनाई का अनुभव करना।
डिस्कैलकुलिया के कारण – इसका करण मस्तिष्क में उपस्थित कार्टेक्स की कार्यविरूपता को माना जाता है। कभी - कभी तार्किक चिंतन क्षमता के अभाव के कारण उया कर्य्क्रारी स्मिरती के अभाव के कारण भी डिस्ग्राफिया उत्पन्न होता है।
डिस्कैलकुलिया का उपचार – उचित शिक्षण- अधिगम रणनीति अपनाकर डिस्कैलकुलिया को कम किया जा सकता है। कुछ प्रमुख रणनीतियां निम्नलिखित हैं –
1. जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से संबंधी उदहारण प्रस्तुत करना
2. गणितीय तथ्यों को याद करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान करना
3. फ्लैश कार्ड्स और कम्प्यूटर गेम्स का प्रयोग करना तथा
4. गणित को सरल करना और यह बताना कि यह एक कौशल है जिसे अर्जित किया जा सकता है।
डिस्फैसिया
ग्रीक भाषा के दो शब्दों डिस और फासिया जिनके शाब्दिक अर्थ अक्षमता एवं वाक् होते हैं से मिलकर बने है, शब्द डिस्फैसिया का शाब्दिक अर्थ वाक् अक्षमता से है। यह एक भाषा एवं वाक् संबंधी विकृति है जिससे ग्रसित बच्चे विचार की अभिव्यक्ति व्याख्यान के समय कठिनाई महसूस करते हैं। इस अक्षमता के लिए मुख्य रूप से मस्तिष्क क्षति (ब्रेन डैमेज) को उत्तरदायी माना जाता है।
डीस्प्रैक्सिया
यह मुख्य रूप से चित्रांकन संबंधी अक्षमता की ओर संकेत करता है। इससे ग्रसित बच्चे लिखने एवं चित्र बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं।
दोस्तों आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताये. आप अपनी राय, सवाल और सुझाव हमें comments के जरिये जरुर भेजे. अगर आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे share करे।
अधिगम अक्षमता एक वृहद् प्रकार के कई आधारों पर विभेदीकृत किया गया है। ये सारे विभेदीकरण अपने उद्देश्यों के अनुकूल हैं। इसका प्रमुख विभेदीकरण ब्रिटिश कोलंबिया (201) एवं ब्रिटेन के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक सपोर्टिंग स्टूडेंट्स विद लर्निंग डिएबलिटी ए गाइड फॉर टीचर्स में दिया गया है, जो निम्नलिखित है -
1. डिस्लेक्सिया (पढ़ने संबंधी विकार)
2. डिस्ग्राफिया (लेखन संबंधी विकार)
3. डिस्कैलकूलिया (गणितीय कौशल संबंधी विकार)
4. डिस्फैसिया (वाक् क्षमता संबंधी विकार)
5. डिस्प्रैक्सिया (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार)
6. डिसऑर्थोग्राफ़िय (वर्तनी संबंधी विकार)
7. ऑडीटरी प्रोसेसिंग डिसआर्डर (श्रवण संबंधी विकार)
8. विजुअल परसेप्शन डिसआर्डर (दृश्य प्रत्यक्षण क्षमता संबंधी विकार)
9. सेंसरी इंटीग्रेशन ऑर प्रोसेसिंग डिसआर्डर (इन्द्रिय समन्वयन क्षमता संबंधी विकार)
10. ऑर्गेनाइजेशनल लर्निंग डिसआर्डर (संगठनात्मक पठन संबंधी विकार)
डिस्लेक्सिया
शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द डस और लेक्सिस से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथन भाषा (डिफिकल्ट स्पीच)। वर्ष 1887 में एक जर्मन नेत्र रोग विशेषज्ञ रूडोल्बर्लिन द्वारा खोजे गए इस शब्द को शब्द अंधता भी कहा जाता है। डिस्लेक्सिया को भाषायी और संकेतिक कोडों भाषा के ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्णमाला के अक्षरों या संख्याओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अंकों के संसाधन में होने वाली कठिनाई के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह भाषा के लिखित रूप, मौखिक रूप एवं भाषायी दक्षता को प्रभावित करता है यह अधिगम अक्षमता का सबसे सामान्य प्रकार है।
डिस्लेक्सिया के लक्षण - इसके निम्नलिखित लक्षण है –
1. वर्णमाला अधिगम में कठिनाई
2. अक्षरों की ध्वनियों को सीखने में कठिनाई
3. एकाग्रता में कठिनाई
4. पढ़ते समय स्वर वर्णों का लोप होना
5. शब्दों को उल्टा या अक्षरों का क्रम इधर – उधर कर पढ़ा जाना, जैसे नाम को मान या शावक को शक पढ़ा जाना
6. वर्तनी दोष से पीड़ित होना
7. समान उच्चारण वाले ध्वनियों को न पहचान पाना
8. शब्दकोष का अभाव
9. भाषा का अर्थपूर्ण प्रयोग का अभाव तथा
10. क्षीण स्मरण शक्ति
डिस्लेक्सिया की पहचान – उपर्युक्त लक्षण हालाँकि डिस्लेक्सिया की पहचान करने में उपयोगी होते हैं लेकिन इस लक्षणों के आधार पर पूर्णत: विश्वास के साथ किसी भी व्यक्ति को डिस्लेक्सिया घोषित नहीं किया जा सकता है। डिस्लेक्सिया की पहचान करने के लिए सं 1973 में अमेरिकन फिजिशियन एलेना बोडर ने बोड टेस्ट ऑफ़ रीडिंग स्पेलिंग पैटर्न नामक एक परिक्षण का विकास किया। भारत में इसके लिए डिस्लेक्सिया अर्ली स्क्रीनिंग टेस्ट और डिस्लेक्सिया स्क्रीनिंगटेस्ट का प्रयोग किया जाता है।
डिस्लेक्सिया का उपचार – डिस्लेक्सिया पूर्ण उपचार अंसभव है लेकिन इसको उचित शिक्षण - अधिगम पद्धति के द्वारा निम्नतम स्तर पर लाया जा सकता है।
डिस्ग्राफिया
अधिगम अक्षमता का वो प्रकार है जो लेखन क्षमता को प्रभावित करता है। यह वर्तनी संबंधी कठिनाई, ख़राब हस्तलेखन एवं अपने विचारों को लिपिवद्ध करने में कठिनाई के रूप में जाना जाता है। (नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसबलिटिज्म, 2006)।डिस्ग्रफिया
डिस्ग्रफिया के लक्षण – इसके निम्नलिखित लक्षण है –
1. लिखते समय स्वयं से बातें करना।
2. अशुद्ध वर्तनी एवं अनियमित रूप और आकार वाले अक्षर को लिखना
3. पठनीय होने पर भी कापी करने में अत्यधिक श्रम का प्रयोग करना
4. लेखन समग्री पर कमजोर पकड़ या लेखन सामग्री को कागज के बहुत नजदीक पकड़ना
5. अपठनीय हस्तलेखन
6. लाइनों का ऊपर – नीचे लिया जाना एवं शब्दों के बीच अनियमित स्थान छोड़ना तथा
7. अपूर्ण अक्षर या शब्द लिखना
उपचार कार्यक्रम – चूंकि यह एक लेखन संबंधी विकार है, अत: इसके उपचार के लिए यह आवश्यक है कि इस अधिगम अक्षमता से ग्रसित व्यक्ति को लेखन का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास कराया जाय।
डिस्कैलकुलिया
यह एक व्यापक पद है जिसका प्रयोग गणितीय कौशल अक्षमता के लिए किया जाता है इसके अन्तरगत अंकों संख्याओं के अर्थ समझने की अयोग्यता से लेकर अंकगणितीय समस्याओं के समाधान में सूत्रों एवं सिंद्धांतों के प्रयोग की अयोग्यता तथा सभी प्रकार के गणितीय अक्षमता शामिल है।
डिस्कैलकुलिया के लक्षण – इसके निम्नलिखित लक्षण है –
1. नाम एवं चेहरा पहचनाने में कठिनाई
2. अंकगणितीय संक्रियाओं के चिह्नों को समझने में कठिनाई
3. अंकगणितीय संक्रियाओं के अशुद्ध परिणाम मिलना
4. गिनने के लिए उँगलियों का प्रयोग
5. वित्तीय योजना या बजट बनाने में कठिनाई
6. चेकबुक के प्रयोग में कठिनाई
7. दिशा ज्ञान का अभाव या अल्प समझ
8. नकद अंतरण या भुगतान से डर
9. समय की अनुपयुक्त समझ के कारण समय - सारणी बनाने में कठिनाई का अनुभव करना।
डिस्कैलकुलिया के कारण – इसका करण मस्तिष्क में उपस्थित कार्टेक्स की कार्यविरूपता को माना जाता है। कभी - कभी तार्किक चिंतन क्षमता के अभाव के कारण उया कर्य्क्रारी स्मिरती के अभाव के कारण भी डिस्ग्राफिया उत्पन्न होता है।
डिस्कैलकुलिया का उपचार – उचित शिक्षण- अधिगम रणनीति अपनाकर डिस्कैलकुलिया को कम किया जा सकता है। कुछ प्रमुख रणनीतियां निम्नलिखित हैं –
1. जीवन की वास्तविक परिस्थितियों से संबंधी उदहारण प्रस्तुत करना
2. गणितीय तथ्यों को याद करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान करना
3. फ्लैश कार्ड्स और कम्प्यूटर गेम्स का प्रयोग करना तथा
4. गणित को सरल करना और यह बताना कि यह एक कौशल है जिसे अर्जित किया जा सकता है।
डिस्फैसिया
ग्रीक भाषा के दो शब्दों डिस और फासिया जिनके शाब्दिक अर्थ अक्षमता एवं वाक् होते हैं से मिलकर बने है, शब्द डिस्फैसिया का शाब्दिक अर्थ वाक् अक्षमता से है। यह एक भाषा एवं वाक् संबंधी विकृति है जिससे ग्रसित बच्चे विचार की अभिव्यक्ति व्याख्यान के समय कठिनाई महसूस करते हैं। इस अक्षमता के लिए मुख्य रूप से मस्तिष्क क्षति (ब्रेन डैमेज) को उत्तरदायी माना जाता है।
डीस्प्रैक्सिया
यह मुख्य रूप से चित्रांकन संबंधी अक्षमता की ओर संकेत करता है। इससे ग्रसित बच्चे लिखने एवं चित्र बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं।
दोस्तों आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताये. आप अपनी राय, सवाल और सुझाव हमें comments के जरिये जरुर भेजे. अगर आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे share करे।
Nice,,
ReplyDeleteBut question is-अक्षमता के कारण और बचाव की विवेचना करे?
अगर आपको इस टॉपिक पे कुछ जानकारी हो तो पोस्ट कीजिये ,,pls...
Okk
DeleteThanks
Powerful notes
ReplyDeleteThanks bhyyya
ReplyDeleteBahut acha likha hai apne
ReplyDeleteBut change your block theme
बहुत अच्छा
ReplyDeleteआप ये पाॅस्ट भी पढ़ सकते हैं।
"हिंदी की बिंदी" शुद्ध व्याकरणिक प्रयोग कैसे करें, बहुत ही पसंदीदा/जिज्ञासु तथ्य जाने/"Hindi ki bindi" pasandeeda/jigyaasu tathy.
वादा है यदि आपने ये पेज पढ़ लिए तो आप हिंदी में कभी गलती नहीं करेंगे/Promise if you read these page you will never make mistake in Hindi.
हिंदी का अनोखा अनुभव ब्लॉगस्पॉट
संघर्षी वर्ण श/स/ष में आधारभूत अंतर जाने।
आपने सिर्फ शुरु के 5 विकारों का ही कारण और उपचार बताया है। अन्तिम 5 का भी बताये।
ReplyDeleteGood job sir
ReplyDeleteverynyc
ReplyDelete