Monday, April 8, 2019

दिव्यांगो के लिए राष्ट्रीय नीति

दिव्यागों के लिए राष्ट्रीय नीति

परिचय

१. भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा सुनिश्चित करता है और स्पष्ट रूप से यह विकलांग व्यक्तियों समेत एक संयुक्त समाज बनाने पर जोर डालता है। हाल के वर्षों में विकलांगों के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है। यह माना जाता है कि यदि विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो वे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

२. जनगणना 2001 के मुताबिक, देश में 2.19 करोड़ व्यक्ति विकलांगता के शिकार हैं, जो कुल जनसंख्या का 2.13% हिस्सा है। 75% विकलांग व्यक्ति ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, तथा 49% विकलांग व्यक्ति साक्षर हैं व 34% रोजगार प्राप्त हैं। पूर्व के मेडिकल पुनर्वास पर जोर डालने की बजाए अब सामाजिक पुनर्वास पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। विकलांगों की बढ़ती योग्यता की पहचान की जा रही है, और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किए जाने पर बल दिया जा रहा है। भारत सरकार ने विकलांगों के लिए तीन कानूनों को लागू किया है, जो इस प्रकार हैं:

i.     विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995, जो ऐसे लोगों को शिक्षा, रोजगार, अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण, सामाजिक सुरक्षा इत्यादि प्रदान करता है।

ii.     ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंदबुद्धि व बहुविकलांगता के लिए राष्ट्रीय कल्याण ट्रस्ट अधिनियम 1999 में चारों वर्गों के कानूनी सुरक्षा तथा उनके स्वतंत्र जीवन हेतु सहसंभव वातावरण के निर्माण का प्रावधान है।

iii.     भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम 1992, पुनर्वास सेवाओं के लिए मानव-बल विकास का प्रयास करता है।

३. कानूनी फ्रेमवर्क के अलावा, गहन संरचना का विकास किया गया है। निम्न सात राष्ट्रीय संस्थान हैं जो मानव बल के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं, ये इस प्रकार हैं:

  • शारीरिक विकलांग संस्थान, नई दिल्ली
  • राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान, देहरादून
  • राष्ट्रीय ऑर्थोपेडिक विकलांग संस्थान, कोलकाता।
  • राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान, सिकंदराबाद।
  • राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुम्बई
  • राष्ट्रीय पुनर्वास तथा अनुसंधान संस्थान, कटक।
  • राष्ट्रीय बहु-विकलांग सशक्तीकरण संस्थान, चेन्नई।


४. पांच संयुक्त पुनर्वास केंद्र, चार पुनर्वास केंद्र तथा 120 विकलांग पुनर्वास केंद्र हैं, जो लोगों को विभिन्न प्रकार की पुनर्वास सेवाएं प्रदान करते हैं।

पुनर्वास के क्षेत्र में स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कई राष्ट्रीय संस्थान हैं, जैसे मानसिक स्वास्थ्य तथा न्यूरो विज्ञान राष्ट्रीय संस्थान, बंगलुरू; अखिल भारतीय शारीरिक चिकित्सा तथा पुनर्वास, मुम्बई; अखिल भारतीय वाणी तथा श्रवण संस्थान, मैसूर; केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान, रांची इत्यादि। इसके अलावा कुछ राज्य सरकार के संस्थान भी पुनर्वास सेवाएं प्रदान करते हैं। साथ ही, 250 निजी संस्थान भी हैं जो पुनर्वास कर्मचारियों के लिए पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।

५. विकलांग व्यक्तियों के स्व-रोजगार के लिए राष्ट्रीय अपंग तथा वित्तीय विकास निगम (NHFDC) राज्य की एजेंसियों द्वारा छूट के साथ ऋण मुहैया कराता रहा है।

६. विकलांगों के कल्याण के लिए ग्रामीण स्तर, अंतर्वर्ती स्तर व जिला स्तर पर पंचायती राज संस्थान प्रयासरत है।

७. भारत, एशिया प्रशांत क्षेत्र के विकलांग व्यक्तियों की समानता व पूर्ण भागीदारी की घोषणा-पत्र का सदस्य है। भारत एक समावेशिक, अवरोध मुक्त तथा आधिकार अधारित समाज के निर्माण की दिशा में प्रयास करने के लिए बिवाको मिलेनियम फ्रेमवर्क का भी सदस्य है। मौजूदा समय में भारत राष्ट्रीय विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों तथा गरिमा की रक्षा व समर्थन घोषणा-पत्र में भाग ले रहा है।


राष्ट्रीय नीति का विवरण

८. राष्ट्रीय नीति मानता है कि विकलांग व्यक्ति देश के लिए मूल्यवान मानव संसाधन होते हैं, तथा यह ऐसे व्यक्तियों को समान अवसरों, उनके अधिकार की सुरक्षा तथा समाज में पूर्ण भागीदारी का प्रयास करती है। इस नीति के उद्देश्य निम्न हैं:

विकलांगता की रोकथाम

९. चूंकि कई सारे मामलों में विकलांगता को रोका जा सकता है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए कड़े प्रयास करने की आवश्यकता होगी। ऐसे रोगों की रोकथाम के लिए कार्यक्रम को काफी बढ़ावा देना होगा, जिससे विकलांगता उत्पन्न होती है और गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद होने वाली विकलांगता के लिए जागरुकता फैलाने की जरूरत है।

पुनर्वास के उपाय

१०. पुनर्वास के उपायों को मूलतः 3 अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

शारीरिक पुनर्वास, जिसमें आरंभिक पहचान तथा उपचार, परामर्श व चिकित्सा तथा मदद व उपकरण का प्रावधान है। इसमें पुनर्वास कर्मचारियों का विकास भी शामिल है।
व्यावसायिक शिक्षा समेत शैक्षणिक पुनर्वास, तथा
समाज में गरिमामय जीवन जीने के लिए आर्थिक पुनर्वास।

क. शारीरिक पुनर्वास रणनीति

. आरंभिक पहचान तथा उपचार

११. विकलांगता की आरंभिक पहचान व दवा या गैर-दवा उपचारों के जरिए इसकी चिकित्सा से इन रोगों की गंभीरता को कम करने में मदद मिलती है। अतः आरंभिक पहचान तथा आरंभिक उपचार के साथ आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। सरकार खासकर ग्रामीण इलाकों में ऐसी सुविधाओं की उपलब्धता के लिए सूचना का प्रसार करेगी।

(ख) परामर्श तथा मेडिकल पुनर्वास

१२. शारीरिक पुनर्वास उपाय में शामिल हैं- परामर्श, विकलांग व्यक्तियों व उनके परिवारों की क्षमता को सुदृढ़ करना, मनोचिकित्सा, फीजियो थेरैपी, व्यावसायिक थेरैपी, सर्जिकल सुधार, उपचार, दृष्टि मूल्यांकन, दृष्टि उत्तेजन, स्पीच थेरैपी प्रदान किए जाएंगे तथा ऑडियोलॉजिकल पुनर्वास व विशेष शिक्षा मुहैया कराया जाएगा, जिन्हें राज्य सरकारों, स्थानीय संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों व विकलांगों के माता-पिता के जरिए सभी जिलों तक प्रसारित किया जाएगा।

१३. वर्तमान में पुनर्वास सेवाएं मुख्यतः शहरी और उसके आस-पास के इलाकों में उपलब्ध हैं। चूंकि 75% विकलांग व्यक्ति देश के ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, पेशेवरों द्वारा चलाई जा रही सेवाओं को ऐसे अछूते इलाकों तक पहुंचाया जाएगा। निजी पुनर्वास सेवा केंद्रों को एक न्यूनतम मानकों के अनुपालन के लिए नियंत्रित किया जाएगा।

१४. ग्रामीण तथा अछूते इलाकों में कवरेज का प्रसार करने के लिए, नए जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की जाएगी, जिसके लिए राज्य सरकार की सहायता ली जाएगी।

१५. अधिकृत सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता-“आशा” (ASHA) के जरिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ग्रामीण लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, खासकर समाज के कमजोर वर्गों के लोगों को इसमें शामिल किया गया है। मूल स्तर पर “आशा” विकलांग व्यक्तियों के लिए विशद सेवाओं की देखभाल करेगी।

(ग) सहायक उपकरण

१६. भारत सरकार विकलांगों को आईएसआई प्रमाणित टिकाऊ तथा वैज्ञानिक रूप से निर्मित, आधुनिक यंत्र व उपकरण की खरीद के लिए सहायता देती रही है, जिससे उनके शारीरिक, सामाजिक व मनोवैज्ञानिक निर्भरता को कम करते हुए विकलांगता के प्रभाव को कम किया जा सके।

१७. राष्ट्रीय संस्थानों, राज्य सरकारों, डीडीआरसी व गैर सरकारी संगठनों के जरिए हर साल विकलांगों को प्रोस्थेसिस तथा ऑर्थोसेस, ट्राइसाइकिल, व्हील चेयर, सर्जिकल फुटवेयर व दैनिक जीवन में काम आने वाले व सीखने वाले यंत्र (ब्रेल लेखन यंत्र, डिक्टाफोन, सीडी प्लेयर/ टेप रिकॉर्डर), लो विजन यंत्र, चलने-फिरने के लिए विशेष यंत्र- जैसे अंधे व्यक्तियों के लिए छड़ी, श्रवण यंत्र, शैक्षणिक किट्स, बातचीत करने वाले यंत्र, मदद करने और अलर्ट करने वाले यंत्र और ऐसे यंत्र जो मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति के लिए बनाए जाते हैं। इन उपकरणों की उपलब्धता को अछूते व सेवा वाले क्षेत्रों तक विस्तार करना।

१८. विकलांग व्यक्तियों के लिए हाइटेक सहायक यंत्रों क निर्माण में शामिल निजी, सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

(घ) पुनर्वास कर्मचारियों का विकास

१९. विकलांग व्यक्तियों के लिए आवश्यक मानव संसाधन की जरूरतों का मूल्यांकन किया जाएगा तथा विकास योजना तैयार की जाएगी, ताकि पुनर्वास रणनीति हेतु मानव बल की कमी न हो।

ख. विकलांग व्यक्तियों के लिए शिक्षा

२०. सामाजिक तथा आर्थिक सशक्तीकरण के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी माध्यम होता है। संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत, जहां शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है और विकलांग अधिनियम 1995 के अनुच्छेद 26 में विकलांग बच्चों को 18 वर्षों की उम्र तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है । जनगणना 2001 के मुताबिक, 51% विकलांग व्यक्ति निरक्षर हैं। यह एक बहुत बड़ी प्रतिशतता है। विकलांग लोगों को सामान्य शिक्षा प्रणाली की मुख्यधारा में लाने की जरूरत है।

२१. सरकार द्वारा चलाया गया सर्व शिक्षा अभियान (SSA) का 8 वर्षों तक बच्चों के प्राथमिक स्कूलिंग प्रदान करने का लक्ष्य है, जिसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चे भी शामिल हैं। विकलांग बच्चों के लिए समेकित शिक्षा के तहत 15 से 18 वर्षों तक की उम्र के विकलांग बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी।

२२. सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा विकल्पों का एक सातत्य, सीखने वाले यंत्र औजार, गत्यात्मकता सहायता, सहायक सेवाएं इत्यादि विकलांग छात्रों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें शामिल है मुक्त शिक्षण प्रणाली, ओपन स्कूल, वैकल्पिक स्कूलिंग, दूर शिक्षा, विशेष स्कूल, जहां भी आवश्यक हो घर आधारित शिक्षा, भ्रमणकारी शिक्षक मॉडल, उपचार वाली शिक्षा, पार्ट टाइम कक्षाएं, समुदाय आधारित पुनर्वास व व्यावसायिक शिक्षा के जरिए शिक्षा प्रदान करने का कार्य।

२३. राज्य सरकारों, स्वायत्त निकायों तथा स्वयंसेवी संगठनों के जरिए क्रियान्वित आईईडीसी योजना विशेष शिक्षकों, पुस्तक व लेखन सामग्रियों, यूनिफॉर्म, परिवहन, दृष्टि से कमजोर व्यक्तियों के लिए पाठक भत्ता, हॉस्टल भत्ता, उपकरण लागत, वास्तु अवरोधों को हटाता/सुधार करना, निर्देशात्मक सामग्रियों की खरीद/उत्पादन के लिए वित्तीय सहायता, सामान्य शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण व संसाधन कमरों के लिए यंत्र-उपकरण जैसी सुविधाओं के लिए सौ फीसदी वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

२४. नियमित सर्वेक्षणों, उचित स्कूलों में उनकी उपस्थिति और शिक्षा पूरी करने तक उनकी निरंतरता के जरिए बच्चों में विकलांगता की पहचान हेतु सरकार की ओर से केंद्रित प्रयास किया जाएगा। सरकार विकलांग बच्चों को सही प्रकार की शिक्षण सामग्रियों तथा पुस्तक प्रदान करने, शिक्षकों व स्कूलों को सही रूप से प्रशिक्षण व सुग्राही बनाने के लिए प्रयास करेगी, जो पहुंच में आने योग्य तथा विकलांग हितैषी हो।

२५. भारत सरकार ऐसे विकलांग छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करती है ताकि स्कूल के बाद के स्तर पर पढ़ाई में उन्हें मदद मिल सके। सरकार यह छात्रवृत्ति जारी रखेगी व इसके कवरेज का विस्तार करेगी।

२६. विभिन्न प्रकार की उत्पादक गतिविधियों के लिए उपयुक्त योग्यता निर्माण के लिए तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा सुविधा प्रदान की जाएगी। जिसके लिए मौजूदा संस्थान या कार्यरत या अछूते क्षेत्रों के अधिकृत संस्थानों का अनुकूलन किया जाएगा। गैर सरकारी संगठनों को भी व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

२७. विकलांग व्यक्तियों को उच्च शिक्षा व व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए विश्व विद्यालयों, तकनीकी संस्थानों तथा उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों में पहुंच प्रदान की जाएगी। ही

ग. विकलांग व्यक्तियों के लिए आर्थिक पुनर्वास

२८. विकलांग व्यक्तियों के आर्थिक पुनर्वास में संगठित क्षेत्र में दिहाड़ी रोजगार तथा स्व-रोजगार भी शामिल है। सेवाओं को इस प्रकार बढ़ावा दिया जाए कि व्यावसायिक पुनर्वास केंद्र तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों को विकसित किया जा सके, ताकि ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के विकलांगों को उत्पादक तथा लाभकारी रोजगार मुहैया कराया जा सके। विकलांगों के आर्थिक सशक्तीकरण हेतु रणनीतियां निम्नानुसार होंगी:

(i) सरकारी महकमों में रोजगार

विकलाँग व्यक्ति अधिनियम, 1995 सरकारी महकमों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 3% का आरक्षण का प्रावधान करता है। विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में समूह ए, बी, सी तथा डी के लिए सरकार के आरक्षण की स्थिति क्रमशः 3.07%, 4.41%, 3.76% तथा 3.18% है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में यह स्थिति क्रमशः 2.78%, 8.54%, 5.04% तथा 6.75% है। सरकार विकलाँग व्यक्ति अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के अनुरूप चिह्नित पदों के लिए सरकारी क्षेत्र में (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों समेत) आरक्षण सुनिश्चित करेगी। चिह्नित पदों की सूची को वर्ष 2001 में अधिसूचित किया गया है, जिसकी समीक्षा की जाएगी और अद्यतन किया जाएगा।

(ii) निजी क्षेत्र में दिहाड़ी रोजगार

निजी क्षेत्र में विकलाकों को रोजगार के लिए सक्षम बनाने के लिए उनकी योग्यता का विकास किया जाएगा। विकलांग व्यक्तियों के बीच उचित योग्यता के विकास हेतु संचालित व्यावसायिक पुनर्वास तथा प्रशिक्षण केंद्र को उनकी सेवाओं के विस्तार के लिए बढ़ावा दिया जाएगा। सेवा क्षेत्र में रोजगार अवसरों के तीव्र विकास को देखते हुए विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों को बाजार की जरूरतों के मुताबिक योग्यता निर्माण के लिए बढ़ावा दिया जाएगा। इनसेंटिव, पुरस्कार, कर में छूट इत्यादि जैसे सक्रिय उपायों द्वारा निजी क्षेत्रों में विकलांग व्यक्तियों को रोजगार सृजन के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।

(iii) स्व-रोजगार

संगठित क्षेत्र में विकलांग लोगों के रोजगार के अवसरों के विकास की धीमी दर को देखते हुए, स्व-रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाएगा। ऐसा व्यावसायिक शिक्षा तथा प्रबंधन प्रशिक्षण के जरिए किया जाएगा। इसके अलावा एनएचएफडीसी से आसानी से ऋण मुहैय्या कराने की मौजूदा प्रणालियों से यह काफी पारदर्शक और दक्ष प्रक्रिया बन गई है। सरकार इंसेंटिव, कर से छूट, ड्यूटी से छूट, विकलांगों के लिए सेवा देने वाले तथा सामान बनाने वाले उपक्रमों को सरकार द्वारा बढ़ावा देकर, सरकार स्व-रोजगार को प्रोत्साहित करेगी। विकलांगों द्वारा बनाए स्वयं-सहायता समूह के लिए वित्तीय सहायता को प्राथमिकता दी जाएगी।

विकलांग महिलाएं

२९. जनगणना -2001 के मुताबिक, देश में 93.01 लाख विकलांग महिलाएं हैं जो कुल विकलांग आबादी का 42.46% हिस्सा निर्मित करती हैं। विकलांग महिलाओं को शोषण व दुर्व्यवहार से बचाने की जरूरत है। विकलांग महिलाओं की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा, रोजगार तथा अन्य पुनर्वास सेवाओं के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। विशेष शिक्षा तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाओं की स्थापना की जाएगी। परित्यक्त विकलांग महिलाओं/लड़कियों के पुनर्वास के लिए कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जहां परिवारों द्वारा उन्हें स्वीकार करने, उनके निवास में मदद करने और लाभप्रद रोजगार योग्यताओं को हासिल कराने के प्रयास किए जाएंगे। सरकार उन परियोजनाओं को प्रोत्साहित करेगी जहां विकलांग महिलाओं के प्रतिनिधि को कम से कम कुल लाभ का 25% तक प्रदान किया जा सके।

३०. विकलांग महिलाओं के लिए कम समय के लिए रहने के लिए घर, नौकरी-पेशा महिला के लिए हॉस्टल तथा बुजुर्ग विकलांग महिलाओं के लिए घर प्रदान करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

३१. यह देखा गया है कि विकलांगता से ग्रस्त महिलाओं में उनके बच्चों की देखभाल की गंभीर समस्या होती है। सरकार ऐसी विकलांग महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, ताकि वे अपने बच्चों के परवरिश के लिए आवश्यक सेवाओं को उपलब्ध करा सके। ऐसी सहायता अधिकतम दो सालों तक 2 बच्चों के लिए मुहैय्या कराई जाएगी।

विकलांग बच्चे

३२. विकलांगता के शिकार बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील समूह के होते हैं और उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए सरकार निम्नांकित कदम उठाएगी:

1. विकलांग बच्चों की देखभाल, सुरक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करेगी;

2. गरिमा तथा समानता के लिए विकास के अधिकार को सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि एक सक्षम वातावरण का निर्माण किया जाए जहां विक्लांग बच्चे अपने अधिकार की पूर्ति कर सके और विभिन्न कानूनों के अनुरूप समान अवसरों का लाभ उठाकर पूर्ण भागीदारी प्रदर्शित कर सके।

3. विकलांग  बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ विशेष पुनर्वास सेवाओं को शामिल किया जाएगा। गंभीर विकलांगता के शिकार बच्चों के लिए विकास के

4. अधिकार तथा विशेष आवश्यकताओं व देखभाल, सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा।



३३. अवरोध-मुक्त वातावरण से विकलांग व्यक्ति सुरक्षित तथा आसानीपूर्वक चल-फिर सकते हैं। अवरोधमुक्त डिजाइन का उद्देश्य है कि विकलांग लोगों को ऐसा वातावरण प्रदान किया जाए जहां वे अपनी दैनिक गतिविधियों में बिना किसी सहायता के गमन कर सकें। इसलिए जितना अधिक संभव हो, सार्वजनिक भवनों, स्थानों, परिवहन प्रणालियों को अवरोध मुक्त रखा जाएगा।


विकलांगता प्रमाणपत्र जारी करना

३४. भारत सरकार ने विकलांगता के मूल्यांकन व प्रमाणपत्र के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इसके तहत सरकार सुनिश्चित करेगी कि विकलांग व्यक्ति कम से कम समय में बिना किसी परेशानी के विकलांगता प्रमाणपत्र प्राप्त कर सके, जिसके लिए सरल, पारदर्शक व ग्राहकोन्मुख प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा।

सामाजिक सुरक्षा

३५. विकलांग व्यक्तियों, उनके परिवार तथा उनकी देखभाल करने वालों को पर्याप्त अतिरिक्त व्यय राशि दी जाएगी ताकि वे दैनिक कार्यों, मेडिकल देखभाल, परिवहन, सहायक उपकरणों को खरीद सकें। इसलिए उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार विकलांग व्यक्तियों व उनके अभिभावकों को करों में छूट दे रही है। राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेशों  को बेरोजगार भत्ता या विकलांगता पेंशन मुहैया कराया जा रहा है। राज्य सरकारों को विकलांगों के लिए एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा नीति के विकास के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।

३६. ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंद तथा बहु-विकलांगता के शिकार बच्चों के माता-पिता अपनी मृत्यु के बाद ऐसे बच्चों की देखभाल को लेकर काफी असुरक्षित महसूस करते हैं। ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंद तथा बहु-विकलांगता के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट स्थानीय स्तर की समिति द्वारा कानूनी अभिभावकत्व प्रदान करता आ रहा है। वे सहायता प्राप्त अभिभावकत्व योजना का भी क्रियान्वयन कर रहे हैं, ताकि दरिद्र तथा परित्यक्त व्यक्ति जिनमें उपरोक्त गंभीर विकलांगता हो, उन्हें वित्तीय मदद की जा सके। यह योजना मौजूदा समय में कुछ जिलों में लागू की जा रही है, अब इसे योजनाबद्ध तरीके से अन्य क्षेत्रों में भी प्रसारित किया जाएगा।


गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को प्रोत्साहन

३७. राष्ट्रीय नीति गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को एक काफी अहम संस्थानिक प्रणाली के रूप में मानती है, जो सरकार के प्रयासों को लागू करने का एक सस्ता माध्यम है।

एनजीओ सेक्टर गतिशील व उदयीमान क्षेत्र है। विकलांग व्यक्ति को सेवा देने के प्रावधान में इसने एक अहम भूमिका निभाई है। कुछ एनजीओ मानव संसाधन विकास तथा अनुसंसाधन कार्य संचालित कर रहे हैं। सरकार भी उन्हें सक्रिय रूप से नीति के सूत्रीकरण, योजना, क्रियान्वयन, निगरानी में शामिल किया है और विकलांगता से जुड़े कई मुद्दे पर उनसे परामर्श प्राप्त कर रही है। एनजीओ के साथ कार्य-व्यवहार को विकलांगता से जुड़े योजना, नीति सूत्रीकरण तथा क्रियान्वयन के क्षेत्र में बढ़ाया जाएगा। नेटवर्किंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एनजीओ के बीच अच्छे कार्य पद्धतियों को साझा करने की प्रयास को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए निम्न कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे:


1. विकलांगता के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ का एक निर्देशिका तैयार किया जाएगा, जहां उनके प्रमुख कार्यों के साथ उनके कार्य क्षेत्र का भी उल्लेख किया जाएगा। केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा समर्थित एनजीओ के लिए उनके संसाधन स्थिति, वित्तीय तथा मानव बल की भी सूचना दी जाएगी। विकलांग व्यक्तियों के संगठन, पारिवारिक संघों तथा उनके माता-पिता का समर्थन करने वाले समूह को भी इस निर्देशिका में शामिल किया जाएगा, जहां उनका अलग से उल्लेख किया जाएगा।
ii.     एनजीओ के कार्यों के विकास में क्षेत्रीय/राज्य असुंतलन मौजूद है। अनारक्षित तथा सुदूर इलाकों में इस दिशा में काम करने वाले एनजीओ को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा उनका संदर्भ प्रस्तुत किया जाएगा। प्रतिष्ठित एनजीओ को भी ऐसे इलाकों में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
iii.     एनजीओ को न्यूनतम मानक, आचार संहिता तथा नैतिकता के विकास के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
iv.     एनजीओ को उनके कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण तथा जानकारी प्रदान करने के अवसर प्रदान किए जाएंगे। प्रबंधन क्षमता की प्रशिक्षण पहले से दी जा रही है, इसे और भी मजबूत बनाया जाएगा। पारदर्शिता, जिम्मेदारी, प्रक्रिया की सरलता इत्यादि एनजीओ-सरकार के सहयोग के दिशा-निर्देशक कारक होंगे।

v . एनजीओ को उनके संसाधन को विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता पर उनकी निर्भरता कम की जा सके तथा इस क्षेत्र में फंड की उपलब्धता में भी सुधार किया जा सके। एक योजनाबद्ध तरीके से एनजीओ को मिलने वाली सहायता में कमी करना होगा ताकि उपलब्ध संसाधनों के भीतर मदद की जाने वाली एनजीओ की संख्या अधिकतम हो। इस दिशा में एनजीओ को संसाधन के एकत्रण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा


विकलांग व्यक्तियों से जुड़ी जानकारी का नियमित संग्रह

३८. विकलांग व्यक्तियों के सामाजिक दशा प्रकाशन तथा विश्लेषण की आवश्यकता है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन वर्ष 1981 से नियमित रूप से हर दस साल पर एक बार विकलांग व्यक्तियों की सामाजिक दशा से जुड़े आंकड़ों का नियमित संग्रह, प्रकाशन तथा विश्लेषण करता है। जनगणना-2001 से भी जनगणना में विकलांग व्यक्ति की सूचनाओं को एकत्र किया जाने लगा है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन को पांच साल में एक बार विकलांगता के शिकार व्यक्तियों की सूचनाएं एकत्र करनी होगी। दोनों एजेंसियों के आंकड़ों के बीच के अंतर को मिलाया जाएगा।

३९. सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय के तहत विकलांग व्यक्तियों के लिए एक व्यापक वेबसाइट का निर्माण किया जाएगा। सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के संगठनों को ऐसी वेबसाइट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसे दृष्टि विकलांग व्यक्ति स्क्रीन रीडिंग तकनीक के जरिए पढ़ सके।


अनुसंधान

४०. विकलांगता के शिकार व्यक्तियों के जीवन में सुधार लाने के लिए उनकी सामाजिक-आर्थिक दशा तथा सांस्कृतिक संदर्भ, विकलांगता के कारण, आरंभिक बाल शिक्षा विधि, प्रयोक्ता हितैषी यंत्रों-उपकरणों और विकलांगता से जुड़े सभी मामलों पर अनुसंधान कार्य किए जाएंगे, जो उनके जीवन की गुणवत्ता में अहम बदलाव लाएगा व उनकी चिंताओं के प्रति नागरिक समाज की प्रतिक्रिया में सुधार होगा। जहां कहीं भी विकलांगता के शिकार व्यक्तियों के ऊपर अनुसंधान कार्य या चिकित्सा कार्य संपन्न किए जाने होंगे, उनके माता-पिता या अभिभावक से इसकी अनुमति अवश्य लेनी होगी।


खेल-कूद, मनोरंजन तथा सांस्कृतिक जीवन

४१. उपचारात्मक तथा सामुदायिक भावना के विकास के लिए खेल-कूद की भूमिका अहम होती है। विकलांग व्यक्तियों को खेल-कूद, मनोरंजन तथा सांस्कृतिक सुविधाओं का लाभ उठाने का पूरा अधिकार है। सरकार उन्हें विभिन्न खेल-कूदों, मनोरंजन तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में  भाग लेने हेतु अवसर प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।


विकलांगता से निपटने वाले मौजूदा अधिनियमों में सुधार

४२. विकलांग (समान अवसर, अधिकारों की सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 को पास हुए दस साल बीत गए हैं। इस कानून को लागू करने तथा विकलांगता के क्षेत्र में हुए प्रगति से मिले अनुभव से इस अधिनियम में कुछ संशोधन आवश्यक हो गए हैं। इससे जुड़े उपक्रमों के परामर्श के बाद ये सुधार संपन्न किये जाएगे। आरसीआई तथा राष्ट्रीय ट्र्स्ट अधिनियम की भी समीक्षा की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर उनमें संशोधन भी किया जाएगा।

बदलाव के मुख्य क्षेत्र

रोकथाम, आरंभिक पहचान तथा उपचार

४३. विकलांगता की रोकथाम तथा आरंभिक पहचान के लिए निम्न कार्य संपन्न किए जाएंगे:

1. टीकाकरण (बच्चों तथा होने वाली मां के लिए), सार्वजनिक स्वास्थ्य व स्वच्छता के प्रसार के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा स्थानीय कार्यक्रम चलाए जाएंगे।

2. बच्चों में विकलांगता की जल्दी पहचान करने के लिए मेडिकल तथा पारा-मेडिकल स्टाफ को समुचित प्रशिक्षण दिया जाएगा।

3. विकलांगता की रोकथाम, आरंभिक पहचान तथा उपचार  के लिए  प्रशिक्षण मॉड्यूल तथा सुविधाओं का विकास किया जाएगा, जो मेडिकल तथा पारा-मेडिकल स्वास्थ्य कर्मचारियों व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए तैयार किए जाएंगे।

4. मेडिकल शिक्षा में उत्तरस्नातक तथा अंतरस्नातक डिग्री पाठ्यक्रम में विकलांगता की रोकथाम, आरंभिक पहचान व उपचार के अध्याय भी शामिल किए जाएंगे।

5. विकलांग व्यक्ति के परिवार के लिए विकांगला से जुड़े विशेष पुस्तिका का विकास किया जाएगा तथा इसे निःशुल्क बांटा जाएगा।

6. मानव संसाधन विकास संस्थान यह सुनिश्चित करता है कि सहायक सेवाओं- जैसे विशेष शिक्षा, क्लिनिकल मनोविज्ञान, फीजियोथेरॉपी, व्यावसायिक थेरॉपी, ऑडियोलॉजी, स्पीच पैथॉलॉजी, व्यावसायिक परामर्श व प्रशिक्षण तथा
तथा सामाजिक कार्य प्रदान करने वाले कर्मचारी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हों।

7. आनुवंशिक विज्ञान में किए अद्यतन शोध परिणामों का इस्तेमाल जन्मजात विकलांगता तथा मानसिक अपंगता को कम करने में किया जाएगा।

8. विकलांगता के प्रभाव को कम करने तथा द्वितीयक विकलांगता को रोकने के लिए मौजूदा स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में उचित कदम उठाए जाएंगे।

9. किशोर लड़कियों, होने वाली मांओं तथा जनन अवस्था वाली महिलाओं में पोषण, स्वास्थ्य देखभाल तथा स्वच्छता के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने पर ध्यान दिया जाएगा। इसकी रोकथाम के लिए जागरूकता कार्यक्रम को स्कूल स्तर पर तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम स्तर पर तैयार किया जाएगा।

10. खतरों की पहचान करने के लिए बच्चों के जांच कार्यक्रम आयोजित जाएंगे।


पुनर्वास के कार्यक्रम

४४. मेडिकल तथा पुनर्वास कार्यकर्ताओं, व विकलांगों और उनके परिवारजनों, कानूनी अभिभावकों तथा समुदायों के साथ सहयोग कर मेडिकल, शैक्षिक तथा सामाजिक पुनर्वास कार्यक्रमों का विकास किया जाएगा। सरकारी कार्यक्रमों के कंवर्जेंस को सुनिश्चित किया जाएगा तथा निम्न विशेष उपाय किए जाएंगे:


  1. मानव संसाधन विकास, अनुसंधान तथा दीर्घ काल के लिए विशेष पुनर्वास समेत संयुक्त पुनर्वास सेवाएं मुहैया कराने के लिए राज्य स्तरीय केंद्रों की स्थापना की जएगी।
  2. समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा। विकलांगों तथा उनके परिवारों/ देखभालकर्ताओं के स्वयं सहायता समूहों को पुनर्वास की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा।
  3. एनजीओ की सहायता से जिला स्तर पर पंचायती राज संस्थान द्वारा गंभीर रूप से मानसिक अपंग व्यक्तियों के लिए मानसिक आरोग्य सेवा गृहों की स्थापना को बढ़ावा दिया जाएगा।
  4. मानसिक अपंगता से जूझ रहे व्यक्तियों के व्यावसायिक तथा सामाजिक योग्यता के प्रशिक्षण के लिए आवासीय पुनर्वास केंद्रों की भी स्थापना की जाएगी। इसके स्थान पर ऐसे मानसिक अपंग व्यक्तियों को, जिन्हें कोई सामुदायिक/ पारिवारिक सहायता प्राप्त नहीं है, उनके लिए परिवार सहायता समूहों के निर्माण को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

    मानव संसाधन विकास

४५. निम्न क्षेत्रों में मानव बल का विकास किया जाएगा-

1. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायक नर्सों (दाइयों) इत्यादि समेत स्वास्थ्य सेवा तथा समुदाय विकास के क्षेत्र में प्राथमिक स्तर के कार्यकर्ताओं की प्रशिक्षण।

2. सेवा प्रदान करने वाले सरकारी कर्मचारी तथा एनजीओ के लिए प्रशिक्षण तथा ओरिएंटेशन की सहायता।

3. समुदाय के निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में भाग लेने वालों जैसे- पंचायतों, परिवार के मुखिया इत्यादि के लिए प्रशिक्षण तथा सुग्राहिता कार्यक्रम।

4. परिवार के सदस्यों कि देखभालकर्ता के रूप में प्रशिक्षण तथा ओरिएंटेशन।

४६. समावेशिक शिक्षा, विशेष शिक्षा, घर आधारित शिक्षा, स्कूल पूर्व की शिक्षा इत्यादि की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानव संसाधनों को प्रशिक्षित किया जाएगा। विभिन्न स्पेशलाइजेशन तथा स्तरों वाले निम्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विकास किया जाएगा:

1. समावेशित शिक्षा के लिए शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल।

2. विशेष शिक्षा में डिप्लोमा, डिग्री तथा उच्च स्तरीय कार्यक्रम।

3. विकलांग व्यस्क/ वरिष्ठ नागरिकों इत्यादि के घर आधारित शिक्षा तथा देखभाल सेवाओं देने वालों के लिए प्रशिक्षण।


४७. पुनर्वास कर्मचारियों की प्रशिक्षण के लिए योजना निर्माण में भारतीय पुनर्वास परिषद् नोडल एजेंसी की भूमिका निभाएगा। विकलांगता से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम में राष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जाएगा और इसके लिए पंच-वर्षीय कार्य योजना का विकास किया जाएगा

विकलांगों के शिक्षा
    ४८. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वर्ष 2020 तक हरेक विकलांग बच्चे को प्री-स्कूल, प्राथमिक तथा माध्यमिक (सेकेंडरी) स्तर की शिक्षा प्राप्त हो सके। इस दिशा में निम्नांकित पर ध्यान दिया जाएगा:
      1. स्कूलों को (भवनों, मार्गों, शौचालयों, खेल के मैदानों, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों इत्यादि को ) अवरोध मुक्त करना ताकि सभी प्रकार के विकलांग वहां पहुंच सकें।

      2. पढ़ाने के माध्यम तथा विधि को सही तरह से अपनाया जाएगा ताकि वे अधिकतर विकलांगता परिस्थितियों पर खरा उतरे।

      3. स्कूल या कई स्कूलों के आसानी से पहुंच में आने वाले केंद्रों पर पढ़ाने/सिखाने के तकनीकी/ पूरक/ विशेष प्रणाली उपलब्ध कराई जाएगी।

      4. तकनीकी/ सिखाने वाले यंत्र औजार, जैसे खिलौने, ब्रेल, टॉकिंग बुक, उचित सॉफ्टवेयर इत्यादि भी उपलब्ध कराये जाएंगे। सामान्य पुस्तकालय, ई-लाइब्रेरी, ब्रेल-लाइब्रेरी तथा टॉकिंग बुक लाइब्रेरी, संसाधन कक्ष की स्थापना के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।

      5. राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय तथा दूर शिक्षा कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाया जाएगा और उसे देश के अन्य भागों में भी फैलाया जाएगा।

      6. एक-दूसरे के साथ बात करने के लिए मूक- बधिरों की संकेत भाषा, वैकल्पिक तथा संवर्धी बातचीत (AAC) व अन्य माध्यमों को एक प्रभावी माध्यम के रूप में पहचान दी जाएगी, उनका मानकीकरण किया जाएगा तथा उन्हें लोकप्रिय बनाया जाएगा।

      7. स्कूल की स्थापना आसानी से पहुंचने वाली दूरी पर की जाएगी। अन्यथा समुदाय, राज्य तथा एनजीओ के सहयोग से परिवहन व्यवस्था की जाएगी।

      8. स्कूलों में माता-पिता-शिक्षक के बीच परामर्श तथा परेशानी से निपटने की प्रणाली की स्थापना की जाएगी।

      9. प्राथमिक, मध्य विद्यालय तथा उच्च स्तरीय शिक्षा में विकलांग छात्राओं की दाखिला तथा उनके उपस्थित होने के आंकड़े को वार्षिक रूप से समीक्षा की जाएगी।

      10. विकलांगता से प्रभावित कई बच्चे, जो समावेशिक शिक्षा प्रणाली में भाग नहीं ले सकते, उन्हें विशेष स्कूलों के जरिए शिक्षा प्रदान की जाएगी। स्पेशल स्कूलों में सही तरह से सुधार लाये जाएंगे जो तकनीकी विकास पर आधारित होगा। ये स्कूल विकलांग बच्चों को मुख्यधारा की समावेशिक शिक्षा के लिए तैयार करने में मदद करेंगे।

      11. कुछ मामलों में विकलांगता की प्रकृति (इसके प्रकार तथा गंभीरता के कारण), निजी परिस्थितियों तथा प्राथमिकताओं के कारण घर आधारित शिक्षा प्रदान की जाएगी।

      12. विभिन्न प्रकार की विकलांगता के शिकार बच्चों के लिए पाठ्यक्रम तथा मूल्यांकन प्रणाली का विकास किया जाएगा, जिसमें उनकी क्षमता पर ध्यान रखा रखा जाएगा।  परीक्षा प्रणाली में सुधार लाया जाएगा ताकि यह विकलांगों के अनुकूल बन सके- जैसे सीखने वाला गणित, केवल एक एक भाषा सीखने का प्रावधान करना। इसके अलावा अतिरिक्त समय, कैलकुलेटर का इस्तेमाल, क्लार्क टेबल का इस्तेमाल, स्काइब्स इत्यादि की आवश्यकतानुसार आपूर्ति की जाएगी।


      13. प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में समावेशिक शिक्षा का मॉडल स्कूल खोला जाएगा, ताकि विकलांग लोगों की शिक्षा को बढ़ावा मिल सके।
      नॉलेज सोसाइटी के इस दौर में कम्प्यूटर एक अहम भूमिका निभाता है। यह प्रयास किया जाएगा कि प्रत्येक विकलांग बच्चा को उचित रूप से कम्यूटर का इस्तेमाल करने का अवसर मिले।

      14. 6 वर्ष की आयु तक के विकलांग बच्चों की पहचान की जाएगी तथा उनके लिए आवश्यक चिकित्सा उपाय किए जाएगें ताकि वे समावेशिक शिक्षा में शामिल होने के लिए सक्षम बन सकें।

      15. मानसिक रूप से अपंग बच्चों के लिए मनो-सामाजिक पुनर्वास केंद्रों पर शैक्षिक सुविधाएं प्रदान की जाएगी।

      16. विकलांक बच्चों की क्षमता के बारे में जानकारी के अभाव में कई स्कूल ऐसे बच्चों को अपने यहां दाखिला लेने से हिचकते हैं। शिक्षकों, प्राचार्यों तथा स्कूल के अन्य कर्मचारियों को सुग्राही बनाने के लिए कार्यक्रम चलाए जाएंगे।

      17. सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सहायता प्रदत्त विशेष विद्यालय वर्तमान में समावेशिक शिक्षा के संसाधन केंद्र बन गए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय आवश्यकतानुसार नये विशेष स्कूल की स्थापना करेगा।

      18. वयस्क शिक्षा/ सीखने में गंभीर रूप से अक्षम वयस्कों के लिए अवकाश केंद्र को प्रोत्साहित किया जाएगा।

      19. उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए विकलांगों के लिए 3% का आरक्षण लागू किया जाएगा। विश्वविद्यालय, कॉलेज तथा व्यावसायिक संस्थानों को विकलांकता केंद्र खोलने में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि विकलांग छात्रों के शिक्षा जरूरत की पूर्ति की जा सके।

      20. शिक्षकों की परिचय तथा सेवा प्रशिक्षण में विकलांग बच्चों के प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर एक मॉड्यूल शामिल किया जाएगा। उन्हें विकलांग छात्रों के क्लास रूम, हॉस्टल, कैफेटेरिया तथा अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।।

      ४९. मानव संसाधन विकास मंत्रालय नोडल मंत्रालय होगा जो विकलांगों से जुड़ी शिक्षा के सभी मामलों को देखेगा।


       रोजगार

      ५०. विकलांग व्यक्तियों के रोजगार के लिए निम्न उपाय किए जाएंगे:

      1. सरकार निजी क्षेत्रों के संगठनों के साथ एक बातचीत आरंभ करेगी, ताकि विकलांगों को रोजगार मिलने में मदद की जा सके।

      2. विकलांग लोगों के लिए खासकर गंभीर रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए घर आधारित आय सृजन कार्यक्रम का संचालन करेगी। विकलांग तथा उनके लिए सेवा प्रदाता व्यक्तियों के रोजगार के लिए कोचिंग की व्यवस्था भी की जाएगी।

      3. विकलांग व्यक्तियों के लिए मशीनरी, कार्य स्थान तथा कार्य वातावरण में आवश्यक सुधार करना ताकि ऐसे व्यक्ति प्रशिक्षण केंद्रों/ कारखानों/ उद्योगों/ कार्यालयों इत्यादि में बिना व्यवधान के आ-जा सके।

      4. उचित एजेंसियों जैसे- मार्केटिंग बोर्ड, जिला ग्रामीण विकास एजेंसी, निजी एजेंसी व विकलांगों द्वारा निर्मित मालों तथा सेवाओं की मार्केटिंग में शामिल गैर-सरकारी संगठनों के जरिए सहायता प्रदान की जाएगी।

      5. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में विकलांगों को शामिल किया जाएगा, ताकि वे संविधान द्वारा तय 3% की उन्हें भी भागीदारी मिल सके।



      अव अवरोध रोध-मुक्त वातावरण

      ५१. अवरोध मुक्त वातावरण के निर्माण के लिए निम्न रणनीतियां अपनाई जाएंगी:

      (i) सार्वजनिक भवन (कार्यात्मक या मनोरंजनात्मक), परिवहन सुविधाएं, जैसे सड़क, सब-वे तथा फुटपाथ, रेलवे प्लेटफॉर्म, बस स्टॉप/ टर्मिनस/ बंदरगाह/ हवाई अड्डे, परिवहन के माध्यम (बस, ट्रेन, वायुयान तथा जहाजों), खेल के मैदान, खुले स्थान इत्यादि को विकलांग व्यक्तियों के लिए आसानी से पहुंच लायक बनाया जाएगा।

      (ii) सभी सार्वजनिक कार्यों में संकेत भाषा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।

      (iii) विकलांगों के लिए अवरोध मुक्त भवन बनाने वास्तुशास्त्र तथा नागरिक निर्माण इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में सुधार लाया जाएगा। इन मुद्दों पर सरकारी आर्किटेक्ट तथा इंजीनियरों को सेवा प्रशिक्षण प्रदान किया जाए

      (v) व्यापक निर्माण उपकानूनों तथा स्थान मानकों का अनुपालन कर अवरोध मुक्त वातावरण का निर्माण किया जाएगा। देश के सभी राज्यों, नगर निकायों तथा पंचायती राज संस्थानों द्वारा उपकानूनों तथा स्थान मानकों का अनुपालन करने के लिए आवश्यक प्रयास किए जाएंगे। ये प्राधिकरण सुनिश्चित करेंगे कि सभी नए निर्मित सार्वजनिक भवन अवरोध मुक्त हों।

      (vi) राज्य परिवहन उपक्रम, अपने वाहनों में विकलांग व्यक्तियों के लिए सुविधाजनक परिवर्तन लाएंगे। रेलवे योजनाबद्ध तरीके से अवरोध मुक्त कोचों की शुरुआत करेगा। वे प्लेटफॉर्म निर्माण, टॉयलेट तथा अन्य अवरोध मुक्त सुविधाएं मुहैया कराएंगे।

      (vii) सरकार सुनिश्चित करेगी कि सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के औद्योगिक प्रतिष्ठान, कार्यालय, सार्वजनिक उपक्रम अपने कर्मचारियों के लिए विकलांग हितैषी कार्य स्थल प्रदान करेंगे। सुरक्षा मानकों का निर्धारण किया जाएगा तथा उनका कड़ाई से पालन किया जाएगा।

      (viii) देश में विकलांगता हितैषी आइटी वातावरण को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

      (ix) सभी भवन जो सार्वजनिक उपयोग हेतु होते हैं, उनकी जांच की जाएगी कि क्या वे विकलांग व्यक्तियों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाने गए हैं या नहीं। ऐसे दक्ष व्यक्तियों के विकास की आवश्यकता है, जो ऐसे भवनों की जांच कर सके।

      (x) विकलांग व्यक्तियों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए बैंकिंग प्रणाली को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

      (xi) विकलांग व्यक्तियों की संचार जरूरतों की पूर्ति सूचना सेवा तथा सार्वजनिक दस्तावेज को आसान बनाकर की जा सकती है। दृष्टि विकलांगों को सूचना प्रदान करने के लिए ब्रेल, टेप-सर्विस, बड़े प्रिंट तथा अन्य उचित तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।


      सामाजिक सुरक्षा

      ५२. विकलांग व्यक्तियों को समुचित सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए निम्न उपाय किए जाएंगे:

      1. विकलांग व्यक्तियों के लिए मंजूर की गई नीतियों की नियमित समीक्षा की जाएगी ताकि ऐसे व्यक्तियों को आवश्यक आयकर तथा अन्य कर राहत उपलब्ध होती रहे।

      1. राज्य सरकार तथा केंद्र शासित प्रदेशों को विकलांगों के लिए पेंशन राशि तथा बेरोजगार भत्ता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

      2. भारतीय जीवन बीमा निगम विशेष प्रकार के विकलांग व्यक्तियों को बीमा सुरक्षा प्रदान करता आ रहा है। अन्य बीमा एजेंसियों द्वारा भी विकलांगों को ऐसी बीमा कवरेज प्रदान करने की आवश्यकता पर बल डाला जाएगा।


      अनुसंधान

      ५३. जहां भी आवश्यक होगा, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से विकलांगों के लिए नई तकनीक के विकास के लिए अनुसंधान कार्य संपन्न किए जाएंगे। इन अनुसंधानों के परिणामों का व्यापक प्रसार किया जाएगा। यह निम्न आयामों पर केंद्रित होंगे:

      1. विकलांगता के सामाजिक-सांस्कृतिक आयाम, जिनमें शामिल होंगे विकलांगों के प्रति सामाजिक नजरिये तथा व्यवहारगत पैटर्न का अध्ययन।

      2. विकलांगों की शिक्षा से जुड़े सामाजिक संकेतकों का विकास ताकि आने वाली समस्याओं का विश्लेषण किया जाए और पहुंच तथा अवसर को बढ़ाने के लिए कार्यक्रम का विकास किया जा सके।

      3. विकलांगता के प्रकारों, खासकर ऐसे व्यक्ति जो दुर्घटनावश तथा अन्य आपत्तियों से विकलांग होते हैं, उसके आधार पर रोजगार की दशा के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाएगी।

      4. विभिन्न प्रकारों तथा स्तरों की विकलांगता के मामलों का अध्ययन।

      5. विकलांगता के मामलों को कम करने के लिए भारतीय मेडिकल अनुसंधान परिषद् के अधीन आनुवंशिक अनुसंधान।

      6.  व्यक्तिगत गत्यात्मकता, मौखिक/ अमौखिक संवाद, दैनिक उपयोग की वस्तुओं के डिजाइन में परिवर्तन इत्यादि पर केंद्रित उपयुक्त तकनीकी अनुसंधान, जहां प्रमुख तकनीकी संस्थानों की मदद से सस्ते, प्रयोक्ता हितैषी व टिकाऊ यंत्र तथा उपकरणों का निर्माण किया जाए


      ५४. विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय, पुनर्वास तकनीकी केंद्र का गठन करेगा, जो चालू अनुसंधान तथा विकास, परीक्षण तथा तकनीकी प्रमाणन, प्रशिक्षण इत्यादि के बीच समन्वय का कार्य करेगा। विकलांग व्यक्तियों द्वार सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल के लिए उचित हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर का विकास किया जाएगा।


      खेल-कूद, मनोरंजन तथा सांस्कृतिक क्रियाकलाप

      ५५. खेलकूद, मनोरंजन तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए समान अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए निम्न कदम उठाए जाएंगे:

      i . मनोरंजन, सांस्कृतिक गतिविधियों तथा खेलकूद, हॉस्टल, समुद्र तट, स्पोर्ट एरीना, ऑडिटोरियम, जिम हॉल इत्यादि को विकलांग व्यक्तियों की पहुंच के लायक बनाना।
      ii . ट्रैवेल एजेंसी, होटल, स्वयंसेवी संगठनों व यात्रा अवसरों के आयोजन में शामिल अन्य संहठनों को अपनी सेवाएं सभी के लिए खोलनी चाहिए, जिनमें विकलांग व्यक्तियों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
      iii . स्थानीय एनजीओ की सहायता से विभिन खेलों में विकलांग व्यक्तियों की क्षमता की पहचान की जानी चाहिए।
      iv . विकलांग व्यक्तियों के लिए स्पोर्ट ऑर्गेनाइजेशन तथा सांस्कृतिक सोसाइटी के निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा। राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में विकलांगों के भाग लेने के लिए आवश्यक प्रणाली को लागू किया जाएगा।
      v . खेल-कूद में विकलांग व्यक्तियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय अवार्ड का गठन किया जाएगा।

      ५६. नीति के क्रियान्वयन से जुड़े सभी मुद्दों के लिए सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य करेगा।



       ५७. राष्ट्रीय नीति के क्रियान्वयन से जुड़े मामलों के बीच समन्वय के लिए एक अंतर-मंत्रालय निकाय का गठन किया जाएगा। सभी प्रतिभागी जिनमें प्रतिष्ठित एनजीओ, विकलांग लोगों का संगठन, समर्थन समूह तथा माता-पिता/ अभिभावक विशेषज्ञ तथा पेशेवरों के प्रतिनिधियों को इस निकाय में शामिल किया जाएगा। ऐसी ही व्यवस्था राज्य स्तर तथा जिला स्तरों पर की  जाएगी। नीति के क्रियान्वयन से जुड़े मामलों को देखने के लिए जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्रों के जिला स्तरीय समितियों में पंचायती राज संस्थानों तथा शहरी निकाय को भी जोड़ा जाएगा।

      ५८. गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय , ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, युवा तथा खेल मामलों का मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सांख्यिकी तथा कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, पंचयती राज मंत्रालय व प्राथमिक शिक्षा तथा साक्षरता विभाग, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्रालय, सार्वजनिक उपक्रम, राजस्व, महिला तथा बाल विकास मंत्रालय, सूचना प्रौद्योगिकी व कर्मचारी व  नीति के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक प्रणाली का निर्माण करेंगे। प्रत्येक मंत्रालय/ विभागों द्वारा एक पंच-वर्षीय योजना तथा वार्षिक योजना का निर्माण किया जाएगा, जिसके तहत वित्तीय आवंटन किया जाएगा। इन मंत्रालयों/ विभागों की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष के दौरान प्राप्त सफलता का उल्लेख करेगी।


       ५९. केंद्रीय स्तर पर मुख्य विकलांगता आयुक्त तथा राज्य स्तर पर राज्य विकलांगता आयुक्त अपनी सांवैधानिक दर्जे के अलावा राष्ट्रीय नीति के क्रियान्वयन में मुख्य भूमिका निभाएंगे।


      ६०. स्थानीय स्तर के मामलों के निपटान के लिए तथा उपयुक्त कार्यक्रम के निर्माण के जरिए पंचायती राज संस्थान, राष्ट्रीय नीति के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाएंगें, जिन्हें जिला तथा राज्य योजनाओं के साथ जोड़ा जाएगा। इन संस्थानों की परियोजनाओं में विकलांगता से जुड़े घटक शामिल होंगे।


      ६१. क्रियान्वयन के दौरान विकसित संरचना को लंबे समय के स्तेमाल के लिए बरकरार और प्रभावी बनाए रखा जाएगा। समुदायों को स्वयं या निजी क्षेत्रों के लामबंदी द्वारा संरचना तथा संचालन लागत की भी पूर्ति हेतु संसाधनों के निर्माण में अहम भूमिका निभानी चाहिए। इस कदम से न केवल राज्य सरकार के संसाधन पर बोझ घटेगा बल्कि समुदाय तथा निजी क्षेत्र के भागीदारों के बीच जिम्मेदारी की भावना का भी विकास होगा।

      ६२. हर पांच साल में राष्ट्रीय नीति के क्रियान्वयन पर एक विशद समीक्षा की जाएगी। क्रियान्वयन की दशा को सूचित करने वाला एक दस्तावेज तथा पांच सालों के लिए एक रोडमैप का निर्माण किया जाएगा, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में संपन्न किया जाएगा। राज्य नीति तथा कार्य योजना के लिए राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया जाएगा।


       स्त्रोत

      सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
      स्त्रोत: सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार, शास्त्री भवन, नई दिल्ली


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