Saturday, August 31, 2019

माध्यमिक स्तर (IEDSS) पर विकलांगों के लिए समावेशी शिक्षा

माध्यमिक स्तर (IEDSS) पर विकलांगों के लिए समावेशी शिक्षा

The Scheme of Inclusive Education for Disabled at Secondary Stage (IEDSS) has been launched from the year 2009-10. This Scheme replaces the earlier scheme of Integrated Education for Disabled Children (IEDC) and provides assistance for the inclusive education of the disabled children in classes IX-XII.


माध्‍यमिक स्‍तर पर नि:शक्‍तजन की समावेशी शिक्षा

राष्ट्रीय माध्‍यमिक स्‍तर पर नि:शक्‍तजन समावेशी शिक्षा योजना (ईडीएसएस) वर्ष 2009-10 से प्रारम्‍भ की गई है। यह योजना नि:शक्‍त बच्‍चों के लिए एकीकृत योजना (आईईडीसी) संबंधी पहले की योजना के स्‍थान पर है और कक्षा IX-XII में पढने वाले नि:शक्‍त बच्‍चों की समावेशी शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करती है। यह योजना अब वर्ष 2013 से राष्‍ट्रीय माध्‍यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के अंतर्गत सम्मिलित कर ली गई है। राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र भी आरएमएसए के रूप में इसे आरएमएसए योजना के अंतर्गत सम्मिलित करने की प्रक्रिया में है।

उद्देश्‍य

सभी नि:शक्‍त छात्रों को आठ वर्षों की प्राथमिक स्‍कूली पढ़ाई पूरी करने के पश्‍चात आगे चार वर्षों की माध्‍यमिक स्‍कूली पढ़ाई समावेशी और सहायक माहौल में करने हेतु समर्थ बनाना।

लक्ष्‍य

योजना में नि:शक्‍त व्‍यक्ति अधिनियम (1995) और राष्‍ट्रीय न्‍यास अधिनियम (1999) के अंतर्गत कक्षा IX-XII में पढ़ने वाले यथा-परिभाषित एक या अधिक नि:शक्‍तता नामश: दृष्टिहीनता, कम दृष्टि, कुष्‍ठ रोग उपचारित, श्रवण शक्ति की कमी, गतिविषय नि:शक्‍तता, मंदबुद्धिता, मानसिक रूग्‍णता, आत्‍म-विमोह और प्रमस्तिष्‍क घात वाले जिसमें अंतत: वाणी की हानि अधिगम नि:शक्‍तता इत्‍यादि भी शामिल है। इसमें सरकारी, स्‍थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्‍त स्‍कूलों में पढ़ने वाले बच्‍चे शामिल है, नि:शक्‍तता वाली बालिकाओं पर विशेष ध्‍यान दिया जाता है जिससे उन्‍हें माध्‍यमिक स्‍कूलों में पढ़ने और अपनी योग्‍यता का विकास करने हेतु सूचना और मार्गदर्शन सुलभ हो। योजना के अंतर्गत हर राज्‍य में मॉडल समावेशी स्‍कूलों की स्‍थापना करने की कल्‍पना की गई है।

संघटक

छात्र अभिमुखी घटक जैसे चिकित्‍सा और शैक्षिक निर्धारण, पुस्‍तकें और लेखन सामग्री, वर्दियां, परिवहन भत्‍ता, रीडर पाठक भत्‍ता, बालिकाओं के लिए वृत्तिका, सहायक सेवाएं, सहायक युक्तियां, भोजन और आवास सुविधा, रोगोपचार सेवाएं, शिक्षण-अधिगम सामग्री इत्‍यादि।

अन्‍य संघटकों में विशेष शिक्षा शिक्षकों की नियुक्ति, ऐसे बच्‍चों को पढ़ाने हेतु सामान्‍य शिक्षकों के लिए भत्‍ते, शिक्षक प्रशिक्षण, स्‍कूल प्रशासकों का अभिविन्‍यास, संसाधन कक्ष की स्‍थापना, बाधायुक्‍त वातावरण इत्‍यादि शामिल हैं।
कार्यान्‍वयन अभिकरण

राज्‍य सरकारें/संघ राज्‍य क्षेत्र (यूटी) प्रशासन कार्यान्‍वयन अभिकरण हैं। इनमें नि:शक्‍तजनों की शिक्षा के क्षेत्र में योजना कार्यान्‍वयन का अनुभव रखने वाले स्‍वैच्छिक संगठन भी शामिल हो सकते हैं।

वित्‍तीय सहायता

योजना में शामिल सभी मदों के लिए केन्‍द्रीय सहायता 100 प्रतिशत आधार पर है। राज्‍य सरकारों से प्रतिवर्ष प्रति नि:शक्‍त बच्‍चे के लिए केवल 600/- रूपए की छात्रवृत्ति का प्रावधान रखना अपेक्षित है।



माध्यमिक स्तर पर विकलांगों के लिए समावेशी शिक्षा की योजना (IEDSS) 2009-10 के दौरान शुरू की और विकलांग बच्चों के लिए समेकित शिक्षा (IEDC) की पहले की योजना को बदल देता था। इस योजना का उद्देश्य प्राथमिक स्कूली शिक्षा के आठ साल पूरा करने के बाद, एक समावेशी और अनुकूल वातावरण में माध्यमिक शिक्षा के चार साल का पीछा करने के लिए विकलांग के साथ सभी छात्रों को सक्षम करने के लिए है। इस योजना के सभी बच्चों को सरकार में बारहवीं कक्षा नौवीं में पढ़ शामिल किया गया है, स्थानीय निकाय और एक या एक से अधिक विकलांग के साथ सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, विकलांगता अधिनियम (1995) और राष्ट्रीय न्यास अधिनियम (1999) के साथ व्यक्तियों के तहत परिभाषित किया।

 विकलांग के प्रकार उन्हें हासिल करने में मदद करने के लिए विशेष ध्यान के साथ प्रदान की जाती हैं आदि विकलांग के साथ लड़कियों विकलांग सीखने, अंधापन, कम दृष्टि, ठीक कुष्ठ रोग, सुनवाई हानि, हरकत विकलांगता, मानसिक मंदता, मानसिक बीमारी, आत्मकेंद्रित और मस्तिष्क कुष्ठ रोग, भाषण हानि से लेकर उनके विकासशील क्षमता के लिए माध्यमिक शिक्षा, सूचना और मार्गदर्शन के लिए उपयोग। । इसके अलावा, योजना हर राज्य में मॉडल समावेशी स्कूलों की स्थापना करने की परिकल्पना की गई है लक्ष्य और उद्देश्य केन्द्र प्रायोजित IEDSS योजना का उद्देश्य: करने के लिए माध्यमिक स्कूल (कक्षा नौवीं के चार साल पूरा करने के लिए एक अवसर के लिए स्कूली शिक्षा के प्राथमिक के आठ साल पूरे विकलांग के साथ सभी छात्रों को सक्षम करें एक समावेशी और अनुकूल वातावरण में बारहवीं) माध्यमिक स्तर पर सामान्य शिक्षा प्रणाली में विकलांग (बारहवीं कक्षा नौवीं) के साथ छात्रों के लिए शिक्षा के अवसर और सुविधाएं प्रदान। में विकलांग बच्चों की जरूरतों को पूरा करनेके लिए सामान्य स्कूल के शिक्षकों के प्रशिक्षण समर्थन ।


माध्यमिक स्तर  योजना के उद्देश्यों को सुनिश्चित करना है कि हो जाएगा: । विकलांगता के साथ हर बच्चे को माध्यमिक स्तर पर पहचान की जाएगी और उनकी शिक्षा की जरूरत का आकलन एड्स और उपकरणों, सहायक उपकरणों की जरूरत में हर छात्र, एक ही प्रदान किया जाएगा वास्तु सभी विकलांगता के साथ छात्रों को स्कूल में कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों और शौचालय के लिए उपयोग किया है, ताकि स्कूलों में बाधाओं को हटा रहे हैं। विकलांगता के साथ प्रत्येक छात्र को सामग्री सीखने की आपूर्ति की जाएगी उसका / उसकी आवश्यकता के अनुसार माध्यमिक स्तर पर सभी सामान्य स्कूल के शिक्षकों को प्रदान किया जाएगा बुनियादी प्रशिक्षण तीन से पांच साल की अवधि के भीतर विकलांग छात्रों को पढ़ाने के लिए। विकलांग छात्रों के हर ब्लॉक में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति, संसाधन उपलब्ध की स्थापना जैसी सेवाओं का समर्थन करने के लिए उपयोग होगा। मॉडल स्कूलों को विकसित करने के लिए हर राज्य में स्थापित कर रहे हैं समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा अनुकरणीय प्रथाओं।

सहायता के दो प्रमुख घटकों के लिए स्वीकार्य है इस तरह के चिकित्सा और शिक्षा मूल्यांकन, किताबें और स्टेशनरी, वर्दी, परिवहन भत्ता, पाठक भत्ता, लड़कियों के लिए वजीफा, समर्थन सेवाओं, सहायक उपकरणों, बोर्डिंग और के रूप में छात्र उन्मुख घटकों दर्ज कराने की सुविधा, चिकित्सीय सेवाओं, शिक्षण अधिगम सामग्री, आदि अन्य घटकों विशेष शिक्षा के शिक्षकों, आदि बाधा मुक्त वातावरण उपलब्ध कराने के ऐसे बच्चे, शिक्षक प्रशिक्षण, स्कूल प्रशासकों के उन्मुखीकरण, संसाधन कक्ष की स्थापना, शिक्षण सामान्य शिक्षकों के लिए भत्ते की नियुक्ति शामिल कार्यान्वयन एजेंसी किसी भी राज्य सरकार / संघ राज्य क्षेत्र (यूटी) प्रशासन के स्कूल शिक्षा विभाग के कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करता है और 100 प्रतिशत केंद्रीय सहायता योजना में शामिल सभी मदों के लिए प्रदान की जाती है। विशेषाधिकार गैर सरकारी संगठनों, विकलांग की शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले इस योजना को लागू करने में पूरी तरह से लागू करने वाली एजेंसी के साथ झूठ को शामिल करने के लिए। राज्य सरकारों केवल रुपये की छात्रवृत्ति के लिए प्रावधान करने के लिए आवश्यक हैं। प्रतिवर्ष विकलांग बच्चे के प्रति 600।



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Thursday, August 15, 2019

Case Study (व्यक्तिगत अध्ययन)

Case Study (व्यक्तिगत अध्ययन)


केस स्टडी के सोपान

किसी भी केस के संबंध में अध्ययन प्रारम्भ करने से पूर्व उस केस के सब पहलुओं की सूची बना लेनी चाहिए अर्थात् मुख्य -मुख्य क्षेत्र निर्धारित कर लेने चाहिए। फिर प्रत्येक क्षेत्र या पहलू से संबंधित समग्र जानकारी प्राप्त करने हेतु केस की विशेषता को ध्यान में रखकर पद्धतियों और उपकरणों का चयन करना चाहिए।

केस स्टडी के उद्देश्य

 1. विद्यार्थी स्वतंत्र होकर, स्वयं ही सृजनात्मक ढंग से समस्या पर विचार कर सकेंगें।
 2. वे समस्या समाधान (Problem based learning) पहुंचने में सक्रिय हो  सकेंगें।
 3. वे अपने पूर्व ज्ञान का प्रयोग करते हुए प्रमाणों को संग्रह कर सकेंगें।
 4. घटनाक्रम में नवीन तथ्यों को जान सकेंगे।
 5. स्वयं अपने अनुभव से सीखते हुए ज्ञान प्राप्त कर सकेंगें।
 6. व्यक्तिगत, सामाजिक संबंधों को उत्तम ढंग से स्थापित कर सकेंगे।
 7. छात्रों में अभिप्रेरण एवं अभिव्यक्ति की क्षमता में वृद्धि हो सकेगी।
 8. छात्रों की उपलब्धियों का मूल्यांकन हो सकेगा।



केस स्टडी की विशेषताएं- 

1. शिक्षण-अधिगम की समस्याओं का समाधान व्यक्तिगत रूप में किया जाता है।

2. व्यक्तिगत अध्ययन में लिखित कार्य को विशेष महत्व दिया जाता है। शिक्षक छात्र को सीखने के लिए परिस्थिति (विषयवस्तु) प्रदान करता है, जिसमें छात्र अभ्यास तथा अनुक्रिया करता है। सीखने के साथ-साथ मूल्यांकन भी किया जाता है। छात्र अपने कार्यों का स्वयं मूल्यांकन भी करता है।

3. व्यक्तिगत अध्ययन में प्रत्येक छात्र को अपने ढंग से सीखने का अवसर दिया जाता है। इस विशेषता को स्वयं गति का सिद्धान्त भी कहते है।

4. इसमें छात्र बहुआयामी माध्यमों से सीखता है। कुछ छात्र सुनकर, कुछ देखकर तथा कुछ करके अधिक सीखते है। कुछ छात्र पढ़कर तथा कुछ लिखकर अधिक सीखते है।

5. व्यक्तिगत अध्ययन में शिक्षक अधिक उत्तरदायी होता है क्योंकि उसे प्रत्येक छात्र को व्यक्तिगत रूप से सिखाना होता है।

6. इसके अंतर्गत प्रत्येक छात्र को उसकी कठिनाईयों को दूर करने का अवसर दिया जाता है। सीखते समय पुनर्बलन तथा निरन्तर अभिप्रेरणा दी जाती है।


केस स्टडी की उपयोगिता-

1. इससे छात्रों में अधिगम अधिक प्रभावशाली होता है। जिससे छात्रों में योग्यता तथा अध्ययन संबंधी अच्छी आदतों का विकास होता है।
2. इससे छात्रों में धारण शक्ति का विकास होता है क्योंकि जो तथ्य निकाले जाते है उन्हें छात्र स्वयं निकालता है।
3. इससे छात्रों के उपलब्धि स्तर में वृद्धि होती है जो अध्ययन के प्रति धनात्मक अभिवृत्ति का विकास करती है।

4. इससे छात्रों में अपेक्षित अभिवृत्तियों का विकास होता है।

5. विभिन्न मानसिक स्तर के छात्रों को उनके ढंग से सीखने का अवसर मिलता है।

6. बहुस्तरीय शिक्षण में भी सहायता मिलती है।


व्यक्तिगत अध्ययन छात्रों को एक सार्थक ज्ञान प्रदान करता है जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के समाधान या अध्ययन के लिए किया जाता है। यह एक जटिल अधिगम का स्वरूप होता है। इसमें  सृजनात्मक चिन्तन निहित होता है और चिन्तन स्तर पर शिक्षण की व्यवस्था होती है।

 
         Case Study (व्यक्तिगत अध्ययन)

नाम      -  पार्वती गोस्वामी D/o दीवान गिरी
लिंग।    -   पुत्री,      जन्म तिथि - 25/03/1983
स्थिति   - MR/CP Daun Sandrom / paraplegia.
रोग       -   Maltipal disabilities
दृष्टि      -    Functionally Normal
श्रवण   -   Maniwal Hearing
श्रवण वाणी  - Uses on word Choog only
मानसिक स्थिति  - माइल्ड
पता      -  ग्राम - रॉल्याना  पोस्ट - मैगडी स्टेट
               जिला - बागेश्वर, उत्तराखंड 263635
एडिस  -   टॉयलेट की सही ब्यवस्था
व्यवहार -  शांत एम तीव्र  ऊतेजित
घर का वातावरण - साधारण
प्रसनल इंफॉर्मेशन - उम्र 33 वर्ष, काम सब कर लेती हैं। पाव टेरे व चपटे है। घिसकर चलती है, बोलने में भारी आवाज है, कान कम सुनती है। सारे कार्य स्वयं कर लेती हैं।
पता - उपरोक्त
विकास - जन्म से ही विकलांग है, जन्म के समय देर से रोई गामक विकास और शारीरिक विकास अक्षमता। गर्दन 8-9 माह और बैठना -12 माह, खड़ा होना 2साल, पूरा वाक्य बोलना 4-5साल

शिक्षा - आर्थिक स्थिति के कारण स्कूल नहीं गई
सिटिंग ग्रिड - घर पर सीढ़ियों में रेयलिंग व दरवाजे चोडे होने चाहिए

Aim of study - IQ leaval 50-70 सहायक उपकरणों की व्यवस्था करना भौतिक चिकत्सा व्यायाम चलने फिरने में कोई दिक्कत न हो इसलिए रैंप आदि की व्यवस्था। सामाजिक जारूकता, रोजगार के अवसर दिए जाने चाहिए। रूचि के अनुसार प्रशिक्षण देना तथा बाधामुक्त वातावण की व्यवस्था करना चाहिए। समाज में रहने खाने पीने के लिए जागरूक करना व सरकार द्वारा विकलांग पेंसिल व कार्ड बनवाना आदि।

Basic Goal - सहायक उपकरणों की व्यवस्था करना और उसके सभी कमजोरियों को दूर कर व्यावसायिक शिक्षा दिलाना।




Bariess - ऐसे बच्चों के लिए मैदान का साफ सुतरा होना आवश्यक होता है ताकि उसे चलने फिरने में कोई दिक्कत न हो।



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