प्रमस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral palsy)
सेरेब्रल का अर्थ मस्तिष्क के दोनो भाग तथा पाल्सी का अर्थ किसी ऐसा विकार या क्षति से है जो शारीरिक गति के नियंत्रण को क्षतिग्रस्त करती है। एक प्रसिद्ध शल्य चिकित्सक विलियम लिटिल ने 1860 ई में बच्चो में पाई जाने वाली असामान्यता से सम्बंधित चिकित्सा की चर्चा की थी जिसमे हाथ एवं पाव की मांसपेशियों में कड़ापन पाया जाता है। ऐसे बच्चों को वस्तु पकड़ने तथा चलने में कठिनाई होती है जिसे लम्बे समय तक लिटिल्स रोग के नाम से जाना जाता था।
अब इसे प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (सेरिब्रल पाल्सी) कहते हैं। 'सेरेब्रल' का अर्थ है मस्तिष्क के दोनों भाग तथा पाल्सी का अर्थ है ऐसी असामान्यता या क्षति जो शारीरिक गति के नियंत्रण को नष्ट करती है प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात का अर्थ है मस्तिष्क का लकवा।
यह मस्तिष्कीय क्षति बच्चो के जन्म के पहले, जन्म के समय और जन्म के बाद कभी भी हो सकता है इसमें जितनी ज्यादा मस्तिष्क की क्षति होगी उतनी ही अधिक बच्चो में विकलांगता की गंभीरता बढ़ जाती है।
परिभाषा-
बैटसो एवंं पैरट (1986) के अनुसार "सेरेब्रल पाल्सी एक जटिल, अप्रगतिशील अवस्था है जो जीवन के प्रथम तीन वर्षो मे हुई मस्तिष्कीय क्षति के कारण होती है जिसके फलस्वरूप मांसपेशियों में सामंजस्य न होने के कारण तथा कमजोरी से अपंगता होती है।"
यह एक प्रमस्तिष्क संबंधी विकार है। यह विकार विकसित होते मस्तिष्क के मोटर कंट्रोल सेंटर (संचलन नियंत्रण केन्द्र) में हुई किसी क्षति के कारण होता है। यह बीमारी मुख्यत: गर्भधारण (७५ प्रतिशत), बच्चे के जन्म के समय (लगभग ५ प्रतिशत) और तीन वर्ष तक की आयु के बच्चों को होती है। सेरेब्रल पाल्सी पर अभी शोध चल रहा है, क्योंकि वर्तमान उपलब्ध शोध सिर्फ बाल्य (पीडियाट्रिक) रोगियों पर केन्द्रित है। इस बीमारी की वजह से संचार में समस्या, संवेदना, पूर्व धारणा, वस्तुओं को पहचानना और अन्य व्यवहारिक समस्याएं आती है।
संभावित कारण
इस बीमारी के बारे में पहली बार अंग्रेजी सर्जन विलियम लिटिल ने १८६० में पता लगाया था। इस रोग के मुख्य कारणो में बच्चे के मस्तिष्क के विकास में व्यवधान आने या मस्तिष्क में चोट होते हैं। कुछ अन्य कारण इस प्रकार से हैं।
1. गर्भावस्था के दौरान मां को संक्रमण।
2. मां व बच्चे के रक्त समूह (ब्लड ग्रुप) का न मिलना।
3. मां के गर्भ में बच्चे का अस्वाभाविक अनुवांशिक विकास।
4. नवजात शिशु का पीलिया या अन्य किसी संक्रमण से ग्रस्त होना।
सीपी की शीघ्र पहचान
प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात के शीघ्र पहचान के लिए इसके शुरूआती लक्षण को पहचानना अति आवश्यक है क्योंकि जब तक इसके लक्षणों का सही पहचान नहीं होगा तब तक उपचार एवं रोकथाम हेतु कदम उठाना मुश्किल है।
अतः इसके लक्षणों को देखकर शीघ्र पहचान आसानी से की जा सकती है। प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात की शीघ्र एवं प्रारंभिक पहचान हेतु निम्नलिखित विन्दुओं के अनुसार बच्चे का आकलन किया जा सकता है –
1) जन्म के समय देर से रोता है या साँस लेता है।
2) जन्म के समय प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात युक्त शिशु प्रायः शिथिल या निर्जीव जैसा तथा लचीला एवं पतला होता है। यदि शिशु को छाती की तरफ पकड़कर औंधे मुह लटकाया जाय तो शिशु उल्टा यू (U) जैसा झुक जायेगा।
3) दूसरे सामान्य बच्चे की तुलना में विकास धीमा होता है।
4) गर्दन नियंत्रण एवं बैठने में देर करता है।
5) अपने दोनों हाथो को एक साथ नहीं चलता है तथा एक ही हाथ का प्रयोग करता है।
6) शिशु स्तनपान में असमर्थता दिखाता है।
7) गोद में लेते समय या कपड़ा पहनते समय एवं नहाते समय शिशु का शरीर अकड़ जाता है।
8) शिशु का शरीर बहुत लचीला होता है।
9) बच्चे बहुत उदास दिखते हैं तथा सुस्त गति वाले होते हैं।
10) ओठ से लार टपकता है।
दोस्तों आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताये. आप अपनी राय, सवाल और सुझाव हमें comments के जरिये जरुर भेजे. अगर आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे share करे।
आप E-mail के द्वारा भी अपना सुझाव दे सकते हैं। prakashgoswami03@gmail.com
सेरेब्रल का अर्थ मस्तिष्क के दोनो भाग तथा पाल्सी का अर्थ किसी ऐसा विकार या क्षति से है जो शारीरिक गति के नियंत्रण को क्षतिग्रस्त करती है। एक प्रसिद्ध शल्य चिकित्सक विलियम लिटिल ने 1860 ई में बच्चो में पाई जाने वाली असामान्यता से सम्बंधित चिकित्सा की चर्चा की थी जिसमे हाथ एवं पाव की मांसपेशियों में कड़ापन पाया जाता है। ऐसे बच्चों को वस्तु पकड़ने तथा चलने में कठिनाई होती है जिसे लम्बे समय तक लिटिल्स रोग के नाम से जाना जाता था।
अब इसे प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात (सेरिब्रल पाल्सी) कहते हैं। 'सेरेब्रल' का अर्थ है मस्तिष्क के दोनों भाग तथा पाल्सी का अर्थ है ऐसी असामान्यता या क्षति जो शारीरिक गति के नियंत्रण को नष्ट करती है प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात का अर्थ है मस्तिष्क का लकवा।
यह मस्तिष्कीय क्षति बच्चो के जन्म के पहले, जन्म के समय और जन्म के बाद कभी भी हो सकता है इसमें जितनी ज्यादा मस्तिष्क की क्षति होगी उतनी ही अधिक बच्चो में विकलांगता की गंभीरता बढ़ जाती है।
परिभाषा-
बैटसो एवंं पैरट (1986) के अनुसार "सेरेब्रल पाल्सी एक जटिल, अप्रगतिशील अवस्था है जो जीवन के प्रथम तीन वर्षो मे हुई मस्तिष्कीय क्षति के कारण होती है जिसके फलस्वरूप मांसपेशियों में सामंजस्य न होने के कारण तथा कमजोरी से अपंगता होती है।"
यह एक प्रमस्तिष्क संबंधी विकार है। यह विकार विकसित होते मस्तिष्क के मोटर कंट्रोल सेंटर (संचलन नियंत्रण केन्द्र) में हुई किसी क्षति के कारण होता है। यह बीमारी मुख्यत: गर्भधारण (७५ प्रतिशत), बच्चे के जन्म के समय (लगभग ५ प्रतिशत) और तीन वर्ष तक की आयु के बच्चों को होती है। सेरेब्रल पाल्सी पर अभी शोध चल रहा है, क्योंकि वर्तमान उपलब्ध शोध सिर्फ बाल्य (पीडियाट्रिक) रोगियों पर केन्द्रित है। इस बीमारी की वजह से संचार में समस्या, संवेदना, पूर्व धारणा, वस्तुओं को पहचानना और अन्य व्यवहारिक समस्याएं आती है।
संभावित कारण
इस बीमारी के बारे में पहली बार अंग्रेजी सर्जन विलियम लिटिल ने १८६० में पता लगाया था। इस रोग के मुख्य कारणो में बच्चे के मस्तिष्क के विकास में व्यवधान आने या मस्तिष्क में चोट होते हैं। कुछ अन्य कारण इस प्रकार से हैं।
1. गर्भावस्था के दौरान मां को संक्रमण।
2. मां व बच्चे के रक्त समूह (ब्लड ग्रुप) का न मिलना।
3. मां के गर्भ में बच्चे का अस्वाभाविक अनुवांशिक विकास।
4. नवजात शिशु का पीलिया या अन्य किसी संक्रमण से ग्रस्त होना।
सीपी की शीघ्र पहचान
प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात के शीघ्र पहचान के लिए इसके शुरूआती लक्षण को पहचानना अति आवश्यक है क्योंकि जब तक इसके लक्षणों का सही पहचान नहीं होगा तब तक उपचार एवं रोकथाम हेतु कदम उठाना मुश्किल है।
अतः इसके लक्षणों को देखकर शीघ्र पहचान आसानी से की जा सकती है। प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात की शीघ्र एवं प्रारंभिक पहचान हेतु निम्नलिखित विन्दुओं के अनुसार बच्चे का आकलन किया जा सकता है –
1) जन्म के समय देर से रोता है या साँस लेता है।
2) जन्म के समय प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात युक्त शिशु प्रायः शिथिल या निर्जीव जैसा तथा लचीला एवं पतला होता है। यदि शिशु को छाती की तरफ पकड़कर औंधे मुह लटकाया जाय तो शिशु उल्टा यू (U) जैसा झुक जायेगा।
3) दूसरे सामान्य बच्चे की तुलना में विकास धीमा होता है।
4) गर्दन नियंत्रण एवं बैठने में देर करता है।
5) अपने दोनों हाथो को एक साथ नहीं चलता है तथा एक ही हाथ का प्रयोग करता है।
6) शिशु स्तनपान में असमर्थता दिखाता है।
7) गोद में लेते समय या कपड़ा पहनते समय एवं नहाते समय शिशु का शरीर अकड़ जाता है।
8) शिशु का शरीर बहुत लचीला होता है।
9) बच्चे बहुत उदास दिखते हैं तथा सुस्त गति वाले होते हैं।
10) ओठ से लार टपकता है।
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