RMSA का परिचय
शिक्षा देश में उच्च स्तर पर चिरस्थायी विकास प्राप्त करने का विश्वस्त साधन है। इस संबंध में प्राथमिक शिक्षा सहभागिता, बुनियादी अभावों से मुक्ति तथा उनसे पार पाने के मूल कारक के रूप में कार्य करती है; जबकि माध्यमिक शिक्षा आर्थिक विकास तथा सामाजिक न्याय की स्थापना को सुविधाजनक बनाती है। कई वर्षों से, उदारीकरण और वैश्वीकरण ने वैज्ञानिक और प्रौद्योगिक जगत में द्रुत परिवर्तन किए हैं और जीवन की गुणवत्ता सुधारते हुए सामान्य आवश्यकताओं को पूरा किया है और निर्धनता घटाई है। इसने बेशक स्कूल छोड़ने वालों के लिए, उसकी तुलना में जो उन्होंने आठ वर्ष की प्रारंभिक शिक्षा के दौरान अनिवार्य रूप से प्राप्त किया है, ज्ञान और दक्षताओं का उच्चतर स्तर प्राप्त करना अनिवार्य किया है। साथ ही यह शैक्षिक पदानुक्रम, माध्यमिक शिक्षा का महत्वपूर्ण चरण भी है जो देश को उच्चतर शिक्षा और कार्य-जगत में आगे बढ़ाने की दिशा में बच्चों को सक्षम बनाता है।
1986 की नई शिक्षा नीति और योजना कार्यक्रम और 1992 की सिफारिशों के अनुक्रम में भारत सरकार ने अलग-अलग समय में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों के बच्चों की सहायता के लिए विभिन्न योजनाएं आरंभ कीं। आईईडीएसएस (पूर्व में आईईडीसी), बालिका छात्रावास तथा स्कूलों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी योजनाएं भारत में गुणवत्तायुक्त संबंधित माध्यमिक शिक्षा वहनीय बनाने के समग्र उद्देश्य से आरंभ की गईं। 2009 में राज्य सरकार और स्थानीय स्व-शासन की भागीदारी में आरंभ आरएमएसए मौजूदा चारों योजनाओं का अत्याधुनिक संस्करण है।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान भारत सरकार की एक फ्लैगशिप योजना है जो मार्च, 2009 में माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने और इसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए शुरू की गई। इस योजना का कार्यान्वयन 2009-10 में मानव जनशक्ति सृजित करने तथा वृद्धि और विकास तथा समानता को तेज करने हेतु पर्याप्त स्थितियां उपलब्ध कराने के साथ-साथ भारत में सभी को गुणवत्तायुक्त जीवन देने के लिए आरंभ हुआ। एसएसए की व्यापक सफलता को देखते हुए और एसएसए की तरह आरएमएसए बहुपक्षीय संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों, सलाहकारों तथा परामर्शदाताओं, अनुसंधान एजेंसियों तथा संस्थाओं सहित अधिकांश स्टेकहोल्डरों से लाभप्रद सहायता लेता है। योजना में बहुआयामी अनुसंधान, तकनीकी परामर्श, कार्यान्वयन तथा निधियन सहयोग शामिल है।
इस समय कार्यान्वयन के चौथे वर्ष में आरएमएसए 50,000 सरकारी तथा स्थानीय निकाय माध्यमिक स्कूलों को शामिल करता है। इसके अलावा, 30,000 अतिरिक्त सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूल भी आरएमएसए के लाभ उठा सकते हैं; लेकिन, कोर क्षेत्रों में अवसंरचना तथा सहयोग नहीं ले सकते।
उद्देश्य
1. इस योजना में 2005-06 में 52.26% की तुलना में अपने कार्यान्वयन के पांच वर्ष के भीतर किसी भी बस्ती से उपयुक्त दूरी पर एक माध्यमिक स्कूल उपलब्ध कराकर कक्षा IX-X के लिए 75% का सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करने पर ध्यान दिया गया है।
2. सभी माध्यमिक स्कूलों को निर्धारित मानदंडों के अनुरूप बनाकर माध्यमिक स्तर पर दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना।
3. लैंगिक, सामाजार्थिक तथा नि:शक्तता बाधाएं हटाना।
4. वर्ष 2017 अर्थात् 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक माध्यमिक स्तर शिक्षा तक व्यापक पहुंच।
5. वर्ष 2020 तक छात्रों को स्कूल में बनाए रखने में वृद्धि और उसका सर्वसुलभीकरण।
वास्तविक सुविधाएं
1. गुणवत्गु अंत:क्षेप
2. निष्निक्ष हस्तक्षेप
3. अतिरिक्त कक्षा-कक
4. प्रयोगशालाएं
5. पुस्तकालय
6. कला और शिल्प कक्ष
7. प्रसाधन ब्लॉक
8. पेयजल व्यवस्था
9. सुदूरवर्ती क्षेत्रों के अध्यापकों के लिए आवासीय छात्रावास
योजना के लिए कार्यान्वयन तंत्र:
प्रत्येक राज्य में आरएमएसए राज्य कार्यान्वयन सोसायटियों की मदद से आरएमएसए का समन्वय करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय केन्द्र सरकार का नोडल मंत्रालय है। हालांकि, आरएमएसए के बेहतर कार्यान्वयन के लिए अनेक सहयोगी व्यवस्थाएं तथा संस्थाएं उपलब्ध हैं। एक राष्ट्रीय संसाधन दल शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं, पाठ्यचर्या, शिक्षण-अधिगम सामग्री, आईसीटी शिक्षा तथा निगरानी और मूल्यांकन के तंत्रों में सुधार के लिए मार्गदर्शन देता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा समर्थित तकनीकी सहयोग दल राष्ट्रीय संसाधन दल का संघटक है तथा मंत्रालय से इसका सीधा संबंध है। तकनीकी सहयोग दल राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय टीमों को तकनीकी और प्रचालन संबंधी सहयोग तथा विशेषज्ञता उपलब्ध कराता है।
इसके अतिरिक्त, एनआरजी के अंतर्गत विभिन्न उप-समितियां जैसे पाठ्यचर्या सुधार उप-समिति, शिक्षक और शिक्षक विकास उप-समिति, आईसीटी उप-समिति और योजना और प्रबंधन उप-समिति गठित की गई हैं। इन उप-समितियों में टीएसजी से सदस्य लिए जाते हैं और इनकी वर्ष में तीन बैठकें होती हैं जिनमें वे परस्पर निर्धारित लक्ष्यों और प्रतिबद्धताओं की प्रगति से स्वयं को अवगत कराती हैं। इसके अतिरिक्त, एनसीईआरटी और एनयूईपीए आरएमएसए की समर्पित इकाइयों के माध्यम से सहायता करते हैं।
डीएफआईडी की सहायता से क्षमता निर्माण सहायता के लिए आरएमएसए-टीसीए का भी गठन किया गया है। वित्तीय निविष्टियों के रूप में केन्द्र का हिस्सा कार्यान्वयन एजेंसियों को सीधे जारी किया जाता है जबकि राज्य का उपयुक्त हिस्सा भी संबंधित राज्य सरकारों द्वारा एजेंसियों को जारी किया जाता है।
सिहवालोकान
माध्यमिक स्तर पर नि:शक्तजन समावेशी शिक्षा योजना (ईडीएसएस) वर्ष 2009-10 से प्रारम्भ की गई है। यह योजना नि:शक्त बच्चों के लिए एकीकृत योजना (आईईडीसी) संबंधी पहले की योजना के स्थान पर है और कक्षा IX-XII में पढने वाले नि:शक्त बच्चों की समावेशी शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करती है। यह योजना अब वर्ष 2013 से राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के अंतर्गत सम्मिलित कर ली गई है। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र भी आरएमएसए के रूप में इसे आरएमएसए योजना के अंतर्गत सम्मिलित करने की प्रक्रिया में है।
उद्देश्य
सभी नि:शक्त छात्रों को आठ वर्षों की प्राथमिक स्कूली पढ़ाई पूरी करने के पश्चात आगे चार वर्षों की माध्यमिक स्कूली पढ़ाई समावेशी और सहायक माहौल में करने हेतु समर्थ बनाना।
लक्ष्य
योजना में नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम (1995) और राष्ट्रीय न्यास अधिनियम (1999) के अंतर्गत कक्षा IX-XII में पढ़ने वाले यथा-परिभाषित एक या अधिक नि:शक्तता नामश: दृष्टिहीनता, कम दृष्टि, कुष्ठ रोग उपचारित, श्रवण शक्ति की कमी, गतिविषय नि:शक्तता, मंदबुद्धिता, मानसिक रूग्णता, आत्म-विमोह और प्रमस्तिष्क घात वाले जिसमें अंतत: वाणी की हानि अधिगम नि:शक्तता इत्यादि भी शामिल है। इसमें सरकारी, स्थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे शामिल है, नि:शक्तता वाली बालिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिससे उन्हें माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने और अपनी योग्यता का विकास करने हेतु सूचना और मार्गदर्शन सुलभ हो। योजना के अंतर्गत हर राज्य में मॉडल समावेशी स्कूलों की स्थापना करने की कल्पना की गई है।
संघटक
छात्र अभिमुखी घटक जैसे चिकित्सा और शैक्षिक निर्धारण, पुस्तकें और लेखन सामग्री, वर्दियां, परिवहन भत्ता, रीडर पाठक भत्ता, बालिकाओं के लिए वृत्तिका,
सहायक सेवाएं, सहायक युक्तियां, भोजन और आवास सुविधा, रोगोपचार सेवाएं, शिक्षण-अधिगम सामग्री इत्यादि।
अन्य संघटकों में विशेष शिक्षा शिक्षकों की नियुक्ति, ऐसे बच्चों को पढ़ाने हेतु सामान्य शिक्षकों के लिए भत्ते, शिक्षक प्रशिक्षण, स्कूल प्रशासकों का अभिविन्यास, संसाधन कक्ष की स्थापना, बाधायुक्त वातावरण इत्यादि शामिल हैं।
कार्यान्वयन अभिकरण
राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र (यूटी) प्रशासन कार्यान्वयन अभिकरण हैं। इनमें नि:शक्तजनों की शिक्षा के क्षेत्र में योजना कार्यान्वयन का अनुभव रखने वाले स्वैच्छिक संगठन भी शामिल हो सकते हैं।
वित्तीय सहायता
योजना में शामिल सभी मदों के लिए केन्द्रीय सहायता 100 प्रतिशत आधार पर है। राज्य सरकारों से प्रतिवर्ष प्रति नि:शक्त बच्चे के लिए केवल 600/- रूपए की छात्रवृत्ति का प्रावधान रखना अपेक्षित है।
आईईडीएसएस दिशा-निर्देश
30.09.2014 तक योजना के अंतर्गत जारी निधि की स्थिति
वर्ष 2009-10 से 2014-15 के दौरान आईईडीएसएस के अंतर्गत शामिल करने के लिए अनुमोदित सीडब्ल्यूएसएन का राज्यवार ब्यौरा
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1986 की नई शिक्षा नीति और योजना कार्यक्रम और 1992 की सिफारिशों के अनुक्रम में भारत सरकार ने अलग-अलग समय में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों के बच्चों की सहायता के लिए विभिन्न योजनाएं आरंभ कीं। आईईडीएसएस (पूर्व में आईईडीसी), बालिका छात्रावास तथा स्कूलों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी योजनाएं भारत में गुणवत्तायुक्त संबंधित माध्यमिक शिक्षा वहनीय बनाने के समग्र उद्देश्य से आरंभ की गईं। 2009 में राज्य सरकार और स्थानीय स्व-शासन की भागीदारी में आरंभ आरएमएसए मौजूदा चारों योजनाओं का अत्याधुनिक संस्करण है।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान भारत सरकार की एक फ्लैगशिप योजना है जो मार्च, 2009 में माध्यमिक शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने और इसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए शुरू की गई। इस योजना का कार्यान्वयन 2009-10 में मानव जनशक्ति सृजित करने तथा वृद्धि और विकास तथा समानता को तेज करने हेतु पर्याप्त स्थितियां उपलब्ध कराने के साथ-साथ भारत में सभी को गुणवत्तायुक्त जीवन देने के लिए आरंभ हुआ। एसएसए की व्यापक सफलता को देखते हुए और एसएसए की तरह आरएमएसए बहुपक्षीय संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों, सलाहकारों तथा परामर्शदाताओं, अनुसंधान एजेंसियों तथा संस्थाओं सहित अधिकांश स्टेकहोल्डरों से लाभप्रद सहायता लेता है। योजना में बहुआयामी अनुसंधान, तकनीकी परामर्श, कार्यान्वयन तथा निधियन सहयोग शामिल है।
इस समय कार्यान्वयन के चौथे वर्ष में आरएमएसए 50,000 सरकारी तथा स्थानीय निकाय माध्यमिक स्कूलों को शामिल करता है। इसके अलावा, 30,000 अतिरिक्त सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूल भी आरएमएसए के लाभ उठा सकते हैं; लेकिन, कोर क्षेत्रों में अवसंरचना तथा सहयोग नहीं ले सकते।
उद्देश्य
1. इस योजना में 2005-06 में 52.26% की तुलना में अपने कार्यान्वयन के पांच वर्ष के भीतर किसी भी बस्ती से उपयुक्त दूरी पर एक माध्यमिक स्कूल उपलब्ध कराकर कक्षा IX-X के लिए 75% का सकल नामांकन अनुपात प्राप्त करने पर ध्यान दिया गया है।
2. सभी माध्यमिक स्कूलों को निर्धारित मानदंडों के अनुरूप बनाकर माध्यमिक स्तर पर दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना।
3. लैंगिक, सामाजार्थिक तथा नि:शक्तता बाधाएं हटाना।
4. वर्ष 2017 अर्थात् 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक माध्यमिक स्तर शिक्षा तक व्यापक पहुंच।
5. वर्ष 2020 तक छात्रों को स्कूल में बनाए रखने में वृद्धि और उसका सर्वसुलभीकरण।
वास्तविक सुविधाएं
1. गुणवत्गु अंत:क्षेप
2. निष्निक्ष हस्तक्षेप
3. अतिरिक्त कक्षा-कक
4. प्रयोगशालाएं
5. पुस्तकालय
6. कला और शिल्प कक्ष
7. प्रसाधन ब्लॉक
8. पेयजल व्यवस्था
9. सुदूरवर्ती क्षेत्रों के अध्यापकों के लिए आवासीय छात्रावास
योजना के लिए कार्यान्वयन तंत्र:
प्रत्येक राज्य में आरएमएसए राज्य कार्यान्वयन सोसायटियों की मदद से आरएमएसए का समन्वय करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय केन्द्र सरकार का नोडल मंत्रालय है। हालांकि, आरएमएसए के बेहतर कार्यान्वयन के लिए अनेक सहयोगी व्यवस्थाएं तथा संस्थाएं उपलब्ध हैं। एक राष्ट्रीय संसाधन दल शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं, पाठ्यचर्या, शिक्षण-अधिगम सामग्री, आईसीटी शिक्षा तथा निगरानी और मूल्यांकन के तंत्रों में सुधार के लिए मार्गदर्शन देता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा समर्थित तकनीकी सहयोग दल राष्ट्रीय संसाधन दल का संघटक है तथा मंत्रालय से इसका सीधा संबंध है। तकनीकी सहयोग दल राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय टीमों को तकनीकी और प्रचालन संबंधी सहयोग तथा विशेषज्ञता उपलब्ध कराता है।
इसके अतिरिक्त, एनआरजी के अंतर्गत विभिन्न उप-समितियां जैसे पाठ्यचर्या सुधार उप-समिति, शिक्षक और शिक्षक विकास उप-समिति, आईसीटी उप-समिति और योजना और प्रबंधन उप-समिति गठित की गई हैं। इन उप-समितियों में टीएसजी से सदस्य लिए जाते हैं और इनकी वर्ष में तीन बैठकें होती हैं जिनमें वे परस्पर निर्धारित लक्ष्यों और प्रतिबद्धताओं की प्रगति से स्वयं को अवगत कराती हैं। इसके अतिरिक्त, एनसीईआरटी और एनयूईपीए आरएमएसए की समर्पित इकाइयों के माध्यम से सहायता करते हैं।
डीएफआईडी की सहायता से क्षमता निर्माण सहायता के लिए आरएमएसए-टीसीए का भी गठन किया गया है। वित्तीय निविष्टियों के रूप में केन्द्र का हिस्सा कार्यान्वयन एजेंसियों को सीधे जारी किया जाता है जबकि राज्य का उपयुक्त हिस्सा भी संबंधित राज्य सरकारों द्वारा एजेंसियों को जारी किया जाता है।
सिहवालोकान
माध्यमिक स्तर पर नि:शक्तजन समावेशी शिक्षा योजना (ईडीएसएस) वर्ष 2009-10 से प्रारम्भ की गई है। यह योजना नि:शक्त बच्चों के लिए एकीकृत योजना (आईईडीसी) संबंधी पहले की योजना के स्थान पर है और कक्षा IX-XII में पढने वाले नि:शक्त बच्चों की समावेशी शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करती है। यह योजना अब वर्ष 2013 से राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) के अंतर्गत सम्मिलित कर ली गई है। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र भी आरएमएसए के रूप में इसे आरएमएसए योजना के अंतर्गत सम्मिलित करने की प्रक्रिया में है।
उद्देश्य
सभी नि:शक्त छात्रों को आठ वर्षों की प्राथमिक स्कूली पढ़ाई पूरी करने के पश्चात आगे चार वर्षों की माध्यमिक स्कूली पढ़ाई समावेशी और सहायक माहौल में करने हेतु समर्थ बनाना।
लक्ष्य
योजना में नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम (1995) और राष्ट्रीय न्यास अधिनियम (1999) के अंतर्गत कक्षा IX-XII में पढ़ने वाले यथा-परिभाषित एक या अधिक नि:शक्तता नामश: दृष्टिहीनता, कम दृष्टि, कुष्ठ रोग उपचारित, श्रवण शक्ति की कमी, गतिविषय नि:शक्तता, मंदबुद्धिता, मानसिक रूग्णता, आत्म-विमोह और प्रमस्तिष्क घात वाले जिसमें अंतत: वाणी की हानि अधिगम नि:शक्तता इत्यादि भी शामिल है। इसमें सरकारी, स्थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे शामिल है, नि:शक्तता वाली बालिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है जिससे उन्हें माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने और अपनी योग्यता का विकास करने हेतु सूचना और मार्गदर्शन सुलभ हो। योजना के अंतर्गत हर राज्य में मॉडल समावेशी स्कूलों की स्थापना करने की कल्पना की गई है।
संघटक
छात्र अभिमुखी घटक जैसे चिकित्सा और शैक्षिक निर्धारण, पुस्तकें और लेखन सामग्री, वर्दियां, परिवहन भत्ता, रीडर पाठक भत्ता, बालिकाओं के लिए वृत्तिका,
सहायक सेवाएं, सहायक युक्तियां, भोजन और आवास सुविधा, रोगोपचार सेवाएं, शिक्षण-अधिगम सामग्री इत्यादि।
अन्य संघटकों में विशेष शिक्षा शिक्षकों की नियुक्ति, ऐसे बच्चों को पढ़ाने हेतु सामान्य शिक्षकों के लिए भत्ते, शिक्षक प्रशिक्षण, स्कूल प्रशासकों का अभिविन्यास, संसाधन कक्ष की स्थापना, बाधायुक्त वातावरण इत्यादि शामिल हैं।
कार्यान्वयन अभिकरण
राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र (यूटी) प्रशासन कार्यान्वयन अभिकरण हैं। इनमें नि:शक्तजनों की शिक्षा के क्षेत्र में योजना कार्यान्वयन का अनुभव रखने वाले स्वैच्छिक संगठन भी शामिल हो सकते हैं।
वित्तीय सहायता
योजना में शामिल सभी मदों के लिए केन्द्रीय सहायता 100 प्रतिशत आधार पर है। राज्य सरकारों से प्रतिवर्ष प्रति नि:शक्त बच्चे के लिए केवल 600/- रूपए की छात्रवृत्ति का प्रावधान रखना अपेक्षित है।
आईईडीएसएस दिशा-निर्देश
30.09.2014 तक योजना के अंतर्गत जारी निधि की स्थिति
वर्ष 2009-10 से 2014-15 के दौरान आईईडीएसएस के अंतर्गत शामिल करने के लिए अनुमोदित सीडब्ल्यूएसएन का राज्यवार ब्यौरा
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