अपगार स्कोर (Apgar)
अपगार स्कोर डॉक्टरों द्वारा जन्म के समय नवजात शिशु के स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए उपयोग किया जाता है यानी यह जन्म के बाद बच्चे की स्थिति के आकलन करने का एक उपाय है. इस परीक्षण का उपयोग बच्चे की हृदय गति, मांसपेशीयों और अन्य संकेतों को देखने के लिए किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि बच्चे को अतिरिक्त चिकित्सा देखभाल या आपातकालीन देखभाल की आवश्यकता है या नहीं.
इस जांच से पता चलता है कि बच्चा जन्म के समय कैसा है, बच्चे को दवाओं की जरुरत है या नहीं आदि. क्या आपको पता है कि यह परीक्षण बच्चे को दो बार दिया जाता है: जन्म के 1 मिनट बाद और फिर जन्म के 5 मिनट बाद. यह बच्चे की स्थिति पर भी निर्भर करता है, यदि आवश्यक हो तो यह परीक्षण दोबारा भी दिया जा सकता है.
अपगर (Apgar) शब्द का क्या मतलब होता है
अप्गर शब्द में ही पता चल जाता है की क्या जांच हो रही है. इस परिक्षण में पांच चीजें बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के लिए उपयोग की जाती हैं. प्रत्येक विशेषता को 0 से 2 तक रेट किया जाता है यानी बच्चे की दिखावट, धड़कन, मसल एक्टिविटी और सांस लेने को 0 से लेकर 2 तक रेट किया जाता है.
A से appearance यानी दिखावट (त्वचा का रंग)
P से पल्स (pulse) (दिल की धड़कन)
G से ग्रिमेन्स प्रतिक्रिया है (grimace response)
A से गतिविधि (activity) (मस्ल टोन)
R से श्वसन (respiration) (श्वास दर)
अपगार स्कोर का अर्थ
Source: www.ucbaby.ca.com
पहले परिक्षण में अगर अप्गर स्कोर 7 या उससे अधिक है तो इसे सामान्य माना जाता है. 1 मिनट में यदि स्कोर 6 या उससे कम होता है और 5 मिनट पर स्कोर 7 या उससे अधिक होता है, तो बच्चे को जन्म के बाद सामान्य माना जाता है. लेकिन, यदि दूसरे परीक्षण में यानी 5 मिनट पर अगर बच्चे का स्कोर 7 से नीचे होता है तो इसे कम माना जाता है.
यदि पहले अप्गर परीक्षण में बच्चे का स्कोर कम था और उपचार प्रदान करने के बाद, 5 मिनट में दूसरे अप्गर परीक्षण में, बच्चे के स्कोर में सुधार नहीं हुआ तो डॉक्टर बच्चे की बारीकी से निगरानी करेंगे और चिकित्सा देखभाल जारी रखेंगे.
अपगर रस्कोर का आविष्कार
1952 में डॉ वर्जीनिया अप्गर ने बच्चे के पैदा होने के 1 मिनट बाद नवजात शिशु की स्वास्थ्य स्थिति जानने के लिए अप्गर स्कोर, एक स्कोरिंग सिस्टम तैयार किया ताकि आवश्यक उपचार की अगर बच्चे को जरुरत हो तो उपचार प्रदान किया जा सके. अप्गर स्कोर नवजात शिशु के नैदानिक लक्षणों जैसे कि cyanosis or pallor, bradycardia, उत्तेजना, हाइपोटोनिया, और apnea or gasping respirations जैसी प्रतिक्रियायों के लक्षणों को भी मापता है.
असल में, जन्म के बाद बच्चे का स्कोर 1 मिनट और 5 मिनट और फिर उसके बाद 5 मिनट अंतराल पर रिपोर्ट किया जाता है, इसके बाद 7 से कम स्कोर के साथ 20 मिनट तक. इस परीक्षण का उपयोग न्यूरोलॉजिकल परिणाम और अन्य 5 विशेषताओं के साथ किया जाता है. जैसा की ऊपर बताया जा चुका है.
क्या अपगार स्कोर की कोई सीमा (limitation) है?
अप्गर स्कोर शिशु की शारीरिक स्थिति बताता है लेकिन कुछ कारक हैं जो maternal sedation या anaesthesia,जन्मजात विकृतियों, गर्भावस्था की उम्र, trauma और interobserver variability जैसे Apgar स्कोर को प्रभावित करते हैं. सामान्य संक्रमण में भिन्नता के साथ पहले कुछ मिनटों में कम प्रारंभिक ऑक्सीजन संतृप्ति जैसे करक स्कोर को प्रभावित कर सकते हैं.
इसके अलावा, अपरिपक्वता के कारण स्वस्थ शिशु जिसमें asphyxia होने का कोई सबूत नहीं मिला हो तब भी उस शिशु का अप्गर स्कोर कम हो सकता है. कम अप्गर स्कोर जन्म के वजन के विपरीत आनुपातिक होता है और यह किसी भी शिशु के लिए विकृति या मृत्यु दर की भविष्यवाणी नहीं कर सकता है।
इसके अलावा, यह स्थापित किया गया है कि यदि अप्गर स्कोर 5 मिनट और 10 मिनट में 5 से कम आता है तो cerebral palsy होने का जोखिम बढ़ सकता है. चूंकि, अप्गर स्कोर कई कारकों से प्रभावित होता है, इसलिए यदि 5 मिनट में यह 7 या उससे अधिक हो तो peripartum hypoxia–ischemia नवजात में encephalopathy का कारण बनता है.
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