Tuesday, February 26, 2019

मानसिक मंदता [Mental Retardation]


  मानसिक मंदता - मानसिक मंदता वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति के दिमाग का विकास नहीं हो पाता, इनकी बुद्धिलव्धि सामान्य से नीचे स्तर की होती है।
यह वह अवस्था हैं जिसमें बच्चों का मानसिक विकास शारीरिक विकास से कम होता है।

मानसिक विकलांगता (एमआर) एक व्यापक विकृति है, जो 18 वर्ष की आयु से पहले दो या दो से अधिक रूपांतरित व्यवहारों में और महत्वपूर्ण रूप से संज्ञानात्मक प्रक्रिया के विकार और न्यूनता के रूप में दिखता है। ऐतिहासिक रूप में इसे बौद्धिक क्षमता (आईक्यू) के 70 के भीतर होने के रूप में परिभाषित किया जाता है।[1] कभी इसे लगभग पूरी तरह अनुभूति पर केंद्रित माना जाता था, पर अब इसकी परिभाषा में मानसिक क्रियाकलाप से संबंधित एक घटक और अपने वातावरण में व्यक्ति के कार्यात्मक कौशल दोनों को शामिल किया जाता है।


कारण - 1. जैविक कारक - आनुवांशिक एवम वंनशानुगत
            2. वातावरणीय कारक - जन्म के समय, पूर्व एवं बाद



प्रकार - अमेरिकन एशोशियेसन आफ मेंटल Retardation ने इन्हें निम्न प्रकार से  वर्गीकृत किया है।


1. सीमांत मानसिक मंदता [Border Line ] - 70-85 IQ

2. अतिअल्प मानसिक मंदता [Mild ] -  50-70 IQ

3.अल्प मानसिक मंदता [Moderate ] - 35-50 IQ

4. गंभीर मानसिक मंदता [Severe ] - 20-35 IQ

5. अतिगंभीर मानसिक मंदता [Severe Profound ] -          0-20 IQ





लक्षण - इनके लक्षण निम्न प्रकार है।

 1.   धीमी गति से विकास।
 2.   विचार व्यक्त नहीं कर पाना।
 3.   ध्यान की कमी।
 4.   स्वयं निर्णय लेने में परेशानी।
 5.   निर्देशो को समझने की सभ्यता।
 6.   शैक्षिक उपलब्धियों में पिछड़ापन।
 7.   शारीरिक न्यूनता।
 8.   सामाजिकता की कमी।
 9.   सीमित वृद्धि।
10.  कमजोर श्रमण शक्ति।
11.  अमूर्त को समझने मैं कठिनाई।
12.  विलंबित भाषीय विकास।



मानसिक मंद बच्चों की पहचान-  मानसिक  विकलांगता वाले बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में बाद में बैठना, घुटनों के बल चलना और पैरों पर चलना या बोलना सीख पाते हैं। मानसिक विकलांगता वाले वयस्कों और बच्चों दोनों में निम्नलिखित विशेषताएं देखी जा सकती हैं:

 1.   मौखिक भाषा के विकास में देरी
 2.    स्मृति कौशल की न्यूनता
 3.   सामाजिक नियमों को सीखने में कठिनाई
 4.   समस्या का हल करने के कौशल में कठिनाई
 5.   स्वयं-सहायता या खुद अपनी देखभाल करने की क्षमता जैसे कौशल के अनुकूल व्यवहार के विकास में देरी.
  6.  सामाजिक निषेध का अभाव

संज्ञानात्मक कामकाज की सीमाएं मानसिक विकलांगता वाले बच्चे में एक सामान्य बच्चे की तुलना में धीमी गति से सीखने और विकसित होने का कारण बनती हैं। ये बच्चे भाषा सीखने, सामाजिक कौशल विकसित करने और अपने निजी जरूरतों जैसे कपड़ा पहनने या खाने जैसी जरूरतों का ख्याल रखने में ज्यादा समय ले सकते हैं। वे सीखने में ज्यादा समय ले सकते हैं और पुनरावृत्ति की जरूरत होती है और उनके सीखने के स्तर दक्षता की जरूरत पड़ सकती है। फिर भी, वस्तुत: लगभग हर बच्चा सीखने, विकसित होने और समुदाय में हिस्सा लेने वाला एक सदस्य बन जाता है।

बचपन के प्रारंभ में हल्की मानसिक विकलांगता (आईक्यू 50-70) समझी नहीं जा सकती और जब तक कि बच्चे स्कूल नहीं जाते, इसकी पहचान नहीं हो सकती. यहां तक कि जब खराब शैक्षणिक प्रदर्शन की पहचान कर ली जाती हो तो भी सीखने की क्षमता कम होने के आधार पर हल्की मानसिक विकलांगता और भावनात्मक/व्यवहार संबंधी गड़बड़ियों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञता की जरूरत पड़ सकती है। हल्की मानसिक विकलांगता वाले व्यक्ति जब वयस्क होते हैं तो उनमें से बहुत स्वतंत्र रूप से रहने और लाभकारी रोजगार करने में सक्षम हो सकते हैं।

औसत मानसिक विकलांगता (आईक्यू 35-50) लगभग जीवन के पहले साल के भीतर स्पष्ट होती है। औसत मानसिक विकलांगता वाले बच्चों को विद्यालय, घर और समुदाय में काफी समर्थन की आवश्यकता होती है, ताकि वे उन जगहों पर पूरी तरह से भागीदारी कर सकें. वयस्क के रूप में वे एक सहायक सामूहिक घर में अपने मां-बाप के साथ रह सकते हैं या महत्वपूर्ण सहायक सेवाओं के जरिये उनकी मदद की जा सकती हैं, जैसे उनका वित्तीय प्रबंधन.

अधिक गंभीर मानसिक विकलांगता वाले व्यक्ति (उसके या उसकी) को पूरे जीवन काल तक और अधिक गहन समर्थन और निगरानी की आवश्यकता होगी.




मानसिक मंदता के कारण -

डाउन सिंड्रोम, घातक अल्कोहल सिंड्रोम और फर्जाइल एक्स सिंड्रोमये तीन सबसे आम जन्मजात कारण होते हैं। हालांकि, डॉक्टरों को कई अन्य कारण भी मिले हैं। सबसे आम हैं:

 1.आनुवंशिक स्थितियां. विकलांगता कभी कभी माता पिता से विरासत में मिले असामान्य जीन की वजह से, त्रुटिपूर्ण जीन गठबंधन या अन्य कारणों से भी होती है। सबसे अधिक प्रचलित आनुवंशिक स्थितियों में डाउन सिंड्रोम क्लिनफेल्टर्स सिंड्रोम,फर्जाइल एक्स सिंड्रोम, न्यूरोफाइब्रोमेटोटिस, जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म, विलियम्स सिंड्रोम, फनिलकेटोन्यूरिया (पीकेयू) और प्रैडरर-विली सिंड्रोमशामिल हैं। अन्य आनुवंशिक स्थितियों में शामिल है: फेलेन मैकडर्मिड सिंड्रोम (22क्यू 13 डीईएल), मोवेट-विल्सन सिंड्रोम, आनुवांशिक सिलियोपैथी[2] और सिडेरियस टाइप एक्स से जुड़ी मानसिक विकलांगता (OMIM 300263), जो पीएचएफ8 जीन में परिवर्तन के कारण होती है।OMIM 300560[3][4] कुछ दुर्लभ मामलों में, एक्स और वाई गुणसूत्रों में असामान्यताएं विकलांगता का कारण बनती हैं। 48 XXXX और 49 XXXX, XXXXX सिंड्रोम पूरी दुनिया में छोटी संख्या में लड़कियों को प्रभावित करता है, जबकि लड़कों को 47 XYY,49 XXXXY या 49 XYYYY प्रभावित करता है।


 2. गर्भावस्था के दौरान समस्याएं. जब भ्रूण का विकास ठीक तरह से नहीं होता है तो मानसिक विकलांगता आ सकती है। उदाहरण के लिए, भ्रूण कोशिकाओं के बढ़ने के समय जिस तरीके से उनका विभाजन होता है, उसमें समस्या हो सकती है। जो औरत शराब पीती है (देखें घातक अल्कोहल सिंड्रोम) या गर्भावस्था के दौरान रूबेला (एक वायरल रोग, जिसमें चेचक जैसे दाने निकलते हैं) जैसे रोग से संक्रमित हो जाती है तो उसके बच्चे को मानसिक विकलांगता हो सकती है।

  3. जन्म के समय समस्याएं. प्रसव पीड़ा और जन्म के समय अगर बच्चे को लेकर समस्या हो, जैसे उसे पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिले तो मस्तिष्क में खराबी के कारण उसमें (बच्चा या बच्ची) विकास की खामी हो सकती है।


   4. कुछ खास तरह के रोग या विषाक्तता. अगर चिकित्सा देखरेख में देरी हुई या अपर्याप्त चिकित्सा हुई तो काली खांसी, खसरा और दिमागी बुखार के कारण दिमागी विकलांगता पैदा हो सकती है। सीसा और पारे जैसी विषाक्तता से ग्रसित होने से दिमाग की क्षमता कम हो सकती है।


  5. आयोडीन की कमी - जो दुनिया भर में लगभग 20 लाख लोगों को प्रभावित कर रहा है, विकासशील देशों में निवारणीय मानसिक विकलांगता का बड़ा कारण बना हुआ है, जहां आयोडीन की कमी एक महामारी बन चुकी है। आयोडीन की कमी भी गण्डमाला का कारण बनती है, जिसमें थाइरॉयड की ग्रंथि बढ़ जाती है। पूर्ण रूप में क्रटिनिज्म (थायरॉयड के कारण पैदा रोग) जिसे आयोडीन की ज्यादा कमी से पैदा हुई विकलांगता कहा जाता है, से ज्यादा आम है बुद्धि का थोड़ा नुकसान. दुनिया के कुछ क्षेत्र इसकी प्राकृतिक कमी और सरकारी निष्क्रियता के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। भारत में सबसे अधिक से 500 मिलियन लोग आयोडीन की कमी, 54 लाख लोग गंडमाला और 20 लाख लोग थायरॉयड से संबंधित रोग से पीड़ित हैं। आयोडीन की कमी से जूझ रहे अन्य प्रभावित देशों में चीन और कजाखस्तान ने व्यापक रूप से आयोडीन से संबंधित कार्यक्रम चलाये, पर 2006 तक रूस में इस तरह का कोई कार्यक्रम नहीं चलाया गया।
 

   6. दुनिया के अकालग्रस्त हिस्सों - इथीयोपिया में कुपोषण दिमाग के विकास में कमी का एक आम कारण है।

 
   7. धनुषाकार पुलिका की अनुपस्थिति.  

   8. जन्म के बाद -  गर्भनाल लिपटना, रोना, चोट लगना             आदि।


मानसिक रुप से रुग्ण विकलांगजनों के अधिकार मानसिक रुप से मंद व्यक्तियों को मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 के अंतर्गत, निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं -

1- मानसि रुप से रुग्ण व्यक्तियों के उपचार और देखभाल के लिए सरकार या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा स्थापित या अनुरक्षित किए जा रहे किसी मनश्चिकित्सीय अस्पताल या मनश्चिकित्सीय नर्सिग होम या स्वास्थ्य लाभ गृह (सरकारी सार्वजनिक अस्पताल या नर्सिग होम के अलावा) में भर्ती होने, उपचार करवाने या देखभाल करवाने का अधिकार ।

2- मानसिक रुप से रुग्ण कैदी और नाबालिग को भी सरकारी मनश्चिकित्सीय अस्पताल या मनश्चिकित्सीय नर्सिग होम्स में इलाज करवाने का अधिकार है ।

3- 16 वर्ष से कम आयु के नाबालिगों, व्यवहार में परिवर्तन कर देने वाले अल्कोहल या अन्य व्यवसनों के आदी व्यक्ति और वे व्यक्ति जिन्हें किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, को सरकार द्वारा स्थापित या अनुरक्षित किए जा रहे अलग मनश्चिकित्सीय अस्पतालों या नर्सिग होम में भर्ती होने, उपचार करवाने या देखरेख करवाने का अधिकार है ।

4- मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्तियों को सरकार से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को विनियमित, निर्देशित और समन्वित करवाने का अधिकार है । सरकार का दायित्व इस अधिनियम के अंतर्गत स्थापित केन्द्रीय प्राधिकरणों और राज्य प्राधिकरणों के माध्यम से मनश्चिकित्सीय अस्पतालों और नर्सिग होमों को स्थापित और अनुरक्षित करने के लिए ऐसे विनियमनों और लाइसेंसों को जारी करने का है ।

5- उपयुक्त उल्लिखित सरकारी अस्पतालों और नर्सिग होमों में इलाज अन्तःरोगी या बाह्य रोगी के रुप में हो सकता है ।

6- मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्ति ऐसे अस्पतालों या नर्सिग होमों में अपने आप भर्ती होने के लिए अनुरोध कर सकते हैं और नाबालिग अपने संरक्षकों के द्वारा भर्ती होने के लिए अनुरोध कर सकते हैं । मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्तियों के रिश्तेदारों द्वारा भी रुग्ण व्यक्तियों की ओर से भर्ती होने के लिए अनुरोध किया जा सकता है । भर्ती आदेशों को मंजूर करने के लिए स्थानीय मजिस्ट्रेट को भी आवेदन किया जा सकता है ।

7- पुलिस का दायित्व है कि भटके हुए या उपेक्षित मानसिक रुग्ण व्यक्ति को सुरक्षात्मक हिफाजत में लें, उसके संबंधी को सूचित करें और ऐसे व्यक्ति के भर्ती आदेशों को जारी करवाने हेतु उसे स्थानीय मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित करें ।

8- मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्तियों को इलाज होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होने का अधिकार है और अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार वह “छुट्टी “ का हकदार है ।

9- जहां कहीं मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्ति भूमि सहित अपनी अन्य संपत्तियों की स्वयं देखरेख नहीं कर सकते वहां, जिला न्यायालय आवेदन करने पर ऐसी संपत्तियों के प्रबंधन की रक्षा और सुरक्षा ऐसे मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्तियों के संरक्षकों की नियुक्ति करने के द्वारा या ऐसी संपत्ति के प्रबंधकों की नियुक्ति द्वारा प्रतिपालय न्यायालय को सौंप कर करनी पड़ती है ।

10- सरकारी मनश्चिकित्सीय अस्पताल या नर्सिग होम में अंतःरोगी के रुप में भर्ती हुए मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्ति के उपचार का खर्चा, जब तक कि मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्ति की ओर से उसके संबंधी या अन्य व्यक्ति द्वारा ऐसे खर्चे को वहन करने की सहमति न दी गई हो, संबंधित राज्य सरकार द्वारा उक्त खर्चे का वहन किया जाएगा और इस तरह के अनुरक्षण के लिए प्रावधान जिला न्यायालय के आदेश द्वारा दिए गए हैं । इस तरह का खर्च मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्ति की संपत्ति से भी लिया जा सकता है ।

11- इलाज करवा रहे मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्तियों के साथ किसी भी प्रकार का असम्मान (चाहे यह शारीरिक हो या मानसिक) या क्रूरता नहीं की जाएगी और न ही मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्ति का प्रयोग उसके रोग-निदान या उपचार को छोड़कर, अनुसंधान के उद्देश्य से या उसकी सहमति से नहीं किया जाएगा ।

12- सरकार से वेतन, पेंशन, ग्रेच्यूटी या अन्य भत्तों के हकदार मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्तियों (जैसे सरकारी कर्मचारी, जो अपने कार्यकाल के दौरान मानसिक रुप से रुग्ण हो जाते हैं), को ऐसे भत्तों की अदायगी से मना नहीं किया जा सकता है । मजिस्ट्रेट से इस आशय का तथ्य प्रमाणित होने के बाद, मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्ति की देखरेख करने वाला व्यक्ति  या मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्ति के आश्रित ऐसी राशि को प्राप्त करेंगे ।

13- यदि  मानसिक रुप से रुग्ण व्यक्ति कोई वकील नहीं कर सकता या कार्यवाहियों के संबंध में उसकी परिस्थितियों की ऐसी अपेक्षा हो तो अधिनियम के अंतर्गत उसे मजिस्ट्रेट या जिला न्यायालय के आदेश द्वारा वकील की सेवाओं को लेने का हक है ।

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