Sunday, April 7, 2019

भारतीय पुनर्वास परिषद (RCI)

Rehabilitation Council of India(RCI)

भारतीय पुनर्वास परिषद को एक पंजीकृत सोसायटी के रूप मे १९८६ में स्थापित किया गया था। सितम्बर १९९२ को भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया और उस अधिनियम के द्वारा भारतीय पुनर्वास परिषद एक सांविधिक निकाय के रूप में २२ जून १९९३ को अस्तित्व मे आयी। अधिनियम को संसद द्वारा वर्ष २००० में इसे और अधिक व्यापक बनाने के लिए इसमे संसोधन किया गया। इस जनादेश के द्वारा भारतीय पुनर्वास परिषद के नीतियो व कार्यक्रमो को विनियमित करने, विकलांगता वाले व्यक्तियों के पुनर्वास एवं शिक्षा का दायित्व दिया गया, पाट्यक्रमो का मानकीकरण करना और एक केन्द्रिय पुनर्वास रजिस्टर सभी योग्य पेशेवरों और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले व्यवसायिको और कर्मिको को एक केन्द्रिय पुनर्वास पंजिका में पंजीकृत करने का कार्य सौपा गया। इस अधिनियम के तहत अयोग्य व्यक्तियों के द्वारा विक्लांगता वाले व्यक्तियों को सेवाएं देने के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाई करने का अधिकार प्रदान किया गया है। इसके वर्तमान अध्यक्ष मेजर जेनरल (सेवा निवृत) इआन कार्डोजो हैं। संस्थान बी-२२, कुतुब इन्स्टीटयूशनल एरिया, नई दिल्ली ११० ०१६ में स्थित है।


परिषद् का संगठन

राष्ट्रीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम 1992, की धारा 3 की उपधारा (1) और (3) के अनुरूप, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार एक जनरल काउंसिल का गठन करती है। जनरल काउंसिल सर्वोच्च निकाय है और विकलांग लोगों एवं उनके मूल्यांकन हेतु प्रशिक्षण नीतियों एवं कार्यक्रमों, पेशेवरों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के मानकीकरण का विनियमन करती है।

परिषद् के कृत्य एवं दायित्व

1. देशभर में सभी प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का मानकीकरण एवं नियमन करना

2. विकलांगों के पुनर्वास के संदर्भ में देश में और देश के बाहर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाने वाले प्रशिक्षण संस्थानों/विश्वविद्यालयों को मान्यता देना

3. पुनर्वास और विशिष्ट शिक्षा में अनुसंधान को बढ़ाना

4. पुनर्वास के क्षेत्र में मान्य योग्यता रखने वाले व्यक्तियों का व्यवसायों का एक केंद्रीय पुनर्वास रजिस्टर रखना

5. पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम जारी रखने को प्रोत्साहन देना और इसके लिए विकलांगता के क्षेत्र में कार्यरत संगठनों के साथ मिलकर कार्य करना

6. अक्षमता या विकलांग के लिए काम करने वाली संस्थाओं एवं संगठनों के साथ सहयोग करके पुनर्वास एवं विशेष शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर शिक्षा को प्रोत्साहित करना

7. व्यावसायिक पुनर्वास केंद्रों को मानव संसाधन विकास केंद्रों के रूप में मान्यता प्रदान करना

8. व्यावसायिक पुनर्वास केंद्रों में कार्यरत व्यावसायिक इंस्ट्रक्टर एवं अन्य कर्मियों को पंजीकृत करना,

9. अपंगता के सम्बद्ध राष्ट्रीय संस्थानों एवं उच्च या शीर्ष निकायों की मानव संसाधन विकास केंद्रों के तौर पर मान्यता प्रदान करना।

10. अपंगता संबंधी राष्ट्रीय संस्थानों और शीर्ष संस्थानों में कार्यशील कार्मिकों को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय अधीन पंजीकृत करना।


उद्देश्य

वि व्यक्तियों के पुनर्वास के क्षेत्र में प्रशिक्षण नीतियों और कार्यक्रमों को विनियमित करना।

  1. विकलांग व्यक्तियों से संबंधित व्यावसायिक/कार्मिकों की विभिन्न श्रेणियों के शिक्षण और प्रशिक्षण के न्यूनतम मानक निर्धारित करना।
  2. विकलांग व्यक्तियों के लिए कार्य कर रहे व्यावसायियों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में मानकीकरण लाना।
  3. देश में सभी संस्थाओं में समान रूप से इन मानकों को विनियमित करना।
  4. निःशक्त व्यक्तियों के पुनर्वास के क्षेत्र में स्नातकोत्तर डिग्री /स्नातक डिग्री/स्नातकोत्तर डिप्लोमा/ प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम चलाने वाली संस्थाओं/विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करना।
  5. विदेशी विश्वविद्यालयों/संस्थाओं द्वारा डिग्रियों/डिप्लोमाओं/प्रमाणपत्रों को पारस्परिक आधार पर मान्यता प्रदान करना।
  6. मान्यता प्राप्त पुनर्वास योग्यता रखने वाले व्यावसायिकों/कार्मिकों के केन्द्रीय पुनर्वास रजिस्टर का रखरखाव करना।
  7. भारत और विदेश में कार्यरत संगठनों के सहयोग के द्वारा पुनर्वास के क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण के संबंध में नियमित आधार पर सूचना एकत्र करना।
  8. देश और विदेश में कार्यरत संगठनों के सहयोग के द्वारा पुनर्वास और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में अनुवर्ती शिक्षा को प्रोत्साहित करना।
  9. व्यावसायिक पुनर्वास केन्द्रों को जनशक्ति विकास केन्द्रों के रूप में मान्यता देना।
  10. व्यावसायिक पुनर्वास केन्द्रों में कार्यरत व्यावसायिक अनुदेशकों और अन्य कार्मिकों को पंजीकृत करना।
  11. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय संस्थाओं और शीर्ष संस्थानों में कार्यरत कार्मिकों को पंजीकृत करना।


भारतीय पुनर्वास अधिनियम, 1992 के अंतर्गत निःशक्त व्यक्तियों के अधिकार

1--परिषद द्वारा रखे जा रहे रजिस्टरों में जिन प्रशिक्षित और विशेषज्ञ व्यावसायिकों के नाम दर्ज हैं, उनके द्वारा विकलांगजनों को लाभ पहुंचाना ।

2- शिक्षा के उन न्यूनतम मानकों को बनाए रखने की गारंटी जो भारत में विश्वविद्यालयों या संस्थानों द्वारा पुनर्वास अर्हता की मान्यता के लिए अपेक्षित हैं ।


3- शिक्षा के उन न्यूनतम मानकों को बनाए रखने की गारंटी जो भारत में विश्वविद्यालयों या संस्थानों द्वारा पुनर्वास अर्हता की मान्यता के लिए अपेक्षित हैं ।

4- केन्द्र सरकार के नियंत्रणाधीन और अधिनियम द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर किसी सांविधिक परिषद द्वारा पुनर्वास व्यावसायिकों के व्यवसाय के विनियम की गारंटी ।
 है ।


भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम, 1992 और संशोधन अधिनियम, 2000

  1. भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम पेशेवर पुनर्वास कर्मियों के प्रशिक्षण के नियमन और मान्यता प्राप्त पुनर्वास योग्यताएं रखने वाले पेशेवर पुनर्वास कर्मियों का नामांकन करने के लिए एवं केंद्रीय पुनर्वास पंजिका के संधारण के लिए भारतीय पुनर्वास परिषद के गठन की व्यवस्था करता है।
  2. अधिनियम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि नि:शक्त व्यक्तियों का उपचार योग्य कार्मिकों द्वारा किया जाये और यह प्रत्यायन (एक्रीडीशन) तथा गुणवत्ता नियंत्रण सुविधा के रूप में कार्य करता है।
  3. यह अधिनियम परिषद के गठन, सदस्यता और कार्यों का विस्तार से प्रतिपादन करता है। इस अधिनियम की एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता है – पेशेवर पुनर्वास कर्मियों के लिए विश्वविद्यालय या अन्य संस्था द्वारा प्रदान की गई योग्यताओं को मान्यता देना।
  4. इस अधिनियम में पाठयक्रमों और विश्वविद्यालयों संस्थाओं के नामों के साथ मान्यता प्राप्त पुनर्वास योग्यताओं की विस्तृत सूची दी गई है। इसके साथ ही यह अधिनियम सरकार में या किसी संस्था में पद-ग्रहण की दृष्टि से और देश के किसी भी भाग में पेशेवर पुनर्वास कर्मियों के रूप में कार्य करने के मान्यता-प्राप्त योग्यताओं वाले पेशेवर पुनर्वास कर्मियों के अधिकारों को निर्धारित करता है।



अधिनियम के अनुसार पुनर्वास परिषद के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं –

  1. पुनर्वास योग्यता को मान्यता देने के लिए शिक्षा के न्यूनतम स्तर सुनिश्चित करना,
  2. केंद्रीय पुनर्वास पंजिका में पेशेवर कर्मियों का पंजीकरण करना,
  3. पेशेवर आचार संहिता के मानदंड निर्धारित करना और केंद्रीय पुनर्वास पंजिका से नामों को हटाना।
  4. भारतीय पुनर्वास परिषद (संशोधन) अधिनियम, 2000 को पिछले अधिनियम में सुधार करने और उसके कार्यान्वयन कार्यतंत्र में सुधार हेतु लाया गया था।
  5. इस अधिनियम में शामिल महत्वपूर्ण संशोधनों में पेशेवर पुनर्वास कर्मियों के अनुश्रवण और प्रशिक्षण के तथा पुनर्वास और विशेष शिक्षा में शोध के घटक निगरानी के द्वारा, इस परिषद के कार्य के दायरे का विस्तार करना शामिल है।
  6. इसके अलावा इसमें नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 में दी गई नि:शक्तता की परिभाषा को अपनाया गया है और यह उल्लेख किया गया है कि परिषद् का अध्यक्ष नि:शक्तता के क्षेत्र में अनुभव रखने वाला पेशेवर योग्यता वाला व्यक्ति होना चाहिए।




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