कम्प्यूटर प्रशिक्षण
कम्प्यूटर प्रशिक्षण हमारे पाठ्यक्रम का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह अध्ययन का विषय भी है। नेत्रहीन विकलांग बच्चों को पढ़ाने के लिए हमारे पास दो तरह के कंप्यूटर लैब होने चाहिए जो नवीनतम कंप्यूटरों और सॉफ्टवेयर से लैस हो। हमारे पास जेडब्ल्यूएस, एनवीडीए और सुपर नोवा जैसे स्क्रीन पढ़ने के सॉफ्टवेयर होने चाहिए जिनकी मदद से हम अपने छात्रों को प्रशिक्षित करते हैं। हम कक्षा 2 के बाद के छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा देने शुरू करते हैं। यह प्रशिक्षण वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक सही है। प्रशिक्षण बहुत ही योग्य और प्रशिक्षित कंप्यूटर प्रशिक्षकों द्वारा प्रदान किया जाता है।
आंखों से दिखाई नहीं देने के बाद भी दृष्टिबाधित दिव्यांग भी अब कंप्यूटर चला सकेंगे। सरकारी विभागों में पदस्थ दिव्यांगों को सबसे पहले कंप्यूटर चलाना सिखाया जाएगा। कलेक्टोरेट परिसर स्थित ई-दक्ष केंद्र में कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जाएगा। दृष्टिबाधित दिव्यांगों को कंप्यूटर सिखाने के लिए ई-दक्ष केंद्र के प्रशिक्षकों को भोपाल में विशेष ट्रेनिंग दी गई है।
श्योपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों से प्रशिक्षकों को तीन दिन की ट्रेनिंग दी गई है। जिले से प्रशिक्षक हेमंत शर्मा को 5, 6 और 7 दिसंबर को इस संबंध में ट्रेनिंग दी गई है। भोपाल में तीन दिन की ट्रेनिंग में प्रशिक्षकों को बताया गया कि वे किस तरह दृष्टिबाधित दिव्यांगों को कंप्यूटर चलाना सिखाएंगे। एबीडीए (नॉन विजुअल डेस्कटॉप एक्सेस) सॉफ्टवेयर की मदद से दृष्टिबाधितों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सॉफ्टवेयर में आवाज सुनकर काम कर सकेंगे। जिले के सरकारी विभाग में कितने दृष्टिबाधित दिव्यांग पदस्थ हैं, इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। अाने वाले दिन में दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रों को भी इसी तरह कंप्यूटर पर काम करना सिखाया जा सकेगा।
दृष्टिबाधित दिव्यांगों को सबसे पहले की-बोर्ड सिखाया जाएगा। की-बोर्ड में मौजूद सारी की बताई जाएंगी। की पहचान लेने के बाद दिव्यांग एनवीडीए सॉफ्टवेयर की मदद से दृष्टिबाधित दिव्यांग के लिए कंप्यूटर पर काम करना बहुत ही आसान हो जाएगा।
कंप्यूटर में सबसे पहले एनवीडीए सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना होगा। इसी की मदद से कंप्यूटर पर बिना देखे काम किया जा सकेगा। दृष्टिबाधित दिव्यांग गूगल पर हिंदी या अंग्रेजी दोनों ही भाषा में कुछ भी सर्च कर सकेंगे। कानों में हेड फोन की मदद से सर्च होने वाली विषय-वस्तु की आवाज सुनाई देगी। सॉफ्टवेयर में अंग्रेजी के अलावा हिंदी भाषा के लिए यूनिकोड भाषा जरूरी है। दूसरी भाषा जैसे चाणक्य, कृतिदेव व अन्य फाॅन्ट की भाषा सॉफ्टवेयर नहीं पढ़ पाएगा।
सॉफ्टवेयर ऐसे करेगा काम
कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर ऑनलाइन डाउनलोड कर इंस्टॉल किया जाएगा। सॉफ्टेवयर में काम शुरू करते ही माउस का कर्जर जहां जाएगा, आवाज आना शुरू हो जाएगी। माई कंप्यूटर पर कर्जर पहुंचते ही आवाज सुनाई देगी। अन्य सॉफ्टवेयर या फोल्डर पर कर्जर पहुंचने पर आवाज आएगी। सिर्फ सुनकर ही कंप्यूटर चलाया जा सकेगा।
सहायक सामग्री और सहायता-उपकरण
सहायक सामग्री एंव सहायक-उपकरण दिव्यांगजनों की गतिशीलता, संचार और उनकी दैनिक गतिविधियों में सहायता प्रदान करके उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने वाले उपकरण हैं। नि: शक्त व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए सहायक उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध है। इन सहायक उपकरणों के उपयोग से नि: शक्त व्यक्ति किसी पर आश्रित नहीं रहता और समाज में उसकी भागीदारी बढ़ती है।
सहायक सामग्री एंव सहायक-उपकरण के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं:
सहायक यंत्रों, उपकरणों और तकनीकों के उपयोग द्वारा दिव्यांगजनों के लिए स्वतंत्र या सहायता की संभावना का प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय न्यास द्वारा एएडीआई (राष्ट्रीय न्यास का पंजीकृत संगठन), नई दिल्ली में 'संभव' नाम से उपलब्ध सहायक उपकरणों के प्रदर्शन के लिए एक राष्ट्रीय संसाधन केंद्र की स्थापना की गई है।
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कम्प्यूटर प्रशिक्षण हमारे पाठ्यक्रम का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह अध्ययन का विषय भी है। नेत्रहीन विकलांग बच्चों को पढ़ाने के लिए हमारे पास दो तरह के कंप्यूटर लैब होने चाहिए जो नवीनतम कंप्यूटरों और सॉफ्टवेयर से लैस हो। हमारे पास जेडब्ल्यूएस, एनवीडीए और सुपर नोवा जैसे स्क्रीन पढ़ने के सॉफ्टवेयर होने चाहिए जिनकी मदद से हम अपने छात्रों को प्रशिक्षित करते हैं। हम कक्षा 2 के बाद के छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा देने शुरू करते हैं। यह प्रशिक्षण वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक सही है। प्रशिक्षण बहुत ही योग्य और प्रशिक्षित कंप्यूटर प्रशिक्षकों द्वारा प्रदान किया जाता है।
आंखों से दिखाई नहीं देने के बाद भी दृष्टिबाधित दिव्यांग भी अब कंप्यूटर चला सकेंगे। सरकारी विभागों में पदस्थ दिव्यांगों को सबसे पहले कंप्यूटर चलाना सिखाया जाएगा। कलेक्टोरेट परिसर स्थित ई-दक्ष केंद्र में कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जाएगा। दृष्टिबाधित दिव्यांगों को कंप्यूटर सिखाने के लिए ई-दक्ष केंद्र के प्रशिक्षकों को भोपाल में विशेष ट्रेनिंग दी गई है।
श्योपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों से प्रशिक्षकों को तीन दिन की ट्रेनिंग दी गई है। जिले से प्रशिक्षक हेमंत शर्मा को 5, 6 और 7 दिसंबर को इस संबंध में ट्रेनिंग दी गई है। भोपाल में तीन दिन की ट्रेनिंग में प्रशिक्षकों को बताया गया कि वे किस तरह दृष्टिबाधित दिव्यांगों को कंप्यूटर चलाना सिखाएंगे। एबीडीए (नॉन विजुअल डेस्कटॉप एक्सेस) सॉफ्टवेयर की मदद से दृष्टिबाधितों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। सॉफ्टवेयर में आवाज सुनकर काम कर सकेंगे। जिले के सरकारी विभाग में कितने दृष्टिबाधित दिव्यांग पदस्थ हैं, इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। अाने वाले दिन में दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रों को भी इसी तरह कंप्यूटर पर काम करना सिखाया जा सकेगा।
दृष्टिबाधित दिव्यांगों को सबसे पहले की-बोर्ड सिखाया जाएगा। की-बोर्ड में मौजूद सारी की बताई जाएंगी। की पहचान लेने के बाद दिव्यांग एनवीडीए सॉफ्टवेयर की मदद से दृष्टिबाधित दिव्यांग के लिए कंप्यूटर पर काम करना बहुत ही आसान हो जाएगा।
कंप्यूटर में सबसे पहले एनवीडीए सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना होगा। इसी की मदद से कंप्यूटर पर बिना देखे काम किया जा सकेगा। दृष्टिबाधित दिव्यांग गूगल पर हिंदी या अंग्रेजी दोनों ही भाषा में कुछ भी सर्च कर सकेंगे। कानों में हेड फोन की मदद से सर्च होने वाली विषय-वस्तु की आवाज सुनाई देगी। सॉफ्टवेयर में अंग्रेजी के अलावा हिंदी भाषा के लिए यूनिकोड भाषा जरूरी है। दूसरी भाषा जैसे चाणक्य, कृतिदेव व अन्य फाॅन्ट की भाषा सॉफ्टवेयर नहीं पढ़ पाएगा।
सॉफ्टवेयर ऐसे करेगा काम
कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर ऑनलाइन डाउनलोड कर इंस्टॉल किया जाएगा। सॉफ्टेवयर में काम शुरू करते ही माउस का कर्जर जहां जाएगा, आवाज आना शुरू हो जाएगी। माई कंप्यूटर पर कर्जर पहुंचते ही आवाज सुनाई देगी। अन्य सॉफ्टवेयर या फोल्डर पर कर्जर पहुंचने पर आवाज आएगी। सिर्फ सुनकर ही कंप्यूटर चलाया जा सकेगा।
सहायक सामग्री और सहायता-उपकरण
सहायक सामग्री एंव सहायक-उपकरण दिव्यांगजनों की गतिशीलता, संचार और उनकी दैनिक गतिविधियों में सहायता प्रदान करके उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने वाले उपकरण हैं। नि: शक्त व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए सहायक उपकरणों की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध है। इन सहायक उपकरणों के उपयोग से नि: शक्त व्यक्ति किसी पर आश्रित नहीं रहता और समाज में उसकी भागीदारी बढ़ती है।
सहायक सामग्री एंव सहायक-उपकरण के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं:
- दैनिक जीवन के लिए सहायक उपकरणः दैनिक जीवन में इस्तेमाल किये जाने वाले यंत्रों में खाने, स्नान करने, खाना पकाने, ड्रेसिंग, टॉइलेटिंग, घर के रखरखाव आदि गतिविधियों में इस्तेमाल किये जाने वाले स्वयं सहायता यंत्रों को शामिल किया गया है। इन उपकरणों में संशोधित खाने के बर्तन, अनुकूलित किताबें, पेंसिल होल्डर, पेज टर्नर, ड्रेसिंग उपकरण और व्यक्तिगत स्वच्छता अनुकूलित उपकरण शामिल हैं।
- गतिशीलता उपकरण: दिव्यांगजनों को अपने आस-पास के स्थलों पर जाने के लिए सहायक उपकरण। इन उपकरणों में इलैक्ट्रिक या मैनुअल व्हीलचेयर, यात्रा के लिए वाहनों में संशोधन, स्कूटर, बैसाखी, बेंत और वॉकर शामिल हैं।
- घर/कार्यस्थल के लिए संशोधनः भौतिक बाधाओं को कम करने के लिए संरचनात्मक परिवर्तन जैसे - लिफ्ट रैंप, सुलभ बनाने के लिए बाथरूम में संशोधन, स्वत: दरवाजा खोलने का उपकरण और बड़े दरवाजे आदि।
- बैठने या खड़े होने की सुविधा के लिए उपकरण: अनुकूलित सिटिंग, तकिया, स्टैंडिंग टेबल, स्थापन बेल्ट, दिव्यांगजन की अवस्था को नियंत्रित करने के लिए ब्रेसिज़ और वैज, दैनिक कार्यों के लिए शरीर को सहायता प्रदान करने वाले उपकरणों की श्रृंखला।
- वैकल्पिक संचार और आगम संचार उपकरण (एएसी) - ये उपकरण गूंगे या ऐसे दिव्यांगों की मदद करता हैं, जिनकी बातचीत करने के लिए आवाज मानक स्तर की नहीं है। इन उपकरणों में आवाज उत्पन्न करने वाले उपकरण और आवाज प्रवर्धन उपकरण शामिल हैं। नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए, आवर्धक के रूप में उपकरण, ब्रेल या आवाज आउटपुट डिवाइस, लार्ज प्रिंट स्क्रीन और आवर्धक दस्तावेजों के लिए क्लोज सर्किट टेलीविजन आदि इस्तेमाल किए जाते हैं।
- प्रोस्थेटिक्स और ओर्थोटिक्स: कृत्रिम अंग या स्पलिंट्स या ब्रेसिज़ जैसे आर्थोटिक उपकरणों द्वारा शरीर के अंगों का रिप्लेसमेंट या वृद्धि। इसके अलावा मानसिक वरोध या कमी में सहायता के लिए ऑडियो टेप या पेजर (एस या अनुस्मारक के रूप में सहायता करते है) जैसे कृत्रिम उपकरण भी उपलब्ध हैं।
- वाहन संशोधन: अनुकूली ड्राइविंग उपकरण, हाथ द्वारा नियंत्रण, व्हीलचेयर और अन्य लिफ्ट, संशोधित वैन, या निजी परिवहन के लिए प्रयोग किए जाने वाले अन्य मोटर वाहन।
- दृष्टिहीन/बधिरों के लिए संवेदी उपकरण: आवर्धक, बड़े प्रिंट स्क्रीन, कान की मशीन, दृश्य सिस्टम, ब्रेल और आवाज/संचार आउटपुट उपकरण।
- कंप्यूटर के उपयोग से संबंधित उपकरणः दिव्यांगजनों को कंप्यूटर का उपयोग करने में सक्षम करने के लिए हेडस्टिक, प्रकाश संकेतक, संशोधित या वैकल्पिक कीबोर्ड, दबाव से सक्रिय होने वाला स्विच, ध्वनि या आवाज से चलने वाले उपकरण, टच स्क्रीन, विशेष सॉफ्टवेयर और वाइस टू टेक्स्ट सॉफ्टवेयर। इस श्रेणी में आवाज की पहचान करने वाला सॉफ्टवेयर भी शामिल हैं।
- दिव्यांगजनों को सामाजिक/सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेलों में भाग लेने में सक्षम करने के लिए मनोरंजनात्मक उपकरणः दिव्यांगजनों को सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खेलों में भाग लेने में सक्षम करने के लिए, फिल्मों के लिए ऑडियो डिवाइस, वीडियो गेम के लिए अनुकूली नियंत।
- नियंत्रण जैसे उपकरण।
सहायक यंत्रों, उपकरणों और तकनीकों के उपयोग द्वारा दिव्यांगजनों के लिए स्वतंत्र या सहायता की संभावना का प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय न्यास द्वारा एएडीआई (राष्ट्रीय न्यास का पंजीकृत संगठन), नई दिल्ली में 'संभव' नाम से उपलब्ध सहायक उपकरणों के प्रदर्शन के लिए एक राष्ट्रीय संसाधन केंद्र की स्थापना की गई है।
दोस्तों आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताये. आप अपनी राय, सवाल और सुझाव हमें comments के जरिये जरुर भेजे. अगर आपको यह आर्टिकल उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे share करे।
आप E-mail के द्वारा भी अपना सुझाव दे सकते हैं। prakashgoswami03@gmail.com
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You have an interesting background such as jc tuition
ReplyDeleteOkk
ReplyDeleteThanks