दिव्यांग व्यक्तियों के लिए शिक्षा
दिव्यांग व्यक्तियों के लिए शिक्षा एक महतवपूर्ण संसाधन हैं
जिसके तहत दिव्यांग व्यक्तियों को शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा की भी व्यवस्था की जाती है।जिसके कुछ विंदू निम्न है।
1. सामाजिक तथा आर्थिक सशक्तीकरण के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी माध्यम होता है। संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत, जहां शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है और विकलांग अधिनियम 1995 के अनुच्छेद 26 में विकलांग बच्चों को 18 वर्षों की उम्र तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है । जनगणना 2001 के मुताबिक, 51% विकलांग व्यक्ति निरक्षर हैं। यह एक बहुत बड़ी प्रतिशतता है। विकलांग लोगों को सामान्य शिक्षा प्रणाली की मुख्यधारा में लाने की जरूरत है।
2. सरकार द्वारा चलाया गया सर्व शिक्षा अभियान (SSA) का 8 वर्षों तक बच्चों के प्राथमिक स्कूलिंग प्रदान करने का लक्ष्य है, जिसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चे भी शामिल हैं। विकलांग बच्चों के लिए समेकित शिक्षा के तहत 15 से 18 वर्षों तक की उम्र के विकलांग बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी।
3. सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा विकल्पों का एक सातत्य, सीखने वाले यंत्र औजार, गत्यात्मकता सहायता, सहायक सेवाएं इत्यादि विकलांग छात्रों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें शामिल है मुक्त शिक्षण प्रणाली, ओपन स्कूल, वैकल्पिक स्कूलिंग, दूर शिक्षा, विशेष स्कूल, जहां भी आवश्यक हो घर आधारित शिक्षा, भ्रमणकारी शिक्षक मॉडल, उपचार वाली शिक्षा, पार्ट टाइम कक्षाएं, समुदाय आधारित पुनर्वास व व्यावसायिक शिक्षा के जरिए शिक्षा प्रदान करने का कार्य।
4. राज्य सरकारों, स्वायत्त निकायों तथा स्वयंसेवी संगठनों के जरिए क्रियान्वित आईईडीसी योजना विशेष शिक्षकों, पुस्तक व लेखन सामग्रियों, यूनिफॉर्म, परिवहन, दृष्टि से कमजोर व्यक्तियों के लिए पाठक भत्ता, हॉस्टल भत्ता, उपकरण लागत, वास्तु अवरोधों को हटाता/सुधार करना, निर्देशात्मक सामग्रियों की खरीद/उत्पादन के लिए वित्तीय सहायता, सामान्य शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण व संसाधन कमरों के लिए यंत्र-उपकरण जैसी सुविधाओं के लिए सौ फीसदी वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
5. नियमित सर्वेक्षणों, उचित स्कूलों में उनकी उपस्थिति और शिक्षा पूरी करने तक उनकी निरंतरता के जरिए बच्चों में विकलांगता की पहचान हेतु सरकार की ओर से केंद्रित प्रयास किया जाएगा। सरकार विकलांग बच्चों को सही प्रकार की शिक्षण सामग्रियों तथा पुस्तक प्रदान करने, शिक्षकों व स्कूलों को सही रूप से प्रशिक्षण व सुग्राही बनाने के लिए प्रयास करेगी, जो पहुंच में आने योग्य तथा विकलांग हितैषी हो।
6. भारत सरकार ऐसे विकलांग छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करती है ताकि स्कूल के बाद के स्तर पर पढ़ाई में उन्हें मदद मिल सके। सरकार यह छात्रवृत्ति जारी रखेगी व इसके कवरेज का विस्तार करेगी।
7. विभिन्न प्रकार की उत्पादक गतिविधियों के लिए उपयुक्त योग्यता निर्माण के लिए तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा सुविधा प्रदान की जाएगी। जिसके लिए मौजूदा संस्थान या कार्यरत या अछूते क्षेत्रों के अधिकृत संस्थानों का अनुकूलन किया जाएगा। गैर सरकारी संगठनों को भी व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
8. विकलांग व्यक्तियों को उच्च शिक्षा व व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए विश्व विद्यालयों, तकनीकी संस्थानों तथा उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों में पहुंच प्रदान की जाएगी।
विकलांग व्यक्तियों के लिए आर्थिक पुनर्वास
9. विकलांग व्यक्तियों के आर्थिक पुनर्वास में संगठित क्षेत्र में दिहाड़ी रोजगार तथा स्व-रोजगार भी शामिल है। सेवाओं को इस प्रकार बढ़ावा दिया जाए कि व्यावसायिक पुनर्वास केंद्र तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों को विकसित किया जा सके, ताकि ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के विकलांगों को उत्पादक तथा लाभकारी रोजगार मुहैया कराया जा सके। विकलांगों के आर्थिक सशक्तीकरण हेतु रणनीतियां निम्नानुसार होंगी:
(i) सरकारी महकमों में रोजगार
विकलाँग व्यक्ति अधिनियम, 1995 सरकारी महकमों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 3% का आरक्षण का प्रावधान करता है। विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में समूह ए, बी, सी तथा डी के लिए सरकार के आरक्षण की स्थिति क्रमशः 3.07%, 4.41%, 3.76% तथा 3.18% है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में यह स्थिति क्रमशः 2.78%, 8.54%, 5.04% तथा 6.75% है। सरकार विकलाँग व्यक्ति अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के अनुरूप चिह्नित पदों के लिए सरकारी क्षेत्र में (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों समेत) आरक्षण सुनिश्चित करेगी। चिह्नित पदों की सूची को वर्ष 2001 में अधिसूचित किया गया है, जिसकी समीक्षा की जाएगी और अद्यतन किया जाएगा।
(ii) निजी क्षेत्र में दिहाड़ी रोजगार
निजी क्षेत्र में विकलाकों को रोजगार के लिए सक्षम बनाने के लिए उनकी योग्यता का विकास किया जाएगा। विकलांग व्यक्तियों के बीच उचित योग्यता के विकास हेतु संचालित व्यावसायिक पुनर्वास तथा प्रशिक्षण केंद्र को उनकी सेवाओं के विस्तार के लिए बढ़ावा दिया जाएगा। सेवा क्षेत्र में रोजगार अवसरों के तीव्र विकास को देखते हुए विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों को बाजार की जरूरतों के मुताबिक योग्यता निर्माण के लिए बढ़ावा दिया जाएगा। इनसेंटिव, पुरस्कार, कर में छूट इत्यादि जैसे सक्रिय उपायों द्वारा निजी क्षेत्रों में विकलांग व्यक्तियों को रोजगार सृजन के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
(iii) स्व-रोजगार
संगठित क्षेत्र में विकलांग लोगों के रोजगार के अवसरों के विकास की धीमी दर को देखते हुए, स्व-रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाएगा। ऐसा व्यावसायिक शिक्षा तथा प्रबंधन प्रशिक्षण के जरिए किया जाएगा। इसके अलावा एनएचएफडीसी से आसानी से ऋण मुहैय्या कराने की मौजूदा प्रणालियों से यह काफी पारदर्शक और दक्ष प्रक्रिया बन गई है। सरकार इंसेंटिव, कर से छूट, ड्यूटी से छूट, विकलांगों के लिए सेवा देने वाले तथा सामान बनाने वाले उपक्रमों को सरकार द्वारा बढ़ावा देकर, सरकार स्व-रोजगार को प्रोत्साहित करेगी। विकलांगों द्वारा बनाए स्वयं-सहायता समूह के लिए वित्तीय सहायता को प्राथमिकता दी जाएगी।
विकलांग महिलाएं
10. जनगणना -2001 के मुताबिक, देश में 93.01 लाख विकलांग महिलाएं हैं जो कुल विकलांग आबादी का 42.46% हिस्सा निर्मित करती हैं। विकलांग महिलाओं को शोषण व दुर्व्यवहार से बचाने की जरूरत है। विकलांग महिलाओं की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा, रोजगार तथा अन्य पुनर्वास सेवाओं के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। विशेष शिक्षा तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाओं की स्थापना की जाएगी। परित्यक्त विकलांग महिलाओं/लड़कियों के पुनर्वास के लिए कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जहां परिवारों द्वारा उन्हें स्वीकार करने, उनके निवास में मदद करने और लाभप्रद रोजगार योग्यताओं को हासिल कराने के प्रयास किए जाएंगे। सरकार उन परियोजनाओं को प्रोत्साहित करेगी जहां विकलांग महिलाओं के प्रतिनिधि को कम से कम कुल लाभ का 25% तक प्रदान किया जा सके।
11. विकलांग महिलाओं के लिए कम समय के लिए रहने के लिए घर, नौकरी-पेशा महिला के लिए हॉस्टल तथा बुजुर्ग विकलांग महिलाओं के लिए घर प्रदान करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
12. यह देखा गया है कि विकलांगता से ग्रस्त महिलाओं में उनके बच्चों की देखभाल की गंभीर समस्या होती है। सरकार ऐसी विकलांग महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, ताकि वे अपने बच्चों के परवरिश के लिए आवश्यक सेवाओं को उपलब्ध करा सके। ऐसी सहायता अधिकतम दो सालों तक 2 बच्चों के लिए मुहैय्या कराई जाएगी।
विकलांग बच्चे
13. विकलांगता के शिकार बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील समूह के होते हैं और उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए सरकार निम्नांकित कदम उठाएगी:
अवरोध मुक्त वातावरण
14. अवरोध-मुक्त वातावरण से विकलांग व्यक्ति सुरक्षित तथा आसानीपूर्वक चल-फिर सकते हैं। अवरोधमुक्त डिजाइन का उद्देश्य है कि विकलांग लोगों को ऐसा वातावरण प्रदान किया जाए जहां वे अपनी दैनिक गतिविधियों में बिना किसी सहायता के गमन कर सकें। इसलिए जितना अधिक संभव हो, सार्वजनिक भवनों, स्थानों, परिवहन प्रणालियों को अवरोध मुक्त रखा जाएगा।
विकलांगता प्रमाणपत्र जारी करना
15. भारत सरकार ने विकलांगता के मूल्यांकन व प्रमाणपत्र के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इसके तहत सरकार सुनिश्चित करेगी कि विकलांग व्यक्ति कम से कम समय में बिना किसी परेशानी के विकलांगता प्रमाणपत्र प्राप्त कर सके, जिसके लिए सरल, पारदर्शक व ग्राहकोन्मुख प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा।
सामाजिक सुरक्षा
16. विकलांग व्यक्तियों, उनके परिवार तथा उनकी देखभाल करने वालों को पर्याप्त अतिरिक्त व्यय राशि दी जाएगी ताकि वे दैनिक कार्यों, मेडिकल देखभाल, परिवहन, सहायक उपकरणों को खरीद सकें। इसलिए उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार विकलांग व्यक्तियों व उनके अभिभावकों को करों में छूट दे रही है। राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेशों को बेरोजगार भत्ता या विकलांगता पेंशन मुहैया कराया जा रहा है। राज्य सरकारों को विकलांगों के लिए एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा नीति के विकास के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
17. ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंद तथा बहु-विकलांगता के शिकार बच्चों के माता-पिता अपनी मृत्यु के बाद ऐसे बच्चों की देखभाल को लेकर काफी असुरक्षित महसूस करते हैं। ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंद तथा बहु-विकलांगता के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट स्थानीय स्तर की समिति द्वारा कानूनी अभिभावकत्व प्रदान करता आ रहा है। वे सहायता प्राप्त अभिभावकत्व योजना का भी क्रियान्वयन कर रहे हैं, ताकि दरिद्र तथा परित्यक्त व्यक्ति जिनमें उपरोक्त गंभीर विकलांगता हो, उन्हें वित्तीय मदद की जा सके। यह योजना मौजूदा समय में कुछ जिलों में लागू की जा रही है, अब इसे योजनाबद्ध तरीके से अन्य क्षेत्रों में भी प्रसारित किया जाएगा।
गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को प्रोत्साहन
18. राष्ट्रीय नीति गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को एक काफी अहम संस्थानिक प्रणाली के रूप में मानती है, जो सरकार के प्रयासों को लागू करने का एक सस्ता माध्यम है।
एनजीओ सेक्टर गतिशील व उदयीमान क्षेत्र है। विकलांग व्यक्ति को सेवा देने के प्रावधान में इसने एक अहम भूमिका निभाई है। कुछ एनजीओ मानव संसाधन विकास तथा अनुसंसाधन कार्य संचालित कर रहे हैं। सरकार भी उन्हें सक्रिय रूप से नीति के सूत्रीकरण, योजना, क्रियान्वयन, निगरानी में शामिल किया है और विकलांगता से जुड़े कई मुद्दे पर उनसे परामर्श प्राप्त कर रही है। एनजीओ के साथ कार्य-व्यवहार को विकलांगता से जुड़े योजना, नीति सूत्रीकरण तथा क्रियान्वयन के क्षेत्र में बढ़ाया जाएगा। नेटवर्किंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एनजीओ के बीच अच्छे कार्य पद्धतियों को साझा करने की प्रयास को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए निम्न कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे:
i. विकलांगता के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ का एक निर्देशिका तैयार किया जाएगा, जहां उनके प्रमुख कार्यों के साथ उनके कार्य क्षेत्र का भी उल्लेख किया जाएगा। केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा समर्थित एनजीओ के लिए उनके संसाधन स्थिति, वित्तीय तथा मानव बल की भी सूचना दी जाएगी। विकलांग व्यक्तियों के संगठन, पारिवारिक संघों तथा उनके माता-पिता का समर्थन करने वाले समूह को भी इस निर्देशिका में शामिल किया जाएगा, जहां उनका अलग से उल्लेख किया जाएगा।
ii. एनजीओ के कार्यों के विकास में क्षेत्रीय/राज्य असुंतलन मौजूद है। अनारक्षित तथा सुदूर इलाकों में इस दिशा में काम करने वाले एनजीओ को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा उनका संदर्भ प्रस्तुत किया जाएगा। प्रतिष्ठित एनजीओ को भी ऐसे इलाकों में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
iii. एनजीओ को न्यूनतम मानक, आचार संहिता तथा नैतिकता के विकास के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
iv. एनजीओ को उनके कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण तथा जानकारी प्रदान करने के अवसर प्रदान किए जाएंगे। प्रबंधन क्षमता की प्रशिक्षण पहले से दी जा रही है, इसे और भी मजबूत बनाया जाएगा। पारदर्शिता, जिम्मेदारी, प्रक्रिया की सरलता इत्यादि एनजीओ-सरकार के सहयोग के दिशा-निर्देशक कारक होंगे।
v . एनजीओ को उनके संसाधन को विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता पर उनकी निर्भरता कम की जा सके तथा इस क्षेत्र में फंड की उपलब्धता में भी सुधार किया जा सके। एक योजनाबद्ध तरीके से एनजीओ को मिलने वाली सहायता में कमी करना होगा ताकि उपलब्ध संसाधनों के भीतर मदद की जाने वाली एनजीओ की संख्या अधिकतम हो। इस दिशा में एनजीओ को संसाधन के एकत्रण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा
विकलांग व्यक्तियों से जुड़ी जानकारी का नियमित संग्रह
19. विकलांग व्यक्तियों के सामाजिक दशा से जुड़े आंकड़ों का नियमित संग्रह, प्रकाशन तथा विश्लेषण की आवश्यकता है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन वर्ष 1981 से नियमित रूप से हर दस साल पर एक बार विकलांग व्यक्तियों की सामाजिक दशा से जुड़े आंकड़ों का नियमित संग्रह, प्रकाशन तथा विश्लेषण करता है। जनगणना-2001 से भी जनगणना में विकलांग व्यक्ति की सूचनाओं को एकत्र किया जाने लगा है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन को पांच साल में एक बार विकलांगता के शिकार व्यक्तियों की सूचनाएं एकत्र करनी होगी। दोनों एजेंसियों के आंकड़ों के बीच के अंतर को मिलाया जाएगा।
20. सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय के तहत विकलांग व्यक्तियों के लिए एक व्यापक वेबसाइट का निर्माण किया जाएगा। सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के संगठनों को ऐसी वेबसाइट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसे दृष्टि विकलांग व्यक्ति स्क्रीन रीडिंग तकनीक के जरिए पढ़ सकता है।
मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों की माता पिता की एसोसिएशन के लिए योजना
उद्देश्य -
इस स्कीम का उद्देश्य मानसिक रुप से विकलांग व्याक्तियों के माता-पिता के संघों को ऋण मुहैया कराना है जिससे मानसिक रुप से विकलांग व्यक्तियों के लाभार्था आय सृजन के क्रियाकलाप स्थापित किया जा सके। इस आय सृजन क्रियाकलाप की प्रकृति ऐसी होनी चाहिए जिसमे मानसिक रुप से विकलांग व्यक्ति प्रत्यक्ष रुप से इसमें शामिल होने चाहिए और आय ऐसे व्यक्तियों के बीच बराबर-बराबर बंटनी चाहिए। आय सृजन क्रियाकलाप का प्रबंधन माता-पिता संघ द्वारा किया जायेगा जो अपनी सेवाए स्वैच्छिक रुप से मुहैया कराएँगे।

पात्रता-
क) ऐसे व्यक्तियों के माता-पिता के संघ कम से कम 3 वर्ष से पंजीकृत होने चाहिए।
ख) इसमे न्यूनतम 05 माता-पिताओं की सदस्यता होनी चाहिए ।
ग) कोई भी केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, निजी उपक्रम के किसी अन्य वित्तीय संस्थान, बैंको आदि का वित्तीय बकायादार नहीं होना चाहिए।
छूट-
1% की छूट सहायक पर विकलांग महिला के लिए ब्याज.
ऋण की प्रमात्रा -
प्रत्येक गैर-सरकारी संगठन के लिए ऋण प्रमात्रा 5-00 लाख रुपये तक सीमित है। गैर-सरकारी संगठन का शेयर परियोजना लागत का 5 % होगा। गैर-सरकारी संगठन ऋण का उपयोग एकल अथवा बहुल क्रियाकलाप परियोजना के क्रियान्वयन में लगायेगी तथा जिसमें लाभभोगियों की अधिकतम सम्भव भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
ब्याज दर -
ऋण धनराशि पर ब्याज निम्नलिखित अनुसार लिया जाएगा -
क) 50,000/-रुपये तक - 5 प्रतिशत प्रति वर्ष।
ख) 50,000/-रुपये से अधिक किन्तु 5-00 लाख से कम - 6 प्रतिशत प्रति वर्ष।
अदायगी अवधि -
ब्याज सहित ऋण 10 वर्ष के भीतर बराबर तिमाही किश्तों में अदा की जाएगी।.
ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया -
स्कीम के अन्तर्गत गैर-सरकारी संगठन द्वारा ऋण आवेदन सीधे राष्ट्रीय विकलांग वित्त एवं विकास निगम को प्रस्तुत करना होगा। तथापि, गैर-सरकारी संगठन को अपनी प्रबंधन समिति/न्यास बोर्ड द्वारा इस संबंध में एक संकल्प पारित करवाना होगा। इसका प्रमाण आवेदन सहित भेजना अनिवार्य होगा।
छावनी परिषद में दिव्यांग बच्चों के लिए शुरू हुआ स्कूल ‘उड़ान’

सोमवार को छावनी परिषद में विशेष बच्चों के लिए शुरू हुए स्कूल का उद्घाटन करते मेजर जनरल एसके सिंह और अन्य अतिथिगण। इलाहाबाद में श्रवण बधिर, मानसिक रूप से मंद जैसी विभिन्न कटेगरी के दिव्यांग बच्चों को अब नई दिशा मिल सकेगी। छावनी परिषद ने ऐसे बच्चों के लिए एक नया स्कूल ‘उड़ान’ शुरू किया है। यहां बच्चों को स्पीच थेरेपी, फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी काउंसलिंग, मनोचिकित्सकीय जांच मेडिकल सुविधा, स्पोर्ट्स समेत वोकेशनल ट्रेनिंग बहुत ही मामूली शुल्क में दी जाएगी। सोमवार को स्कूल का उद्घाटन मुख्य अतिथि जीओसी पूर्व यूपी एंड एमपी सब एरिया के मेजर जनरल एसके सिंह एवं आवा की अध्यक्ष बाला सिंह ने संयुक्त रूप से किया। मेजर जनरल ने कहा कि ऐसे बच्चों की क्षमताओं को विकसित करने के लिए बड़े ही धैर्य की जरूरत है। अध्यक्ष बाला सिंह ने बच्चों को गिफ्ट बांटे।
दोस्तों आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताये. आप अपनी राय, सवाल और सुझाव हमें comments के जरिये जरुर भेजे. अगर आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे share करे।
आप E-mail के द्वारा भी अपना सुझाव दे सकते हैं। prakashgoswami03@gmail.com
http://Goswamispecial.blogspot.com
दिव्यांग व्यक्तियों के लिए शिक्षा एक महतवपूर्ण संसाधन हैं
जिसके तहत दिव्यांग व्यक्तियों को शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा की भी व्यवस्था की जाती है।जिसके कुछ विंदू निम्न है।
1. सामाजिक तथा आर्थिक सशक्तीकरण के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी माध्यम होता है। संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत, जहां शिक्षा को मौलिक अधिकार माना गया है और विकलांग अधिनियम 1995 के अनुच्छेद 26 में विकलांग बच्चों को 18 वर्षों की उम्र तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है । जनगणना 2001 के मुताबिक, 51% विकलांग व्यक्ति निरक्षर हैं। यह एक बहुत बड़ी प्रतिशतता है। विकलांग लोगों को सामान्य शिक्षा प्रणाली की मुख्यधारा में लाने की जरूरत है।
2. सरकार द्वारा चलाया गया सर्व शिक्षा अभियान (SSA) का 8 वर्षों तक बच्चों के प्राथमिक स्कूलिंग प्रदान करने का लक्ष्य है, जिसमें 6 से 14 वर्ष के बच्चे भी शामिल हैं। विकलांग बच्चों के लिए समेकित शिक्षा के तहत 15 से 18 वर्षों तक की उम्र के विकलांग बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी।
3. सर्व शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा विकल्पों का एक सातत्य, सीखने वाले यंत्र औजार, गत्यात्मकता सहायता, सहायक सेवाएं इत्यादि विकलांग छात्रों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें शामिल है मुक्त शिक्षण प्रणाली, ओपन स्कूल, वैकल्पिक स्कूलिंग, दूर शिक्षा, विशेष स्कूल, जहां भी आवश्यक हो घर आधारित शिक्षा, भ्रमणकारी शिक्षक मॉडल, उपचार वाली शिक्षा, पार्ट टाइम कक्षाएं, समुदाय आधारित पुनर्वास व व्यावसायिक शिक्षा के जरिए शिक्षा प्रदान करने का कार्य।
4. राज्य सरकारों, स्वायत्त निकायों तथा स्वयंसेवी संगठनों के जरिए क्रियान्वित आईईडीसी योजना विशेष शिक्षकों, पुस्तक व लेखन सामग्रियों, यूनिफॉर्म, परिवहन, दृष्टि से कमजोर व्यक्तियों के लिए पाठक भत्ता, हॉस्टल भत्ता, उपकरण लागत, वास्तु अवरोधों को हटाता/सुधार करना, निर्देशात्मक सामग्रियों की खरीद/उत्पादन के लिए वित्तीय सहायता, सामान्य शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण व संसाधन कमरों के लिए यंत्र-उपकरण जैसी सुविधाओं के लिए सौ फीसदी वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
5. नियमित सर्वेक्षणों, उचित स्कूलों में उनकी उपस्थिति और शिक्षा पूरी करने तक उनकी निरंतरता के जरिए बच्चों में विकलांगता की पहचान हेतु सरकार की ओर से केंद्रित प्रयास किया जाएगा। सरकार विकलांग बच्चों को सही प्रकार की शिक्षण सामग्रियों तथा पुस्तक प्रदान करने, शिक्षकों व स्कूलों को सही रूप से प्रशिक्षण व सुग्राही बनाने के लिए प्रयास करेगी, जो पहुंच में आने योग्य तथा विकलांग हितैषी हो।
6. भारत सरकार ऐसे विकलांग छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करती है ताकि स्कूल के बाद के स्तर पर पढ़ाई में उन्हें मदद मिल सके। सरकार यह छात्रवृत्ति जारी रखेगी व इसके कवरेज का विस्तार करेगी।
7. विभिन्न प्रकार की उत्पादक गतिविधियों के लिए उपयुक्त योग्यता निर्माण के लिए तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा सुविधा प्रदान की जाएगी। जिसके लिए मौजूदा संस्थान या कार्यरत या अछूते क्षेत्रों के अधिकृत संस्थानों का अनुकूलन किया जाएगा। गैर सरकारी संगठनों को भी व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
8. विकलांग व्यक्तियों को उच्च शिक्षा व व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए विश्व विद्यालयों, तकनीकी संस्थानों तथा उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों में पहुंच प्रदान की जाएगी।
विकलांग व्यक्तियों के लिए आर्थिक पुनर्वास
9. विकलांग व्यक्तियों के आर्थिक पुनर्वास में संगठित क्षेत्र में दिहाड़ी रोजगार तथा स्व-रोजगार भी शामिल है। सेवाओं को इस प्रकार बढ़ावा दिया जाए कि व्यावसायिक पुनर्वास केंद्र तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों को विकसित किया जा सके, ताकि ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के विकलांगों को उत्पादक तथा लाभकारी रोजगार मुहैया कराया जा सके। विकलांगों के आर्थिक सशक्तीकरण हेतु रणनीतियां निम्नानुसार होंगी:
(i) सरकारी महकमों में रोजगार
विकलाँग व्यक्ति अधिनियम, 1995 सरकारी महकमों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 3% का आरक्षण का प्रावधान करता है। विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में समूह ए, बी, सी तथा डी के लिए सरकार के आरक्षण की स्थिति क्रमशः 3.07%, 4.41%, 3.76% तथा 3.18% है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में यह स्थिति क्रमशः 2.78%, 8.54%, 5.04% तथा 6.75% है। सरकार विकलाँग व्यक्ति अधिनियम, 1995 के प्रावधानों के अनुरूप चिह्नित पदों के लिए सरकारी क्षेत्र में (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों समेत) आरक्षण सुनिश्चित करेगी। चिह्नित पदों की सूची को वर्ष 2001 में अधिसूचित किया गया है, जिसकी समीक्षा की जाएगी और अद्यतन किया जाएगा।
(ii) निजी क्षेत्र में दिहाड़ी रोजगार
निजी क्षेत्र में विकलाकों को रोजगार के लिए सक्षम बनाने के लिए उनकी योग्यता का विकास किया जाएगा। विकलांग व्यक्तियों के बीच उचित योग्यता के विकास हेतु संचालित व्यावसायिक पुनर्वास तथा प्रशिक्षण केंद्र को उनकी सेवाओं के विस्तार के लिए बढ़ावा दिया जाएगा। सेवा क्षेत्र में रोजगार अवसरों के तीव्र विकास को देखते हुए विकलांगता से ग्रस्त व्यक्तियों को बाजार की जरूरतों के मुताबिक योग्यता निर्माण के लिए बढ़ावा दिया जाएगा। इनसेंटिव, पुरस्कार, कर में छूट इत्यादि जैसे सक्रिय उपायों द्वारा निजी क्षेत्रों में विकलांग व्यक्तियों को रोजगार सृजन के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
(iii) स्व-रोजगार
संगठित क्षेत्र में विकलांग लोगों के रोजगार के अवसरों के विकास की धीमी दर को देखते हुए, स्व-रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाएगा। ऐसा व्यावसायिक शिक्षा तथा प्रबंधन प्रशिक्षण के जरिए किया जाएगा। इसके अलावा एनएचएफडीसी से आसानी से ऋण मुहैय्या कराने की मौजूदा प्रणालियों से यह काफी पारदर्शक और दक्ष प्रक्रिया बन गई है। सरकार इंसेंटिव, कर से छूट, ड्यूटी से छूट, विकलांगों के लिए सेवा देने वाले तथा सामान बनाने वाले उपक्रमों को सरकार द्वारा बढ़ावा देकर, सरकार स्व-रोजगार को प्रोत्साहित करेगी। विकलांगों द्वारा बनाए स्वयं-सहायता समूह के लिए वित्तीय सहायता को प्राथमिकता दी जाएगी।
विकलांग महिलाएं
10. जनगणना -2001 के मुताबिक, देश में 93.01 लाख विकलांग महिलाएं हैं जो कुल विकलांग आबादी का 42.46% हिस्सा निर्मित करती हैं। विकलांग महिलाओं को शोषण व दुर्व्यवहार से बचाने की जरूरत है। विकलांग महिलाओं की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा, रोजगार तथा अन्य पुनर्वास सेवाओं के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। विशेष शिक्षा तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाओं की स्थापना की जाएगी। परित्यक्त विकलांग महिलाओं/लड़कियों के पुनर्वास के लिए कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जहां परिवारों द्वारा उन्हें स्वीकार करने, उनके निवास में मदद करने और लाभप्रद रोजगार योग्यताओं को हासिल कराने के प्रयास किए जाएंगे। सरकार उन परियोजनाओं को प्रोत्साहित करेगी जहां विकलांग महिलाओं के प्रतिनिधि को कम से कम कुल लाभ का 25% तक प्रदान किया जा सके।
11. विकलांग महिलाओं के लिए कम समय के लिए रहने के लिए घर, नौकरी-पेशा महिला के लिए हॉस्टल तथा बुजुर्ग विकलांग महिलाओं के लिए घर प्रदान करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
12. यह देखा गया है कि विकलांगता से ग्रस्त महिलाओं में उनके बच्चों की देखभाल की गंभीर समस्या होती है। सरकार ऐसी विकलांग महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, ताकि वे अपने बच्चों के परवरिश के लिए आवश्यक सेवाओं को उपलब्ध करा सके। ऐसी सहायता अधिकतम दो सालों तक 2 बच्चों के लिए मुहैय्या कराई जाएगी।
विकलांग बच्चे
13. विकलांगता के शिकार बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील समूह के होते हैं और उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए सरकार निम्नांकित कदम उठाएगी:
- विकलांग बच्चों की देखभाल, सुरक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करेगी;
- गरिमा तथा समानता के लिए विकास के अधिकार को सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि एक सक्षम वातावरण का निर्माण किया जाए जहां विक्लांग बच्चे अपने अधिकार की पूर्ति कर सके और विभिन्न कानूनों के अनुरूप समान अवसरों का लाभ उठाकर पूर्ण भागीदारी प्रदर्शित कर सके।
- विकलांग बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ विशेष पुनर्वास सेवाओं को शामिल किया जाएगा।
- गंभीर विकलांगता के शिकार बच्चों के लिए विकास के अधिकार तथा विशेष आवश्यकताओं व देखभाल, सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा।
अवरोध मुक्त वातावरण
14. अवरोध-मुक्त वातावरण से विकलांग व्यक्ति सुरक्षित तथा आसानीपूर्वक चल-फिर सकते हैं। अवरोधमुक्त डिजाइन का उद्देश्य है कि विकलांग लोगों को ऐसा वातावरण प्रदान किया जाए जहां वे अपनी दैनिक गतिविधियों में बिना किसी सहायता के गमन कर सकें। इसलिए जितना अधिक संभव हो, सार्वजनिक भवनों, स्थानों, परिवहन प्रणालियों को अवरोध मुक्त रखा जाएगा।
विकलांगता प्रमाणपत्र जारी करना
15. भारत सरकार ने विकलांगता के मूल्यांकन व प्रमाणपत्र के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इसके तहत सरकार सुनिश्चित करेगी कि विकलांग व्यक्ति कम से कम समय में बिना किसी परेशानी के विकलांगता प्रमाणपत्र प्राप्त कर सके, जिसके लिए सरल, पारदर्शक व ग्राहकोन्मुख प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा।
सामाजिक सुरक्षा
16. विकलांग व्यक्तियों, उनके परिवार तथा उनकी देखभाल करने वालों को पर्याप्त अतिरिक्त व्यय राशि दी जाएगी ताकि वे दैनिक कार्यों, मेडिकल देखभाल, परिवहन, सहायक उपकरणों को खरीद सकें। इसलिए उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार विकलांग व्यक्तियों व उनके अभिभावकों को करों में छूट दे रही है। राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेशों को बेरोजगार भत्ता या विकलांगता पेंशन मुहैया कराया जा रहा है। राज्य सरकारों को विकलांगों के लिए एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा नीति के विकास के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
17. ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंद तथा बहु-विकलांगता के शिकार बच्चों के माता-पिता अपनी मृत्यु के बाद ऐसे बच्चों की देखभाल को लेकर काफी असुरक्षित महसूस करते हैं। ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी, मानसिक मंद तथा बहु-विकलांगता के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट स्थानीय स्तर की समिति द्वारा कानूनी अभिभावकत्व प्रदान करता आ रहा है। वे सहायता प्राप्त अभिभावकत्व योजना का भी क्रियान्वयन कर रहे हैं, ताकि दरिद्र तथा परित्यक्त व्यक्ति जिनमें उपरोक्त गंभीर विकलांगता हो, उन्हें वित्तीय मदद की जा सके। यह योजना मौजूदा समय में कुछ जिलों में लागू की जा रही है, अब इसे योजनाबद्ध तरीके से अन्य क्षेत्रों में भी प्रसारित किया जाएगा।
गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को प्रोत्साहन
18. राष्ट्रीय नीति गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को एक काफी अहम संस्थानिक प्रणाली के रूप में मानती है, जो सरकार के प्रयासों को लागू करने का एक सस्ता माध्यम है।
एनजीओ सेक्टर गतिशील व उदयीमान क्षेत्र है। विकलांग व्यक्ति को सेवा देने के प्रावधान में इसने एक अहम भूमिका निभाई है। कुछ एनजीओ मानव संसाधन विकास तथा अनुसंसाधन कार्य संचालित कर रहे हैं। सरकार भी उन्हें सक्रिय रूप से नीति के सूत्रीकरण, योजना, क्रियान्वयन, निगरानी में शामिल किया है और विकलांगता से जुड़े कई मुद्दे पर उनसे परामर्श प्राप्त कर रही है। एनजीओ के साथ कार्य-व्यवहार को विकलांगता से जुड़े योजना, नीति सूत्रीकरण तथा क्रियान्वयन के क्षेत्र में बढ़ाया जाएगा। नेटवर्किंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एनजीओ के बीच अच्छे कार्य पद्धतियों को साझा करने की प्रयास को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए निम्न कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे:
i. विकलांगता के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ का एक निर्देशिका तैयार किया जाएगा, जहां उनके प्रमुख कार्यों के साथ उनके कार्य क्षेत्र का भी उल्लेख किया जाएगा। केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा समर्थित एनजीओ के लिए उनके संसाधन स्थिति, वित्तीय तथा मानव बल की भी सूचना दी जाएगी। विकलांग व्यक्तियों के संगठन, पारिवारिक संघों तथा उनके माता-पिता का समर्थन करने वाले समूह को भी इस निर्देशिका में शामिल किया जाएगा, जहां उनका अलग से उल्लेख किया जाएगा।
ii. एनजीओ के कार्यों के विकास में क्षेत्रीय/राज्य असुंतलन मौजूद है। अनारक्षित तथा सुदूर इलाकों में इस दिशा में काम करने वाले एनजीओ को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा उनका संदर्भ प्रस्तुत किया जाएगा। प्रतिष्ठित एनजीओ को भी ऐसे इलाकों में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
iii. एनजीओ को न्यूनतम मानक, आचार संहिता तथा नैतिकता के विकास के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
iv. एनजीओ को उनके कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण तथा जानकारी प्रदान करने के अवसर प्रदान किए जाएंगे। प्रबंधन क्षमता की प्रशिक्षण पहले से दी जा रही है, इसे और भी मजबूत बनाया जाएगा। पारदर्शिता, जिम्मेदारी, प्रक्रिया की सरलता इत्यादि एनजीओ-सरकार के सहयोग के दिशा-निर्देशक कारक होंगे।
v . एनजीओ को उनके संसाधन को विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता पर उनकी निर्भरता कम की जा सके तथा इस क्षेत्र में फंड की उपलब्धता में भी सुधार किया जा सके। एक योजनाबद्ध तरीके से एनजीओ को मिलने वाली सहायता में कमी करना होगा ताकि उपलब्ध संसाधनों के भीतर मदद की जाने वाली एनजीओ की संख्या अधिकतम हो। इस दिशा में एनजीओ को संसाधन के एकत्रण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा
विकलांग व्यक्तियों से जुड़ी जानकारी का नियमित संग्रह
19. विकलांग व्यक्तियों के सामाजिक दशा से जुड़े आंकड़ों का नियमित संग्रह, प्रकाशन तथा विश्लेषण की आवश्यकता है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन वर्ष 1981 से नियमित रूप से हर दस साल पर एक बार विकलांग व्यक्तियों की सामाजिक दशा से जुड़े आंकड़ों का नियमित संग्रह, प्रकाशन तथा विश्लेषण करता है। जनगणना-2001 से भी जनगणना में विकलांग व्यक्ति की सूचनाओं को एकत्र किया जाने लगा है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन को पांच साल में एक बार विकलांगता के शिकार व्यक्तियों की सूचनाएं एकत्र करनी होगी। दोनों एजेंसियों के आंकड़ों के बीच के अंतर को मिलाया जाएगा।
20. सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय के तहत विकलांग व्यक्तियों के लिए एक व्यापक वेबसाइट का निर्माण किया जाएगा। सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के संगठनों को ऐसी वेबसाइट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसे दृष्टि विकलांग व्यक्ति स्क्रीन रीडिंग तकनीक के जरिए पढ़ सकता है।
मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों की माता पिता की एसोसिएशन के लिए योजना
उद्देश्य -
इस स्कीम का उद्देश्य मानसिक रुप से विकलांग व्याक्तियों के माता-पिता के संघों को ऋण मुहैया कराना है जिससे मानसिक रुप से विकलांग व्यक्तियों के लाभार्था आय सृजन के क्रियाकलाप स्थापित किया जा सके। इस आय सृजन क्रियाकलाप की प्रकृति ऐसी होनी चाहिए जिसमे मानसिक रुप से विकलांग व्यक्ति प्रत्यक्ष रुप से इसमें शामिल होने चाहिए और आय ऐसे व्यक्तियों के बीच बराबर-बराबर बंटनी चाहिए। आय सृजन क्रियाकलाप का प्रबंधन माता-पिता संघ द्वारा किया जायेगा जो अपनी सेवाए स्वैच्छिक रुप से मुहैया कराएँगे।

पात्रता-
क) ऐसे व्यक्तियों के माता-पिता के संघ कम से कम 3 वर्ष से पंजीकृत होने चाहिए।
ख) इसमे न्यूनतम 05 माता-पिताओं की सदस्यता होनी चाहिए ।
ग) कोई भी केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, निजी उपक्रम के किसी अन्य वित्तीय संस्थान, बैंको आदि का वित्तीय बकायादार नहीं होना चाहिए।
छूट-
1% की छूट सहायक पर विकलांग महिला के लिए ब्याज.
ऋण की प्रमात्रा -
प्रत्येक गैर-सरकारी संगठन के लिए ऋण प्रमात्रा 5-00 लाख रुपये तक सीमित है। गैर-सरकारी संगठन का शेयर परियोजना लागत का 5 % होगा। गैर-सरकारी संगठन ऋण का उपयोग एकल अथवा बहुल क्रियाकलाप परियोजना के क्रियान्वयन में लगायेगी तथा जिसमें लाभभोगियों की अधिकतम सम्भव भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
ब्याज दर -
ऋण धनराशि पर ब्याज निम्नलिखित अनुसार लिया जाएगा -
क) 50,000/-रुपये तक - 5 प्रतिशत प्रति वर्ष।
ख) 50,000/-रुपये से अधिक किन्तु 5-00 लाख से कम - 6 प्रतिशत प्रति वर्ष।
अदायगी अवधि -
ब्याज सहित ऋण 10 वर्ष के भीतर बराबर तिमाही किश्तों में अदा की जाएगी।.
ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया -
स्कीम के अन्तर्गत गैर-सरकारी संगठन द्वारा ऋण आवेदन सीधे राष्ट्रीय विकलांग वित्त एवं विकास निगम को प्रस्तुत करना होगा। तथापि, गैर-सरकारी संगठन को अपनी प्रबंधन समिति/न्यास बोर्ड द्वारा इस संबंध में एक संकल्प पारित करवाना होगा। इसका प्रमाण आवेदन सहित भेजना अनिवार्य होगा।
छावनी परिषद में दिव्यांग बच्चों के लिए शुरू हुआ स्कूल ‘उड़ान’

सोमवार को छावनी परिषद में विशेष बच्चों के लिए शुरू हुए स्कूल का उद्घाटन करते मेजर जनरल एसके सिंह और अन्य अतिथिगण। इलाहाबाद में श्रवण बधिर, मानसिक रूप से मंद जैसी विभिन्न कटेगरी के दिव्यांग बच्चों को अब नई दिशा मिल सकेगी। छावनी परिषद ने ऐसे बच्चों के लिए एक नया स्कूल ‘उड़ान’ शुरू किया है। यहां बच्चों को स्पीच थेरेपी, फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी काउंसलिंग, मनोचिकित्सकीय जांच मेडिकल सुविधा, स्पोर्ट्स समेत वोकेशनल ट्रेनिंग बहुत ही मामूली शुल्क में दी जाएगी। सोमवार को स्कूल का उद्घाटन मुख्य अतिथि जीओसी पूर्व यूपी एंड एमपी सब एरिया के मेजर जनरल एसके सिंह एवं आवा की अध्यक्ष बाला सिंह ने संयुक्त रूप से किया। मेजर जनरल ने कहा कि ऐसे बच्चों की क्षमताओं को विकसित करने के लिए बड़े ही धैर्य की जरूरत है। अध्यक्ष बाला सिंह ने बच्चों को गिफ्ट बांटे।
दोस्तों आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताये. आप अपनी राय, सवाल और सुझाव हमें comments के जरिये जरुर भेजे. अगर आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे share करे।
आप E-mail के द्वारा भी अपना सुझाव दे सकते हैं। prakashgoswami03@gmail.com
http://Goswamispecial.blogspot.com
No comments:
Post a Comment