Saturday, May 4, 2019

समुदाय आधारित पुनर्वास (CBR)

 समुदाय आधारित पुनर्वास (CBR)

Community Based Rehabilitation (CBR)

समुदाय आधारित पुनर्वास (CBR) एक सामुदायिक विकास रणनीति है जिसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों (PWD) के साथ उनके समुदाय के भीतर जीवन को बढ़ाना है। विकलांग लोगों और उनके परिवारों के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयास में 1978 में अल्मा-अता की घोषणा के बाद डब्ल्यूएचओ द्वारा समुदाय-आधारित पुनर्वास (सीबीआर) शुरू किया गया था; उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा; और उनके समावेश और भागीदारी सुनिश्चित करें। शुरू में संसाधन-विवश सेटिंग्स में पुनर्वास सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने की रणनीति, सीबीआर अब एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण है जो गरीबी और विकलांगता के सतत चक्र का मुकाबला करते हुए विकलांग लोगों के अवसरों और सामाजिक समावेश को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है। CBR को विकलांग लोगों, उनके परिवारों और समुदायों और संबंधित सरकारी और गैर-सरकारी स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यावसायिक, सामाजिक और अन्य सेवाओं (WHO) के संयुक्त प्रयासों के माध्यम से लागू किया जाता है।

यह लाभार्थियों, पीडब्ल्यूडी के परिवारों और समुदाय सहित स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों के उपयोग पर जोर देता है। विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन के अनुसार, स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा और सामाजिक सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए व्यापक पुनर्वास सेवाओं की आवश्यकता है ताकि पीडब्ल्यूडी / सीडब्ल्यूडी को अधिकतम स्वतंत्रता, पूर्ण शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और व्यावसायिक क्षमता प्राप्त हो सके और बनाए रखा जा सके, और जीवन के सभी पहलुओं (यूएन, 2006) में पूर्ण समावेश और भागीदारी।



1. सीबीआर की परिभाषा:

यह 1.25 मिमी / मिनट की दर से मानक परिपत्र पिस्टन के साथ एक मिट्टी के द्रव्यमान में प्रवेश करने के लिए आवश्यक प्रति इकाई क्षेत्र का अनुपात है । एक मानक सामग्री के इसी प्रवेश के लिए आवश्यक है। कैलिफोर्निया असर अनुपात परीक्षण (CBR टेस्ट) एक पैलेट परीक्षण है जो लचीले फुटपाथ के डिजाइन के लिए सबग्रेड मिट्टी की असर क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए कैलिफोर्निया स्टेट हाईवे डिपार्टमेंट (यूएसए) द्वारा विकसित किया गया है ।

पानी से लथपथ या बिना भिगोए हुए परिस्थितियों में प्राकृतिक या संकुचित मिट्टी पर परीक्षण किए जाते हैं और जो परिणाम प्राप्त होते हैं, उनकी तुलना उपनगर की मिट्टी की ताकत का अंदाजा लगाने के लिए मानक परीक्षण के घटता से की जाती है।


2. अपरैटस का इस्तेमाल किया:

  • ढालना
  • स्टील काटने वाला कॉलर
  • स्पेसर डिस्क
  • अधिभार का वजन
  • डायल गेज
  • आईएस है
  • पेनेट्रेशन प्लंजर
  • मशीन लोड हो रही है
  • विविध उपकरण


3. सीबीआर टेस्ट प्रक्रिया:

आम तौर पर 3 नमूनों में से प्रत्येक के बारे में 7 किलो कॉम्पैक्ट होना चाहिए ताकि उनके कॉम्पैक्ट घनत्व में 95% से 100% तक आम तौर पर 10, 30 और 65 के साथ हो।

  • खाली सांचे का वजन
पहले नमूने में पानी डालें (इसे 10 परत प्रति परत देकर पांच परतों में संकुचित करें)
  • संघनन के बाद, कॉलर को हटा दें और सतह को समतल करें।
  • नमी की मात्रा के निर्धारण के लिए नमूना लें।
  • मोल्ड का वजन + सघन नमूना।
  • मोल्ड को चार दिनों के लिए भिगोने वाले टैंक में रखें और अनचाही सीबीआर के मामले में इस चरण को अनदेखा करें।
  • अन्य नमूने लें और विभिन्न वार लागू करें और पूरी प्रक्रिया को दोहराएं।
  • चार दिनों के बाद, प्रफुल्लित पढ़ने को मापें और% आयु प्रफुल्लित करें।
  • टैंक से मोल्ड को हटा दें और पानी को निकास की अनुमति दें।
  • फिर पैशन पिस्टन के नीचे नमूना रखें और 10lb का अधिभार लोड करें।
  • लोड लागू करें और प्रवेश भार मूल्यों पर ध्यान दें।
  • पैठ (में) और पैठ लोड (में) के बीच के ग्राफ को ड्रा करें और CBR का मान ज्ञात करें । % CBR और ड्राई डेंसिटी के बीच ग्राफ को ड्रा करें, और CBR को आवश्यक डिग्री के स्तर पर खोजें।



सीबीआर परीक्षण राजमार्गों और एयरफील्ड फुटपाथ के लिए मोटाई के डिजाइन के लिए एक उप ग्रेड मिट्टी, उप आधार और आधार पाठ्यक्रम सामग्री की ताकत का मूल्यांकन करने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका है ।

कैलिफोर्निया असर अनुपात परीक्षण सड़कों और फुटपाथों की भूमिगत शक्ति के मूल्यांकन के लिए प्रवेश परीक्षा है। इन परीक्षणों द्वारा प्राप्त परिणामों को फुटपाथ की मोटाई और इसके घटक परतों को निर्धारित करने के लिए अनुभवजन्य वक्रों के साथ उपयोग किया जाता है। लचीले फुटपाथ के डिजाइन के लिए यह सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली विधि है।

यह निर्देश पत्रक CBR के निर्धारण के लिए प्रयोगशाला पद्धति को कवर करता है। लथपथ और हटाए गए / संकुचित मिट्टी के नमूनों के साथ, दोनों लथपथ और साथ ही संयुक्त राज्य में लथपथ राज्य।



समुदाय आधारित पुनर्वास में तीन शब्द आते है।


1. समुदाय
2. आधारित
3. पुनर्वास



समुदाय 

समुदाय का आशय ब्यक्तियो के ऐसे समूह से है जो किसी सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, शासकीय एवं प्रशासनिक इकाई का निर्माण करते हैं। जिसके सदस्य एक स्थान पर रहते है  या उनमें कुछ समस्याए हो जो जातीय, नस्लीय, धार्मिक समुदाय सम्बन्धी, क्षेत्रीय समानताएं समूह के सदस्यों में परस्पर संवाद होता हो वो परस्पर एक - दूसरे से मिलते हो और उनमें विशेष रूप से अपने समूह के सदस्यों के हित समान होते हैं।



आधारित

किसी आधार अथवा रूपरेखा के अभाव में कोई कार्य कार्यक्रम और  योजना की सफलता संबंधित हैं।
इसी प्रकार किसी घटना तथा तथ्य का भी कोई न कोई आधार अवश्य होता है। यहां हम निशक्तजनों के पुनर्वास कार्यक्रम का उल्लेख कर रहे है जैसे प्रथ्वी  अपने धुरी के सापेक्ष घूर्णन गति करती हैं। फलस्वरूप दिन और रात होते है इसी प्रकार पुनर्वास कार्यक्रम की भी कोई धुरी होती है।जिसके सापेक्ष पुनर्वास कार्यक्रम संचालित किए जाते है।



पुनर्वास


पुनर्वास का आशय है किसी भी कारण कारणों के फस्वरूप समाज से अलग अलग हो गए व्यक्ति को अतिरिक्त प्रयासों के माध्यम से पुनः समाज की मुख्य धारा का हिस्सा बनाना पुनर्वास को किसी निश्चित समयावधि में सीमित नहीं किया जा सकता है।

वास्तव में पुनर्वास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हैं जिसमें समुदाय अपने समस्त प्रत्यक्ष तथा परोक्ष संसाधनों का सदुरप्रयोग दिब्यांगो के बहुउद्देशीय कल्याण के लिए करता है।



पुनर्वास के उपाय

१. पुनर्वास के उपायों को मूलतः 3 अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

शारीरिक पुनर्वास, जिसमें आरंभिक पहचान तथा उपचार, परामर्श व चिकित्सा तथा मदद व उपकरण का प्रावधान है। इसमें पुनर्वास कर्मचारियों का विकास भी शामिल है।
व्यावसायिक शिक्षा समेत शैक्षणिक पुनर्वास, तथा
समाज में गरिमामय जीवन जीने के लिए आर्थिक पुनर्वास।
क. शारीरिक पुनर्वास रणनीति

(क) आरंभिक पहचान तथा उपचार

2. विकलांगता की आरंभिक पहचान व दवा या गैर-दवा उपचारों के जरिए इसकी चिकित्सा से इन रोगों की गंभीरता को कम करने में मदद मिलती है। अतः आरंभिक पहचान तथा आरंभिक उपचार के साथ आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। सरकार खासकर ग्रामीण इलाकों में ऐसी सुविधाओं की उपलब्धता के लिए सूचना का प्रसार करेगी।

(ख) परामर्श तथा मेडिकल पुनर्वास

3. शारीरिक पुनर्वास उपाय में शामिल हैं- परामर्श, विकलांग व्यक्तियों व उनके परिवारों की क्षमता को सुदृढ़ करना, मनोचिकित्सा, फीजियो थेरैपी, व्यावसायिक थेरैपी, सर्जिकल सुधार, उपचार, दृष्टि मूल्यांकन, दृष्टि उत्तेजन, स्पीच थेरैपी प्रदान किए जाएंगे तथा ऑडियोलॉजिकल पुनर्वास व विशेष शिक्षा मुहैया कराया जाएगा, जिन्हें राज्य सरकारों, स्थानीय संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों व विकलांगों के माता-पिता के जरिए सभी जिलों तक प्रसारित किया जाएगा।

4. वर्तमान में पुनर्वास सेवाएं मुख्यतः शहरी और उसके आस-पास के इलाकों में उपलब्ध हैं। चूंकि 75% विकलांग व्यक्ति देश के ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, पेशेवरों द्वारा चलाई जा रही सेवाओं को ऐसे अछूते इलाकों तक पहुंचाया जाएगा। निजी पुनर्वास सेवा केंद्रों को एक न्यूनतम मानकों के अनुपालन के लिए नियंत्रित किया जाएगा।

5. ग्रामीण तथा अछूते इलाकों में कवरेज का प्रसार करने के लिए, नए जिला विकलांगता पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की जाएगी, जिसके लिए राज्य सरकार की सहायता ली जाएगी।

6. अधिकृत सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता-“आशा” (ASHA) के जरिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ग्रामीण लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, खासकर समाज के कमजोर वर्गों के लोगों को इसमें शामिल किया गया है। मूल स्तर पर “आशा” विकलांग व्यक्तियों के लिए विशद सेवाओं की देखभाल करेगी।

(ग) सहायक उपकरण

7. भारत सरकार विकलांगों को आईएसआई प्रमाणित टिकाऊ तथा वैज्ञानिक रूप से निर्मित, आधुनिक यंत्र व उपकरण की खरीद के लिए सहायता देती रही है, जिससे उनके शारीरिक, सामाजिक व मनोवैज्ञानिक निर्भरता को कम करते हुए विकलांगता के प्रभाव को कम किया जा सके।

8. राष्ट्रीय संस्थानों, राज्य सरकारों, डीडीआरसी व गैर सरकारी संगठनों के जरिए हर साल विकलांगों को प्रोस्थेसिस तथा ऑर्थोसेस, ट्राइसाइकिल, व्हील चेयर, सर्जिकल फुटवेयर व दैनिक जीवन में काम आने वाले व सीखने वाले यंत्र (ब्रेल लेखन यंत्र, डिक्टाफोन, सीडी प्लेयर/ टेप रिकॉर्डर), लो विजन यंत्र, चलने-फिरने के लिए विशेष यंत्र- जैसे अंधे व्यक्तियों के लिए छड़ी, श्रवण यंत्र, शैक्षणिक किट्स, बातचीत करने वाले यंत्र, मदद करने और अलर्ट करने वाले यंत्र और ऐसे यंत्र जो मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति के लिए बनाए जाते हैं। इन उपकरणों की उपलब्धता को अछूते व सेवा वाले क्षेत्रों तक विस्तार करना।

9. विकलांग व्यक्तियों के लिए हाइटेक सहायक यंत्रों क निर्माण में शामिल निजी, सार्वजनिक तथा संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

(घ) पुनर्वास कर्मचारियों का विकास

10. विकलांग व्यक्तियों के लिए आवश्यक मानव संसाधन की जरूरतों का मूल्यांकन किया जाएगा तथा विकास योजना तैयार की जाएगी, ताकि पुनर्वास रणनीति हेतु मानव बल की कमी न हो।

ख. विकलांग व्यक्तियों के लिए शिक्षा

11. सामाजिक तथा आर्थिक सशक्तीकरण के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी माध्यम होता है। संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत, जहां शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है और विकलांग अधिनियम 1995 के अनुच्छेद 26 में विकलांग बच्चों को 18 वर्षों की उम्र तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है । जनगणना 2001 के मुताबिक, 51% विकलांग व्यक्ति निरक्षर हैं। यह एक बहुत बड़ी प्रतिशतता है। विकलांग लोगों को सामान्य शिक्षा प्रणाली की मुख्यधारा में लाने की जरूरत है।

1२. सरकार द्वारा चलाया गया सर्व शिक्षा अभियान (SSA) का 8 वर्षों तक बच्चों के प्राथमिक स्कूलिंग प्रदान करने का लक्ष्य है, जिसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चे भी शामिल हैं। विकलांग बच्चों के लिए समेकित शिक्षा के तहत 15 से 18 वर्षों तक की उम्र के विकलांग बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी।

13. सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा विकल्पों का एक सातत्य, सीखने वाले यंत्र औजार, गत्यात्मकता सहायता, सहायक सेवाएं इत्यादि विकलांग छात्रों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें शामिल है मुक्त शिक्षण प्रणाली, ओपन स्कूल, वैकल्पिक स्कूलिंग, दूर शिक्षा, विशेष स्कूल, जहां भी आवश्यक हो घर आधारित शिक्षा, भ्रमणकारी शिक्षक मॉडल, उपचार वाली शिक्षा, पार्ट टाइम कक्षाएं, समुदाय आधारित पुनर्वास व व्यावसायिक शिक्षा के जरिए शिक्षा प्रदान करने का कार्य।

14. राज्य सरकारों, स्वायत्त निकायों तथा स्वयंसेवी संगठनों के जरिए क्रियान्वित आईईडीसी योजना विशेष शिक्षकों, पुस्तक व लेखन सामग्रियों, यूनिफॉर्म, परिवहन, दृष्टि से कमजोर व्यक्तियों के लिए पाठक भत्ता, हॉस्टल भत्ता, उपकरण लागत, वास्तु अवरोधों को हटाता/सुधार करना, निर्देशात्मक सामग्रियों की खरीद/उत्पादन के लिए वित्तीय सहायता, सामान्य शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण व संसाधन कमरों के लिए यंत्र-उपकरण जैसी सुविधाओं के लिए सौ फीसदी वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

15. नियमित सर्वेक्षणों, उचित स्कूलों में उनकी उपस्थिति और शिक्षा पूरी करने तक उनकी निरंतरता के जरिए बच्चों में विकलांगता की पहचान हेतु सरकार की ओर से केंद्रित प्रयास किया जाएगा। सरकार विकलांग बच्चों को सही प्रकार की शिक्षण सामग्रियों तथा पुस्तक प्रदान करने, शिक्षकों व स्कूलों को सही रूप से प्रशिक्षण व सुग्राही बनाने के लिए प्रयास करेगी, जो पहुंच में आने योग्य तथा विकलांग हितैषी हो।

16. भारत सरकार ऐसे विकलांग छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करती है ताकि स्कूल के बाद के स्तर पर पढ़ाई में उन्हें मदद मिल सके। सरकार यह छात्रवृत्ति जारी रखेगी व इसके कवरेज का विस्तार करेगी।

17. विभिन्न प्रकार की उत्पादक गतिविधियों के लिए उपयुक्त योग्यता निर्माण के लिए तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा सुविधा प्रदान की जाएगी। जिसके लिए मौजूदा संस्थान या कार्यरत या अछूते क्षेत्रों के अधिकृत संस्थानों का अनुकूलन किया जाएगा। गैर सरकारी संगठनों को भी व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

18. विकलांग व्यक्तियों को उच्च शिक्षा व व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए विश्व विद्यालयों, तकनीकी संस्थानों तथा उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों में पहुंच प्रदान की जाएगी।

ग. विकलांग व्यक्तियों के लिए आर्थिक पुनर्वास

19. विकलांग व्यक्तियों के आर्थिक पुनर्वास में संगठित क्षेत्र में दिहाड़ी रोजगार तथा स्व-रोजगार भी शामिल है। सेवाओं को इस प्रकार बढ़ावा दिया जाए कि व्यावसायिक पुनर्वास केंद्र तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों को विकसित किया जा सके, ताकि ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के विकलांगों को उत्पादक तथा लाभकारी रोजगार मुहैया कराया जा सके। विकलांगों के आर्थिक सशक्तीकरण हेतु रणनीतियां निम्नानुसार होंगी:

(i) सरकारी महकमों में रोजगार

विकलाँग व्यक्ति अधिनियम, 1995 सरकारी महकमों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 3% का आरक्षण का प्रावधान करता है। विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में समूह ए, बी, सी तथा डी के लिए सरकार के आरक्षण की स्थिति क्रमशः 3.07%, 4.41%, 3.76% तथा 3.18% है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में यह स्थिति क्रमशः 2.78%, 8.54%, 5.04% तथा 6.75% है। सरकार विकलाँग व्यक्ति अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के अनुरूप चिह्नित पदों के लिए सरकारी क्षेत्र में (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों समेत) आरक्षण सुनिश्चित करेगी। चिह्नित पदों की सूची को वर्ष 2001 में अधिसूचित किया गया है, जिसकी समीक्षा की जाएगी और अद्यतन किया जाएगा।

(ii) निजी क्षेत्र में दिहाड़ी रोजगार

निजी क्षेत्र में विकलाकों को रोजगार के लिए सक्षम बनाने के लिए उनकी योग्यता का विकास किया जाएगा। विकलांग व्यक्तियों के बीच उचित योग्यता के विकास हेतु संचालित व्यावसायिक पुनर्वास तथा प्रशिक्षण केंद्र को उनकी सेवाओं के विस्तार के लिए बढ़ावा दिया जाएगा। सेवा क्षेत्र में रोजगार अवसरों के तीव्र विकास को देखते हुए विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों को बाजार की जरूरतों के मुताबिक योग्यता निर्माण के लिए बढ़ावा दिया जाएगा। इनसेंटिव, पुरस्कार, कर में छूट इत्यादि जैसे सक्रिय उपायों द्वारा निजी क्षेत्रों में विकलांग व्यक्तियों को रोजगार सृजन के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।

(iii) स्व-रोजगार

संगठित क्षेत्र में विकलांग लोगों के रोजगार के अवसरों के विकास की धीमी दर को देखते हुए, स्व-रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाएगा। ऐसा व्यावसायिक शिक्षा तथा प्रबंधन प्रशिक्षण के जरिए किया जाएगा। इसके अलावा एनएचएफडीसी से आसानी से ऋण मुहैय्या कराने की मौजूदा प्रणालियों से यह काफी पारदर्शक और दक्ष प्रक्रिया बन गई है। सरकार इंसेंटिव, कर से छूट, ड्यूटी से छूट, विकलांगों के लिए सेवा देने वाले तथा सामान बनाने वाले उपक्रमों को सरकार द्वारा बढ़ावा देकर, सरकार स्व-रोजगार को प्रोत्साहित करेगी। विकलांगों द्वारा बनाए स्वयं-सहायता समूह के लिए वित्तीय सहायता को प्राथमिकता दी जाएगी।


विकलांग महिलाएं

20. जनगणना -2001 के मुताबिक, देश में 93.01 लाख विकलांग महिलाएं हैं जो कुल विकलांग आबादी का 42.46% हिस्सा निर्मित करती हैं। विकलांग महिलाओं को शोषण व दुर्व्यवहार से बचाने की जरूरत है। विकलांग महिलाओं की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा, रोजगार तथा अन्य पुनर्वास सेवाओं के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। विशेष शिक्षा तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाओं की स्थापना की जाएगी। परित्यक्त विकलांग महिलाओं/लड़कियों के पुनर्वास के लिए कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जहां परिवारों द्वारा उन्हें स्वीकार करने, उनके निवास में मदद करने और लाभप्रद रोजगार योग्यताओं को हासिल कराने के प्रयास किए जाएंगे। सरकार उन परियोजनाओं को प्रोत्साहित करेगी जहां विकलांग महिलाओं के प्रतिनिधि को कम से कम कुल लाभ का 25% तक प्रदान किया जा सके।

21. विकलांग महिलाओं के लिए कम समय के लिए रहने के लिए घर, नौकरी-पेशा महिला के लिए हॉस्टल तथा बुजुर्ग विकलांग महिलाओं के लिए घर प्रदान करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

22. यह देखा गया है कि विकलांगता से ग्रस्त महिलाओं में उनके बच्चों की देखभाल की गंभीर समस्या होती है। सरकार ऐसी विकलांग महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, ताकि वे अपने बच्चों के परवरिश के लिए आवश्यक सेवाओं को उपलब्ध करा सके। ऐसी सहायता अधिकतम दो सालों तक 2 बच्चों के लिए मुहैय्या कराई जाएगी।


विकलांग बच्चे

23. विकलांगता के शिकार बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील समूह के होते हैं और उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए सरकार निम्नांकित कदम उठाएगी:


  • विकलांग बच्चों की देखभाल, सुरक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करेगी;
  • गरिमा तथा समानता के लिए विकास के अधिकार को सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि एक सक्षम वातावरण का निर्माण किया जाए जहां विक्लांग बच्चे अपने अधिकार की पूर्ति कर सके और विभिन्न कानूनों के अनुरूप समान अवसरों का लाभ उठाकर पूर्ण भागीदारी प्रदर्शित कर सके।
  • विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ विशेष पुनर्वास सेवाओं को शामिल किया जाएगा।
  • गंभीर विकलांगता के शिकार बच्चों के लिए विकास के अधिकार तथा विशेष आवश्यकताओं व देखभाल, सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा।



अवरोध मुक्त वातावरण

24. अवरोध-मुक्त वातावरण से विकलांग व्यक्ति सुरक्षित तथा आसानीपूर्वक चल-फिर सकते हैं। अवरोधमुक्त डिजाइन का उद्देश्य है कि विकलांग लोगों को ऐसा वातावरण प्रदान किया जाए जहां वे अपनी दैनिक गतिविधियों में बिना किसी सहायता के गमन कर सकें। इसलिए जितना अधिक संभव हो, सार्वजनिक भवनों, स्थानों, परिवहन प्रणालियों को अवरोध मुक्त रखा जाएगा।


विकलांगता प्रमाणपत्र जारी करना

25. भारत सरकार ने विकलांगता के मूल्यांकन व प्रमाणपत्र के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इसके तहत सरकार सुनिश्चित करेगी कि विकलांग व्यक्ति कम से कम समय में बिना किसी परेशानी के विकलांगता प्रमाणपत्र प्राप्त कर सके, जिसके लिए सरल, पारदर्शक व ग्राहकोन्मुख प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा।


सामाजिक सुरक्षा

26. विकलांग व्यक्तियों, उनके परिवार तथा उनकी देखभाल करने वालों को पर्याप्त अतिरिक्त व्यय राशि दी जाएगी ताकि वे दैनिक कार्यों, मेडिकल देखभाल, परिवहन, सहायक उपकरणों को खरीद सकें। इसलिए उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार विकलांग व्यक्तियों व उनके
व उनके अभिभावकों को करों में छूट दे रही है। राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेशों  को बेरोजगार भत्ता या विकलांगता पेंशन मुहैया कराया जा रहा है। राज्य सरकारों को विकलांगों के लिए एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा नीति के विकास के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।

27. ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंद तथा बहु-विकलांगता के शिकार बच्चों के माता-पिता अपनी मृत्यु के बाद ऐसे बच्चों की देखभाल को लेकर काफी असुरक्षित महसूस करते हैं। ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंद तथा बहु-विकलांगता के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट स्थानीय स्तर की समिति द्वारा कानूनी अभिभावकत्व प्रदान करता आ रहा है। वे सहायता प्राप्त अभिभावकत्व योजना का भी क्रियान्वयन कर रहे हैं, ताकि दरिद्र तथा परित्यक्त व्यक्ति जिनमें उपरोक्त गंभीर विकलांगता हो, उन्हें वित्तीय मदद की जा सके। यह योजना मौजूदा समय में कुछ जिलों में लागू की जा रही है, अब इसे योजनाबद्ध तरीके से अन्य क्षेत्रों में भी प्रसारित किया जाएगा।


गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को प्रोत्साहन

28. राष्ट्रीय नीति गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को एक काफी अहम संस्थानिक प्रणाली के रूप में मानती है, जो सरकार के प्रयासों को लागू करने का एक सस्ता माध्यम है।

एनजीओ सेक्टर गतिशील व उदयीमान क्षेत्र है। विकलांग व्यक्ति को सेवा देने के प्रावधान में इसने एक अहम भूमिका निभाई है। कुछ एनजीओ मानव संसाधन विकास तथा अनुसंसाधन कार्य संचालित कर रहे हैं। सरकार भी उन्हें सक्रिय रूप से नीति के सूत्रीकरण, योजना, क्रियान्वयन, निगरानी में शामिल किया है और विकलांगता से जुड़े कई मुद्दे पर उनसे परामर्श प्राप्त कर रही है। एनजीओ के साथ कार्य-व्यवहार को विकलांगता से जुड़े योजना, नीति सूत्रीकरण तथा क्रियान्वयन के क्षेत्र में बढ़ाया जाएगा। नेटवर्किंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एनजीओ के बीच अच्छे कार्य पद्धतियों को साझा करने की प्रयास को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए निम्न कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे:

i.     विकलांगता के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ का एक निर्देशिका तैयार किया जाएगा, जहां उनके प्रमुख कार्यों के साथ उनके कार्य क्षेत्र का भी उल्लेख किया जाएगा। केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा समर्थित एनजीओ के लिए उनके संसाधन स्थिति, वित्तीय तथा मानव बल की भी सूचना दी जाएगी। विकलांग व्यक्तियों के संगठन, पारिवारिक संघों तथा उनके माता-पिता का समर्थन करने वाले समूह को भी इस निर्देशिका में शामिल किया जाएगा, जहां उनका अलग से उल्लेख किया जाएगा।

ii.     एनजीओ के कार्यों के विकास में क्षेत्रीय/राज्य असुंतलन मौजूद है। अनारक्षित तथा सुदूर इलाकों में इस दिशा में काम करने वाले एनजीओ को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा उनका संदर्भ प्रस्तुत किया जाएगा। प्रतिष्ठित एनजीओ को भी ऐसे इलाकों में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

iii.     एनजीओ को न्यूनतम मानक, आचार संहिता तथा नैतिकता के विकास के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।

iv.     एनजीओ को उनके कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण तथा जानकारी प्रदान करने के अवसर प्रदान किए जाएंगे। प्रबंधन क्षमता की प्रशिक्षण पहले से दी जा रही है, इसे और भी मजबूत बनाया जाएगा। पारदर्शिता, जिम्मेदारी, प्रक्रिया की सरलता इत्यादि एनजीओ-सरकार के सहयोग के दिशा-निर्देशक कारक होंगे।

v . एनजीओ को उनके संसाधन को विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता पर उनकी निर्भरता कम की जा सके तथा इस क्षेत्र में फंड की उपलब्धता में भी सुधार किया जा सके। एक योजनाबद्ध तरीके से एनजीओ को मिलने वाली सहायता में कमी करना होगा ताकि उपलब्ध संसाधनों के भीतर मदद की जाने वाली एनजीओ की संख्या अधिकतम हो।




दोस्तों आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताये. आप अपनी राय, सवाल और सुझाव हमें comments के जरिये जरुर भेजे. अगर आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे share करे।
आप E-mail के द्वारा भी अपना सुझाव दे सकते हैं।  prakashgoswami03@gmail.com

http://Goswamispecial.blogspot.com


2 comments: