Saturday, March 16, 2019

ऑटिज्‍म के प्रकार

ऑटिज्‍म के प्रकार

आटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के तीन प्रकार हैं -

1. ऑटिस्टिक डिसऑर्डर (क्लासिक ऑटिज्म) (Autistic Disorder)

आटिज्म शब्द सुनते ही अधिकांश लोग इसी प्रकार के आटिज्म के बारे में सोचते हैं। ऑटिस्टिक डिसऑर्डर से ग्रस्त लोग आमतौर पर देरी से बोलते हैं और सामाजिक व संचार की चुनौतियों का सामना करते हैं और असामान्य व्यवहार और रुचियां भी रखते हैं। ऑटिस्टिक डिसऑर्डर वाले कई लोगों को बौद्धिक समस्याएं भी होती हैं।

 2. एस्पर्जर सिन्ड्रोम (Asperger Syndrome)

एस्पर्जर सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों को आमतौर पर ऑटिस्टिक डिसऑर्डर के कुछ लक्षण होते हैं। उन्हें सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और उनकी असामान्य व्यवहार और रुचियां भी हो सकती हैं। हालांकि, उन्हें आमतौर पर भाषा सम्बंधित या बौद्धिक समस्याएं नहीं होती हैं।

3. परवेसिव डेवलपमेंटल विकार (Pervasive Developmental Disorder)

जिन लोगों में ऑटिस्टिक डिसऑर्डर या एस्पर्जर सिंड्रोम के कुछ लक्षण होते हैं उन्हें परवेसिव डेवलपमेंटल विकार हो सकता है। ऐसे लोगों में आमतौर पर ऑटिस्टिक डिसऑर्डर वाले लोगों की तुलना में लक्षण कम होते हैं या उनकी तीव्रता कम होती है। लक्षण केवल सामाजिक और संचार की चुनौतियों का कारण बन सकते हैं।


ऑटिज्‍म के लक्षण

सामाजिक संचार और संपर्क समस्याएं -

1. अपने नाम पर प्रतिक्रिया देने में विफल रहना।

2. गले से लगाने या पकड़ने पर विरोध करना और अकेले खेलना पसंद करना।

3. नज़रें मिलाने से बचना और चेहरे के अभिभावों का न होना।

4. न बोलना या बोलने में देरी करना या पहले ठीक से बोलने वाले शब्द या वाक्यों को न बोल पाना।

5. वार्तालाप को शुरू नहीं कर पाना या जारी नहीं रख पाना या केवल अनुरोध के लिए बातचीत शुरू करना।

6. एक असामान्य लय से बोलना, एक गीत की आवाज़ या रोबोट जैसी आवाज़ का उपयोग करना।

7. शब्दों या वाक्यांशों को दोहराना लेकिन उनके उपयोग की समझ न होना।

8. सरल प्रशनों या दिशाओं को समझने में असमर्थता।

9. अपनी भावनाओं को व्यक्त न करना और दूसरों की भावनाओं से अनजान रहना।

10. निष्क्रिय, आक्रामक या विघटनकारी होने के कारण सामाजिक संपर्क से बचना।


व्यवहार सम्बन्धी लक्षण -

1. कुछ गतिविधियों को दोहराना, जैसे - हिलना, घूमना या हाथ फड़फड़ाना या खुद को नुक्सान पहुंचाने वाली गातीधियाँ (जैसे सिर पटकना)।

2. विशिष्ट दिनचर्या या अनुष्ठान विकसित करना और थोड़े ही बदलाव में परेशान हो जाना।

3. लगातार हिलते रहना।

4. असहयोगी व्यवहार करना या बदलने के लिए प्रतिरोधी होना।

5.समन्वय की समस्याएं या अजीब गतिविधियां करना (जैसे पैर के पंजों पर चलना)।

6. रौशनी, ध्वनि और स्पर्श के प्रति असामान्य रूप से संवेदनशील होना और दर्द महसूस न करना।

7. कृत्रिम खेलों में शामिल न होना।

8. असामान्य तीव्रता या ध्यान लगाकर कोई कार्य या गतिविधि करते रहना।

9. भोजन की अजीब पसंद होना, जैसे कि केवल कुछ खाद्य पदार्थों को खाना या कुछ खास बनावट वाले पदार्थों का ही सेवन करना।

आटिज्‍म के कारण और जोखिम कारक - Autism Causes & Risk Factors 

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार का कोई भी ज्ञात कारण नहीं है। विकार की जटिलता और तीव्रता हर किसी में भिन्न होते हैं इसीलिए इसके कई कारण माने जाते हैं। आनुवांशिकी और पर्यावरण कारण दोनों ही आटिज्म में एक महत्व्पूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आनुवंशिक समस्याएं

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार में कई अलग-अलग जीन शामिल होते हैं। कुछ बच्चों में, आटिज्म किसी आनुवंशिक विकार से सम्बंधित हो सकता है। दूसरों के लिए, आनुवंशिक परिवर्तन बच्चे को ऑटिज्म के प्रति अतिसंवेदनशील बना सकते हैं या पर्यावरणीय जोखिम कारक बना सकते हैं। कुछ आनुवंशिक समस्याएं पारिवारिक होती हैं, जबकि अन्य अपने आप होती हैं।

पर्यावरणीय कारक

शोधकर्ता वर्तमान में यह खोज कर रहे हैं कि क्या वायरल संक्रमण, गर्भावस्था की जटिलताएं या वायु प्रदूषण ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार की वजह बनते हैं या नहीं।


आटिज्म के जोखिम कारक 

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार सभी जातियों और राष्ट्रीयताओं के बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन कुछ कारक इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। जैसे -

1. लिंग - लड़कियों के मुकाबले लड़कों को आटिज्म होने की संभावना चार गुना ज़्यादा होती है।

2. परिवार का इतिहास - अगर एक परिवार में कोई बच्चा आटिज्म से ग्रस्त है तो दूसरे बच्चे को भी इससे ग्रस्त होने का अधिक खतरा होता है।

3. अन्य विकार - कुछ मेडिकल समस्याओं वाले बच्चों को आटिज्म के होने का जोखिम अधिक होता है।

4. समय से पहले पैदा हुए बच्चे - 26 सप्ताह से पहले पैदा हुए बच्चों को आटिज्म होने का ज़्यादा खतरा हो सकता है।

5. माता-पिता की आयु - ज़्यादा उम्र के माता-पिता से हुए बच्चे को आटिज्म होने की सम्भावना हो सकती है लेकिन अभी इस विषय पर शोध आवश्यक है।


आटिज्‍म से बचाव - Prevention of Autism 

आटिज्म होने से रोका नहीं जा सकता है लेकिन आप इसके कुछ जोखिम को कम कर सकते हैं यदि आप निम्नलिखित जीवनशैली के परिवर्तनों का प्रयास करते हैं -

1. स्वस्थ रहें - नियमित जाँच करवाएं, अच्छी तरह संतुलित भोजन और व्यायाम करें। सुनिश्चित करें कि आपकी अच्छी जन्मपूर्व देखभाल हुई है और सभी सुझाए गए विटामिन व पूरक आहार लें।

2. गर्भावस्था के दौरान दवाएं न लें - गर्भावस्था में किसी भी प्रकार की दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से पूछें। खासकर दौरों को रोकने वाली दवाएं।

3. शराब न लें - गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन न करें।

4. मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपचार लें - यदि आपको सीलिएक रोग (Celiac Disease) या पीकेयू (PKU; Phenylketonuria) है, तो उसे नियंत्रण में रखने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें।

5. टीका लगवाएं  - सुनिश्चित करें कि गर्भवती होने से पहले आपको जर्मन खसरा (German Measles) - जिसे रुबेला (Rubella) भी कहते हैं - का टीका लगाया गया है क्योंकि यह रूबेला-संबंधित आटिज्म को रोक सकता है।


ऑटिज्म का परीक्षण

आटिज्म का निदान करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि अन्य विकारों का निदान करने के लिए मौजूद परीक्षणों के जैसे इसके लिए कोई परीक्षण नहीं है। डॉक्टर इसका निदान करने के लिए बच्चे के व्यवहार और विकास को देखते हैं।

आटिज्म का निदान दो चरणों में होता है -

1. विकास संबंधी जांच

2. विस्तृत नैदानिक ​​मूल्यांकन


विकास संबंधी जांच

विकास संबंधी जांच एक छोटी सी परीक्षा होती है, यह बताने के लिए कि क्या बच्चा मूलभूत कौशल सीख रहा है या नहीं। विकास संबंधी जाँच के दौरान डॉक्टर माता-पिता से कुछ प्रशन पूछ सकते हैं या बच्चे के साथ बात करने के लिए कह सकते हैं और यह देख सकते हैं कि वह कैसे सीखते हैं, बोलते हैं, व्यवहार करते हैं और चलते हैं। इनमें से किसी भी क्षेत्र में देरी एक समस्या का संकेत हो सकती है।

यह महत्वपूर्ण है कि डॉक्टर विकास संबंधी विलंब के लिए सभी बच्चों की जाँच करें, लेकिन विशेष रूप से उन बच्चों पर नज़र रखें जिन्हें आटिज्म का  जोखिम ज़्यादा है। यदि चिकित्सक किसी समस्या के लक्षण देखते हैं तो एक विस्तृत नैदानिक ​​मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।


विस्तृत नैदानिक मूल्यांकन

निदान का दूसरा चरण एक विस्तृत मूल्यांकन होता है। इसमें बच्चे के व्यवहार और विकास की जाँच की जाती है व माता-पिता से भी सवाल पूछे जा सकते हैं। इसमें सुनवाई और दृष्टि की जाँच, आनुवांशिक परीक्षण, न्यूरोलॉजिकल परीक्षण और अन्य चिकित्सा परीक्षण शामिल हो सकते हैं।

कुछ मामलों में, प्राथमिक देखभाल चिकित्सक आगे मूल्यांकन और निदान के लिए बच्चे को एक विशेषज्ञ के पास ले जाने की सलाह दे सकते हैं। जैसे -

1. बच्चे के विकास और बच्चों में विशेष प्रशिक्षण देने के विशेषज्ञ।

2. मस्तिष्क, रीढ़ और तंत्रिकाओं के विशेषज्ञ।

3. मानव मस्तिष्क के विशेषज्ञ।


आटिज्‍म का इलाज - Autism Treatment 


आटिज्म का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कई तरीकों से सीखने की क्षमता और मानसिक विकास को बढ़ाना संभव है। यह तरीके निम्नलिखित हैं -

व्यवहारिक प्रशिक्षण और प्रबंधन

व्यवहारिक प्रशिक्षण और प्रबंधन व्यवहार व संचार को बेहतर बनाने के लिए सकारात्मक तरीकों, आत्म-सहायता और सामाजिक कौशल प्रशिक्षण का उपयोग करता है। कई प्रकार के उपचार विकसित किए गए हैं, जिनमें एप्लाइड व्यवहार विश्लेषण (applied behaviour analysis), ऑटिस्टिक और संबंधित संचार विकलांग बच्चों का उपचार और शिक्षा शामिल हैं।

विशिष्ट चिकित्सा

इसमें भाषण, व्यावसायिक और शारीरिक उपचार शामिल हैं। ये चिकित्सा आटिज्म के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं और सभी बच्चों के उपचार में शामिल किये जाने चाहिए। भाषण थेरेपी बच्चों को प्रभावी ढंग से संवाद करने में मदद कर करती है। व्यावसायिक और शारीरिक उपचार समन्वय को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। व्यावसायिक उपचार बच्चे को इंद्रियों की सूचनाओं को बेहतर समझ पाने में मदद कर सकता है।

दवाएं

आटिज्म में दवाओं का उपयोग उससे सम्बंधित समस्याओं जैसे डिप्रेशन, चिंता और सक्रियता का इलाज करने के किया जाता है।


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