4 महीने के बच्चे का वजन और हाइट
पहले तीन महीने की तुलना में चौथे महीने में शिशु के वजन और कद में काफी अंतर आ जाता है। चौथे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन लगभग 5.2 किलोग्राम से लेकर 6.9 किलो तक हो सकता है और लंबाई कम से कम 62.1 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, चौथे महीने में बेबी बॉय का सामान्य वजन लगभग 5.7 किलो से लेकर 7.6 किलो तक हो सकता है और लंबाई लगभग 63.9 सेंटीमीटर तक हो सकती है।
महीने के बच्चे के विकास के माइल्सटोन क्या हैं?
शिशु जन्म के बाद हर महीने कुछ न कुछ नया सीखता हैं और उनका न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक तरीके से भी विकास होता है। इस लेख के आगे के भाग में हम 4 महीने के शिशु के विकास के माइल्सटोन के बारे में आपको जानकारी देंगे।
मानसिक विकास
1. चीजों को समझना – शिशु तीसरे महीने से ही थोड़ा-बहुत चीजों को समझने लगते हैं। जब वो 4 महीने के होते हैं, तो अपने माता-पिता को और अपने करीबी लोगों को, जो उनके साथ हमेशा रहते हैं, उन्हें पहचानने लगते हैं। कई बार तो उन्हें दूर से ही देखकर पहचान जाते हैं। साथ ही अपने माता-पिता की आवाज और स्पर्श को भी अच्छे से समझने लगते हैं
2. चीजो को याद रखना – 4 महीने के शिशु की याददाश्त भी धीरे-धीरे मजबूत होने लगती है। अगर उनके सामने कोई चीज रखी जाए और फिर उसे हटा दी जाए, तो वो उसे ढूंढने लगते हैं। इसके अलावा, उन्हें आकर्षित करने वाली कुछ खास चीजों को याद रखते हैं और उनके नजर आते ही प्रतिक्रिया देते हैं।
3. प्यार जताना – 4 महीने के शिशु प्यार जताना भी सीखने लगते हैं। अगर उनसे कोई प्यार से बात करे, उन्हें दुलार करे या पुचकारे, तो वो भी हंसकर या सामने वाले के गाल पर अपने मुंह को सटाकर प्रतिक्रिया देते हैं। अगर कोई उनके प्रति स्नेह व्यक्त करता है, तो वो भी बदले में खिलखिलाकर अपना प्यार जताते हैं।
4. खुशी और दुख को समझाना – जहां वो हंसकर या खिलखिलाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं, तो वहीं रो कर या चिड़चिड़े होकर अपनी तकलीफ या दुख को व्यक्त करते हैं। कई बार वो माता-पिता का ध्यान खींचने के लिए भी बेवजह रोने और चिड़चिड़ाने लगते हैं।
5. ध्यान देना – अगर उनके सामने कोई चलती हुई चीज या खिलौने रखे जाएं, तो उसे दूर तक देखते हैं। जिधर-जिधर खिलौना जाएगा, वहां-वहां देखेंगे। यहां तक कि वो खिलौने और अन्य चीजों तक पहुंचने की भी कोशिश करते हैं।
शारीरिक विकास
1. सिर को स्थिर रखना – जन्म के बाद शिशु का सिर और गर्दन बहुत नाजुक होते हैं और उसे सहारे की जरूरत होती है। फिर महीने-दर-महीने शिशु का सिर मजबूत होने लगता है। चौथे महीने में शिशु बिना सहारे के अपने सिर को सीधा रखना सीखने लगते हैं।
2. सहारे से बैठना – 4 महीने का शिशु बैठना भी सीखने लगते हैं। अगर उन्हें सहारे के साथ बैठाया जाए, तो वो थोड़ी देर तक बैठ भी सकते हैं । हालांकि, ध्यान रहे कि उन्हें ज्यादा देर तक नहीं बैठाया जाए, वरना उनके कमर में दर्द भी हो सकता है।
3. चीजों को पकड़ना – इस महीने में शिशु चीजों को पकड़ना सीखने लगते हैं। साथ ही चीजों को हाथ में लेकर उन्हें फेंकना या झटकना शुरू कर देते।
4. पलटी मारना – अगर शिशु को पेट के बल सुलाया या लेटाया जाए, तो वो पलटना सीख जाते हैं। साथ ही पेट के बल लेटने पर अपना सिर बिना किसी सहारे के सीधा उठा सकते हैं। इसलिए, अगर आप शिशु को बेड पर या किसी ऊंची जगह पर सुलाते हैं या खेलने के लिए छोड़ते हैं, तो उन पर ध्यान रखें। साथ ही उनके आसपास तकिया रख दें, ताकि वो गिरे नहीं। जैसे-जैसे शिशु की उम्र बढ़ती है, वो चंचल होने लगते हैं ।
5. पैरों को धकेलना – 4 महीने के शिशु लेटे-लेटे अपने पैरों से खूब खेलते हैं। अगर उनके पैर किसी मजबूत चीज पर लगते हैं, तो वो अपने पैरों को उस पर सटाकर अपने शरीर को पीछे की तरफ धकेल सकते हैं। कई बार अपने पैरों को साइकिल चलाने की मुद्रा में भी चलाते हैं।
6. नींद में सुधार – इस महीने में शिशु के नींद में भी काफी सुधार आ जाता है। 4 महीने के शिशु 24 घंटे में 14 से 16 घंटे सोते हैं। रात में 9 से 10 घंटे और दिनभर में दो बार थोड़ी-थोड़ी देर की झपकी ले लेते हैं।
7. चीजो को मुंह में डालना – 4 महीने का शिशु न सिर्फ उंगली मुंह में डालना सीखता है, बल्कि अन्य सामने पड़ी चीजों को भी मुंह में डालने लगता है। इसलिए, इस दौरान शिशु पर खास ध्यान रखना जरूरी है। ऐसी स्थिति में शिशु को संक्रमण का खतरा लगा रहता है।
8. आवाजों को सुनना – शिशु न सिर्फ आवाजों को सुनते हैं, बल्कि उनकी नकल करने कोशिश भी करते हैं। इतना ही नहीं जब लोग आपस में बात करते हैं, तो वो भी उस वार्तालाप का हिस्सा बनने की कोशिश करते हैं। इस दौरान, वो तरह-तरह की आवाजें निकालते हैं और अपने तरीके से बड़बड़ाने लगते हैं। साथ ही अगर उन्हें कुछ पसंद हो, तो इशारों और अपने ही तरीके से उसकी मांग भी करते हैं।
सामाजिक और भावनात्मक विकास
1. हंसना-मुस्कुराना – 4 महीने के शिशु अपने माता-पिता और जो उनके साथ ज्यादा देर तक रहते हैं, उन्हें पहचानने लगते हैं। वो जब भी उन्हें आसपास देखते हैं, तो उन्हें देखकर हंसने, मुस्कुराने और खिलखिलाने लगते हैं। उनके पास जाना चाहते हैं और अपना स्नेह व्यक्त करना चाहते हैं।
2. खेलना पसंद करते हैं – हर रोज अगर किसी एक निर्धारित वक्त पर शिशु को खेलने या घुमाने के लिए ले जाया जाए, तो शिशु इस महीने में अपने खेलने का वक्त समझने लगते हैं। ऐसे में अगर शिशु को उस वक्त खेलने के लिए न ले जाया जाए, तो वो रोने और चिड़चिड़ाने लग सकते हैं। शिशु को खेलना पसंद आने लगता है और अगर ऐसे में उनके साथ खेलना बंद कर दिया जाए, तो वो रोने भी लग सकते हैं। यहां तक कि वो आईने में खुद को देखकर खेलते और हंसते हैं।
3. नकल करना – ऊपर हमने बताया कि 4 महीने के शिशु आवाजों की नकल करने की कोशिश करने लगते हैं, लेकिन इतना ही नहीं वो अन्य व्यक्तियों के चेहरे के हाव-भाव की भी नकल करने लगते हैं। बड़े जैसे हंसते हैं या जैसा अन्य शिशुओं के हाव-भाव होते हैं, वो भी वैसे ही करने लगते हैं।
4 महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगते हैं?
शिशु के सही विकास के लिए उनका स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। शिशु बहुत ही नाजुक होते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बड़ों के मुकाबले कम होती है। इसलिए, शिशुओं को जन्म के बाद हर महीने टीकाकरण कराया जाता है। यहां हम 4 महीने बच्चे को कौन-कौन से टीके लगवाने है उसके बारे में बता रहे हैं।
डीटी डब्ल्यू पी 3
आईपीवी 3
हिब 3
रोटावायरस 3
पीसीवी 3
ओपीवी 1
महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है?
जन्म के बाद शिशु कम दूध का सेवन करता है, क्योंकि उनके पेट का आकार छोटा होता है। वहीं, जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, उसका पेट व पाचन तंत्र भी बढ़ने लगता है। इसलिए, उसके भूख में भी बदलाव होने लगता है।
मां का दूध – यह तो जगजाहिर है कि शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है और जन्म के बाद कम से कम छह महीने तक मां का दूध जरूरी है। 4 महीने का शिशु एक दिन में औसतन 728 एमएल से लेकर 1165 एमएल (750 ग्राम से 1200 ग्राम) तक दूध पी सकता हैं। वह 24 घंटे में 8 से 12 बार मां के दूध का सेवन कर सकता है ।
4 महीने के बच्चे के लिए खेल और गतिविधियां
4 महीने के शिशु काफी फुर्तीले हो जाते हैं। अगर आप उनके साथ कोई गेम खेलेंगे, तो वो उत्साहित हो जाते हैं। नीचे हम आपको बता रहे हैं कि माता-पिता और घर के अन्य सदस्य कैसे 4 महीने के बच्चे के साथ खेल सकते हैं।
अगर आप 4 महीने के शिशु के साथ कोई बात करेंगे, तो वो अपने तरीके से उसकी नकल करने की कोशिश करेंगे। साथ ही अपने तरीके से ही बोलने की कोशिश करेंगे हैं और तरह-तरह की आवाजें भी निकालेंगे। इससे शिशु की संवाद क्रिया में सुधार होगा।
शिशु के सामने रंग-बिरंगी कहानियों की किताब लेकर बैठें और उन्हें न सिर्फ कहानी सुनाएं, बल्कि किताब में तस्वीरें भी दिखाएं।
उन्हें गोद में बिठाकर उनके साथ बातें करें और झूला झुलाएं। ऐसा करने से वो बहुत खुश हो जाते हैं और खिलखिलाने लगते हैं। उनके सामने गाना गाएं। अगर उन्हें सिटी की आवाज पसंद है, तो उनके सामने बजाए।
अपने शिशु को सामने बैठाएं और बुलबुले बनाने वाले खिलौने से बुलबुले बनाएं। इससे बच्चे बहुत खुश हो जाते हैं और कई बार बुलबुलों को छूने की कोशिश भी करते हैं।
उनके पालने में या उनके सामने घूमने वाले खिलौने, बजने वाले खिलौने व छोटे घुंघरू भी बांध सकते हैं। शिशु उसकी आवाज सुनकर प्रतिक्रिया दें और खुश हो जाएंगे।
शिशु को गोद में उठाकर उनके साथ हल्के-फुल्के व्यायाम कर सकते हैं। जैसे शिशु को ऊपर उठाना, फिर नीचे लाना, जैसे आप जिम में लिफ्टिंग करते हैं। ध्यान रहे कि शिशु को ज्यादा ऊपर तक न उठाएं।
उनके साथ मध्यम आकार के हल्की गेंद से खेलें। गेंद उन्हें काफी आकर्षित करेगी और उसे पकड़ने की चाह में उनकी फुर्ती और बढ़ेगी।
4 महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं
शिशु जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उन्हें छोटी-मोटी समस्याएं होना आम बात है। यहां हम आपको 4 महीने के बच्चे की कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बता रहे हैं, जिन पर हर माता-पिता को ध्यान देना चाहिए।
बुखार – मौसम बदलते देर नहीं लगती है और शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उन्हें बुखार होना आम बात है। शिशु बहुत कोमल होते हैं और सामान्य बुखार भी गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए, शिशु को न सिर्फ डॉक्टर के पास ले जाएं, बल्कि हर कुछ घंटे में उसका तापमान भी चेक करते रहें।
सर्दी-जुकाम – शिशु को सर्दी-जुकाम होना सामान्य है, लेकिन अगर हर वक्त शिशु की नाक बह रही है, तो इस पर ध्यान देना जरूरी है। सर्दी-जुकाम की वजह से शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और वो चिड़चिड़े हो सकते हैं। इसके अलावा, अगर लगातार खांसी की समस्या हो, तो न सिर्फ शिशु के सीने में दर्द हो सकता है, बल्कि ब्रोंकाइटिस जैसी सांस संबंधी गंभीर समस्या भी हो सकती है। यहां तक कि उन्हें सोने में भी परेशानी हो सकती है।
दूध न पिए – अगर शिशु मां का दूध या फॉर्मूला दूध पीने से इंकार करे और लगातार रोता रहे, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। ऐसा होना शिशु के शरीर में किसी तरह की तकलीफ का संकेत हो सकता है।
सोने में परेशानी – अगर शिशु सो नहीं रहा हो या रात को सोते-सोते उठ रहा हो, तो इसका मतलब है कि उसे कुछ परेशानी है। इस स्थिति में जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर की राय लें। हो सकता है शिशु के कान में संक्रमण की वजह से दर्द हो रहा हो, पेट में दर्द हो या अन्य कोई परेशानी हो।
शिशु की सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी है
घर की सफाई – ध्यान रहे कि आपके घर का फर्श साफ हो, क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ और जमीन पर कुछ गिरा हुआ हो, तो हो सकता है कि आपका शिशु उसे उठाकर मुंह में डाल ले। बाद में यह शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
डायपर – शिशु के डायपर को हर कुछ देर में चेक करते रहें। अगर डायपर गिला हो, तो उसे तुरंत बदले, क्योंकि गिले डायपर से शिशु को रैशेज या संक्रमण हो सकता है। साथ ही डायपर पहनाने से पहले शिशु के गुप्तांगों को अच्छे से नर्म गीले तौलिये से या बेबी वाइप्स से पोछें और बेबी मॉइस्चराइजर लगाएं।
खिलौनों की सफाई – चार महीने का शिशु खिलौनों से खेलना और उन्हें पकड़ना सीखने लगता है। साथ ही उन्हें मुंह में डालना भी सीखता है। इस स्थिति में खिलौनों का साफ होना बहुत जरूरी है। इसलिए शिशु के खेलने वाले खिलौनों को गर्म पानी से साफ करें, ताकि शिशु को संक्रमण न हो।
मुंह व हाथ-पैरों की सफाई – शिशु को नहलाना जरूरी है, लेकिन अगर आप शिशु को रोज नहीं नहला सकते हैं, तो भीगे तौलिए से शिशु का शरीर जरूर पोछें, ताकि उनके हाथ-पैर साफ रहें। नियमित रूप से उनके नाखून भी काटें, ताकि उनके नाखून की गंदगी उनके मुंह में न जाए। कोमल कपड़े से हल्के-हल्के हाथों से शिशु की जीभ की भी सफाई करें।
शिशु के कपड़ों की सफाई – शिशु जो कपड़े पहनते हैं या जो चादर व कंबल ओढ़ते हैं, उन्हें रोज गर्म पानी और एंटीसेप्टिक लिक्विड से धोएं, ताकि शिशु के कपड़े साफ हों और उन्हें संक्रमण का खतरा न हो।
इन सबके अलावा भी छोटी-छोटी चीजें जैसे – नाक साफ करना, शिशु को छूने से पहले हाथ धोना, उनके गाल पर किस न करना आदि का ध्यान रखना जरूरी है।
माता-पिता बच्चे के विकास में कैसे मदद कर सकते हैं पर सामान्य सुझाव
शिशु का तेजी से विकास हो उसके लिए माता-पिता का योगदान सबसे जरूरी है। यहां हम उसी के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं।
4 महीने का बच्चा चीजों को समझने लगता है और खेलने के लिए उत्साहित रहता है। ऐसे में माता-पिता उनके साथ शिशु के पसंदीदा खिलौने को लेकर खेलें।
शिशु के साथ सामने बैठकर ही लुका-छिपी खेलें, इसमें उन्हें काफी मजा आएगा। जितना हो सके, उनके साथ वक्त बिताएं।
उनके पसंदीदा खिलौने को उनसे थोड़ा दूर रख दें और शिशु को उसे पकड़ने के लिए प्रेरित करें।
उनके सामने गाना गाएं या कविताएं पढ़ें और सोने से पहले लोरी सुनाएं।
उन्हें बाहर घुमाने ले जाएं और दूसरे बच्चों के साथ खेलने दें।
उन्हें रंग-बिरंगी तस्वीरें दिखाएं व कहानियां सुनाएं।
महीने के बच्चे के विकास के बारे में माता-पिता को कब चिंतित होना चाहिए?
अगर आपके शिशु में नीचे दिए गए लक्षण दिखते हैं, तो बिना देर करते हुए डॉक्टर से बात करें।
अगर लोगों को देखकर हंसने या रोने जैसी कोई प्रतिक्रिया न दे।
अगर सिर को सहारा देने के बाद भी संतुलित न रख सके।
अगर चीजों को पकड़ न सके या मुंह तक न ले जा सके।
पैरों से खुद को न धकेल सके या पैरों को ज्यादा न चलाए।
कमरे में किसी के आने के बाद भी न देखे या प्रतिक्रिया न दे।
अगर आवाजों को सुनकर भी प्रतिक्रिया न दे।
दूध न पिए और पूरे दिन चिड़चिड़ा रहे या रोता रहे।
रात को ठीक से न सोए या बेचैन रहे।
पांचवें महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?
पांचवें महीने के बच्चे का विकास तेजी से होता है। इस महीने में बेबी गर्ल का वजन 5.6 से 7.5 किलोग्राम और हाइट करीब 63.7 सेंटीमीटर हो सकती है। वहीं बेबी बॉय का वजन 6.2 से 8.2 किलोग्राम और हाइट करीब 64.7 सेंटीमीटर हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए आप शिशु चिकित्सक से मिल सकते हैं।
5 महीने के बच्चे के विकास के माइलस्टोन क्या हैं?
किसी भी शिशु का विकास उसकी बढ़ती उम्र पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसका विकास बेहतर तरीके से होता है। पांचवें महीने के बच्चे में भी ऐसे बदलाव होते हैं। चलिए, पांचवें महीने के बच्चे के विकास के माइलस्टोन के बारे में जानते हैं।
मस्तिष्क विकास
अधिक उत्सुक और समझदार होना- पांचवें महीने में बच्चा तेजी से चीजों को समझना शुरू कर देता है। वह किसी भी चीज या खिलौने के प्रति अपनी उत्सुकता को व्यक्त करता है। इसके अलावा, वह यह समझने लगता है कि आप ही वह व्यक्ति हैं, जो बार-बार उसके पास आते हैं।
विचलित होना – पांचवें महीने में बच्चे अचानक से आई तेज आवाज या फिर किसी चीज के हलचल से विचलित या फिर सचेत हो सकते हैं। ऐसे में या तो वो डरकर रोने लगते हैं या फिर खुश हो सकते हैं।
रंगों में अंतर करना – इतने माह के शिशु रंगों में अंतर करना या अपने पसंद के रंगों के प्रति आकर्षित होना सीखने लगते हैं, लेकिन पूरी तरह से सक्षम नहीं होते हैं ।
- भाषा में विकास होना – इस उम्र के शिशु में भाषा का विकास नजर आने लगता है। वो खिलौने आदि से ‘प’ और ‘ड’ जैसे शब्दों के जरिए बात करने की कोशिश करते हैं
शारीरिक विकास
- हाथों में नियंत्रण – 5 माह के शिशु अपने हाथों से पैर की उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करते हैं। साथ ही खिलौनों को भी पकड़ने का प्रयास करते हैं।
- टमी टाइम – इस माह में शिशु हाथों पर अपने शिशु को संभालना सीखने लगते हैं। टमी टाइम यानी पेट के बल लेटाने पर वो हाथों के बल पर अपने शरीर को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- गर्दन को संभालना – धीरे-धीरे शिशु अपनी गर्दन को भी संभालना शुरू कर देते हैं। वो हाथों पर नियंत्रण कर आसानी से पलट सकते हैं और अपनी गर्दन को ऊपर भी उठा सकते हैं।
- बठने का प्रयास करना- 5 माह के शिशु का शारीरिक विकास इतना हो जाता है कि वो बैठने का प्रयास करने लगते हैं। इस दौरान वह बिना सहारे के सिर्फ कुछ सेकंड के लिए बैठ सकते हैं ।
- एक दिशा में लुढ़कना – अब पलटी मारना सीख जाते हैं। जब उसे पेट के बल लेटाया जाता है, तो वो पलटी मार सकते है।
- स्वाद का अहसास – पांचवे महीने तक के बच्चों को ब्रेस्ट मिल्क से ही पोषक तत्वों की पूर्ती होती है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, जन्म के बाद से शिशु स्वाद के प्रति सजग हो जाते हैं। वह स्तनपान के दौरान स्वाद का अंतर समझने लगते हैं। साथ ही मां के दूध की गंध को भी अच्छी तरह से पहचान सकते हैं।
- पांच माह के शिशु को सिर्फ स्तनपान कराया जाता है, इसलिए वो उन्हें दूध के अलावा किसी और स्वाद का पता नहीं होता।
सामाजिक और भावनात्मक विकास
- परिचित चेहरों की पहचान – पांचवें महीने में शिशु उन चेहरों को पहचानने लगता है, जो ज्यादातर उसके आसपास रहते हैं (2)।
- माता-पिता के साथ खेलना – शिशु को अपने माता पिता के साथ खेलना अच्छा लगता है। वह अपने हाथ और पैरों को तेजी से चलाते हुए अपनी खुशी को जताते हैं।
- भावनाओं को व्यक्त करना- जब कोई परिचित व्यक्ति उनसे आकर बात करता है, तो वो अपनी भावना को अपने चेहरे के हाव-भाव के जरिए व्यक्त करते हैं। वह अपने हाथों को हिलाकर भी अपनी भावना को व्यक्त करते हैं।
5 महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगते हैं?
बच्चे के विकास में टीकाकरण ऐसी सीढ़ी है, जिसके जरिए उनका विकास बेहतर तरीके से होता है। बच्चों को टीकाकरण कब करवाना है इसके लिए आप आईएपी (इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स) के द्वारा बनाई गई हैं।
पांचवें महीने में शिशु को कोई विशेष टीका नहीं लगाया जाता है, लेकिन अगर चौथे महीने में डीटी डब्ल्यू पी 3, आईपीवी 3, हिब 3, रोटावायरस 3 व पीसीवी 3 टीके किसी कारणवश नहीं लगे हैं, तो उन्हें आप पांचवें महीने में भी लगाया जा सकता है।
टीकाकरण के बाद आइए अब जानते हैं कि 5 महीने के बच्चे के लिए कितना दूध जरूरी होता है।
पांच महीने के बच्चे के विकास में दूध का अहम योगदान है। इतने छोटे शिशु को सिर्फ मां का दूध दिया जाता है, जिसके जरिए उसे जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। इतने माह का शिशु कितना दूध पी सकता है, यहां हम उसी बारे में बता रहे हैं।
- स्तनपान – शिशु के लिए मां के दूध से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। शुरू के छह महीने शिशु को सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। 5 महीने का शिशु एक दिन में 828 मिलीलीटर से 946.35 मिलीलीटर तक दूध पी सकता हैं। वह 24 घंटे में 4 से 6 बार मां के दूध का सेवन कर सकता है।
5 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?
किसी भी शिशु के सम्पूर्ण विकास के लिए उसे पर्याप्त नींद मिलना जरूरी है। 5 महीने का बच्चा 24 घंटे में से 12-16 घंटे सो सकता है।
5 महीने के बच्चे के लिए खेल और गतिविधियां
- बबल खेल – इसमें हम साबुन के पानी का इस्तेमाल करके बबल्स बनाते हैं। ऐसे गेम 5 महीने के बच्चे को बहुत पसंद आते हैं और वो अपनी गर्दन उठाकर इन बबल्स को देखने की कोशिश करते हैं।
- कहानी सुनाना – इस उम्र के शिशु आवाज सुनकर उसकी तरफ देखने और आवाज को पहचानने का प्रयास करते हैं। इसलिए, अगर आप कोई कहानी अपने बच्चे के सामने पढ़ते हैं, तो वो निश्चित तौर पर ध्यान देंगे। हां, वो कहानी को समझने में असमर्थ जरूर होते हैं, लेकिन कहानी सुनते-सुनते सो जरूर सकते हैं।
- आवाज वाले खिलौने – अपने बच्चे को खुश करने के लिए आप विभिन्न प्रकार के आवाज करने वाले खिलौने आदि का प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उस खिलौने से निकलने वाली आवाज आपके बच्चे के कान को नुकसान न पहुंचाए।
- खिलौनों को ढूंढना – आप शिशु के पसंदीदा खिलौने को उसी के सामने छुपा दें। वह खुद ही उसे ढूंढने का प्रयास करेगा। फिर जब आप अचानक उसके सामने खिलौने को लेकर आएंगे, तो वह खुश हो जाएगा।
- फ्लोर खेल – इतने छोटे शिशु के लिए खास मैट आता है, जिसके ऊपर खिलौने लगे होते हैं। जब शिशु को इस पर लेटाया जाता है, तो वह खिलौनों को पकड़ने के लिए तेजी से हाथ-पांव चलाता है।
- सिट-अप – इसमें शिशु को बैठने की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वह खुद से बैठना सीख सके। इसके लिए माता-पिता बेबी को उसके हाथ के सहारे बैठाने की कोशिश करते हैं।
महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं
- कंजक्टिवाइटिस – यह समस्या पैपांच महीने के बच्चों की आंखों में होने वाली समस्या है, जिसमें बच्चे की आंख में गुलाबीपन आ जाता है। यह समस्या वायरस, बैक्टीरिया और एलर्जी की वजह से होती है। इस अवस्था में तुरंत शिशु चिकित्सक से सलाह लें।
- उल्टी – पांचवें महीने के शिशु में उल्टी की समस्या हो सकती है। यह समस्या साधारण गैस्ट्रोइन्फेक्शन की वजह से भी हो सकती है या कभी-कभी चलते-फिरते वाहन में बैठने की वजह से भी बच्चे को उल्टी हो सकती है। अगर उल्टी लगातार हो रही है, तो शिशु चिकित्सक से तुरंत सलाह लें।
- मसूड़ों में सूजन – पांच महीने के बच्चे के मसूड़ों में खुजली होती है, जिस कारण वो कुछ भी मुंह में डालकर चबाने लगते हैं। इससे उनके मसूड़े में चोट लग सकती है। वहीं, कुछ शिशुओं को पहला दांत निकलने के कारण भी मसूड़े में सूजन आ सकती है और दर्द हो सकता है।
इस महीने के लिए चेकलिस्ट
- पांचवे महीने में बच्चा पेट के सहारे क्रॉल (घिसटने/आगे बढ़ने की कोशिश) करने की कोशिश करते रहते हैं, इस समय उनका ख्याल रखें।
- इस समय बच्चे 12-16 घंटे सोते हैं, उनकी नींद पूरी हो सके इसके लिए उनके पास शोर न होने दें।
- बच्चे की आंख में गुलाबीपन की समस्या और खुजली हो सकती है, ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लें।
- इस दौरान बच्चे को दूध पिलाने के समय का खास ख्याल रखें और उसे 24 घंटे में जरुरी फीडिंग देते रहें।
- रूटीन चेक-अप के लिए डॉक्टर के पास अवश्य जाएं।
6 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?
पहले कुछ महीनों की तुलना में 6 महीने के बच्चे के वजन और हाइट में काफी बदलाव होते हैं। छठे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन लगभग 5.6 से लेकर 7.5 किलो तक और लंबाई करीब 65.7 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन लगभग 6.2 किलो से लेकर 8.2 किलो तक हो सकता है और लंबाई लगभग 67.6 सेंटीमीटर तक हो सकती है
मानसिक विकास
- चीजों को मुंह में लेना – छठे महीने में शिशु सामने पड़ी चीजों को मुंह में लेना सीखने लगते हैं। इसलिए, इस दौरान माता-पिता को थोड़ा ज्यादा सावधान रहना चाहिए और शिशु पर हर वक्त ध्यान रखना चाहिए, ताकि वो नीचे पड़ी चीजों को या खिलौनों को मुंह में न ले सकें।
- आवाजों की नकल करना – जब शिशु 6 महीने का हो जाता है, तो वह अक्सर आवाजों को सुनकर उसकी नकल उतारने की कोशिश करने लगता है। कई बार तो वह अपने आस-पास लोगों को देखकर भी उनकी नकल उतारने की कोशिश करता है।
- नाम सुनकर प्रतिक्रिया देना – 6 महीने के बच्चे अपने नाम को भी समझने और पहचानने लगते हैं। जब कोई उन्हें उनके नाम से पुकारता है, तो वो प्रतिक्रिया देते हैं।
- चीजों को लेकर उत्सुक होना – इस उम्र में शिशु चीजों को लेकर ज्यादा जिज्ञासु होने लगते हैं। उनके सामने अगर कुछ रखा हो, तो वो उन्हें छूने और पकड़ने की कोशिश करते हैं। साथ ही आस-पास रखी चीजों को देखने लगते हैं।
- आवाजें निकालने लगते हैं – 6 महीने के शिशु तरह-तरह की ध्वनियां निकालने लगते हैं, साथ ही मां, डाडा, बाबा जैसे शब्द बोलने की कोशिश करने लगते हैं। इतना ही नहीं आइने में देखकर या खिलौनों की आवाज सुनकर या उनके साथ खेलते हुए वो अपनी भाषा में गाने की भी कोशिश करते हैं या तरह-तरह की आवाजें निकालने लगते हैं। यहां तक कि खुद की आवाज सुनकर भी खुश हो जाते हैं। छह माह के शिशु अपनी खुशी और दुख को प्रकट करने के लिए भी आवाजें निकालते हैं। वो रोने या चिल्लाने लगते हैं, ताकि लोगों का ध्यान उनकी तरफ आकर्षित हो।
- चीजों को पकड़ना और लोगों को देना – इस उम्र में शिशु न सिर्फ चीजों को पकड़ना सीखने लगते हैं, बल्कि अगर उनके हाथ में पकड़ी हुई चीज को मांगा जाए, तो वो देना भी सीखने लगते हैं। इतना ही नहीं, अगर उनके हाथ में पकड़ी हुई चीज गिर जाए, तो उन्हें पता होता है कि उसे उठाना भी है।
शारीरिक विकास
- रंगों में फर्क करना – 6 महीने में शिशु की आंखों में भी बदलाव होने लगता है यानी उनकी दृष्टि तेज होने लगती है। वो दो रंगों के बीच अंतर समझने लगते हैं और उनके सामने अगर कोई रंग-बिरंगी किताब या खिलौने हों, तो वो लगातार कई देर तक उनको देखना पसंद करते हैं ।
- आंखों और हाथ के बीच तालमेल – छठे महीने में शिशु के आंख और हाथ का तालमेल बैठने लगता है। वो जिन चीजों को देखते हैं, उन्हें पकड़ने की भी कोशिश करते हैं, भले ही वो वस्तु न हिले ।
- सभी उंगलियों के साथ वस्तुओं को पकड़ना – छठे महीने में शिशु छोटी वस्तुओं को अपनी सारी उंगलियों के साथ पकड़ना सीख जाते हैं। अगर आपका शिशु फॉर्मूला दूध पीता है, तो आप गौर करेंगे कि आपका शिशु धीरे-धीरे बोतल पकड़ना शुरू कर देता है।
- बिना सहारे के बैठना – 6 महीने में शिशु की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होने लगती है और वो बिना किसी सहारे के बैठना सीखने लगते हैं। यहां तक कि वो सिर को सीधा करना भी सीखने लगते हैं और जब वो पेट के बल लेटते हैं या किसी के गोद में जाते हैं, तो सिर को सीधा रखने की कोशिश करने लगते हैं और गर्दन को इधर-उधर घुमाकर आस-पास की चीजों को भी देखने लगते हैं ।
- दांत आना – छठे महीने में शिशु को दांत आने शुरू हो जाते हैं, इसी कारण उनके मसूड़ों में सिहरन होनी शुरू होती है और वो चीजों को काटना भी शुरू करने लगते हैं।
- हल्के-फुल्के ठोस आहार के लिए तैयार – जैसा कि हमने ऊपर बताया कि छठे महीने में शिशु को दांत आने लगते हैं, लेकिन इसी के साथ उसकी पाचन शक्ति भी पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूत हो जाती है। इसलिए, शिशु को मां के दूध के साथ-साथ ठोस आहार देने की भी जरूरत होती है। ऐसे में जब कोई उनके सामने कुछ खाता है, तो वो भी खाने के लिए उत्सुकता दिखाने लगते हैं
सामाजिक और भावनात्मक विकास
- परिचित लोगों के पास और अजनबी से दूरी – 6 महीने के बच्चे अपने आस-पास रहने वाले लोगों को पहचानने लगते हैं। अपने माता-पिता और घर के अन्य सदस्यों को दूर से ही पहचानने लगते हैं, लेकिन वहीं किसी अनजान व्यक्ति को देखकर घबरा जाते हैं। उन्हें देखकर डर जाते हैं और रोने लगते हैं।
- माता-पिता के साथ खेलना – शिशु माता-पिता के साथ खेलना और वक्त बिताना पसंद करने लगते हैं। कई बच्चे तो अगर पूरे दिन के बाद अपने पिता को देखते हैं, तो खिलखिलाकर खेलने के लिए इशारा भी करते हैं।
- दूसरों के भाव पर प्रतिक्रिया देना – 6 महीने के बच्चे दूसरों के हाव-भाव पर भी प्रतिक्रिया देना सीखने लगते हैं। अगर उनके सामने कोई खुश है, तो वो भी अपने हाव-भाव से खुशी व्यक्त करेंगे, लेकिन अगर कोई दुखी है खासकर वो जिन्हें वो पहचानते हैं, तो वो भी दुखी हो जाते हैं और रोने लगते हैं। अगर उनके पास बैठा कोई बच्चा रो रहा हो, तो वो भी रोना शुरू कर सकते हैं।
महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगने चाहिए?
अगर छठे महीने में बच्चे की देखभाल की बात करें, तो इसमें शिशु का टीकाकरण होना जरूरी है। 6 महीने के शिशु का विकास सही से हो, उसके लिए उन्हें सही वक्त पर सही टीकाकरण कराना बहुत ही आवश्यक है, ताकि बीमारियों से उनका बचाव हो सके। इसलिए, नीचे हम आपको 6 महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगवाने चाहिए, उसके बारे में बता रहे हैं।
- ओपीवी 1
- हेप-बी 3
महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है?
शिशु जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसकी भूख और खाने-पीने की आदतें भी बदलने लगती हैं। 6 महीने के बच्चे की भी दूध पीने की आदतों में बदलाव होने लगता है। इसलिए, नीचे हम आपको 6 महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है, उस बारे में जानकारी दे रहे हैं।
मां का दूध – यह तो लगभग सभी जानते हैं कि 6 महीने तक शिशु के लिए मां का दूध ही जरूरी होता है, लेकिन छठे महीने में शिशु को हल्के-फुल्के ठोस आहार भी देना जरूरी होता है। इस दौरान, शिशु को औसतन 769 मिली (769 g/day) प्रतिदिन मां के दूध की जरूरत होती है। कुछ शिशु इससे ज्यादा या कम दूध भी पी सकते हैं। यह पूरी तरह से उसकी भूख व गतिविधियों पर निर्भर करता है।
6 महीने के बच्चे के लिए कितना खाना आवश्यक है?
6 महीने का बच्चा धीरे-धीरे ठोस आहार के प्रति अपनी जिज्ञासा व्यक्त करने लगता है। साथ ही उसका पाचन तंत्र इतना विकसित हो जाता है कि ठोस आहार को हजम कर सके। ऐसे में 6 महीने में शिशु को मां के दूध के साथ-साथ सॉलिड फूड भी दिया जा सकता हैं। ठोस आहार निम्न प्रकार से हो सकता है :
- अनाज : पूरे दिन में 4 से 8 चम्मच या कभी-कभी उससे ज्यादा भी दे सकते हैं।
- सब्जियों की प्यूरी – 4 से 8 चम्मच
- फलों की प्यूरी – 4 से 8 चम्मच
- प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ – 1 से 6 चम्मच
- पानी – आधे से एक कप या 125ml से 250ml तक दे सकते हैं।
नोट : ये सब देने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
6 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?
भले ही शिशु जन्म के बाद कई घंटे सोता हो, लेकिन धीरे-धीरे विकास होने के साथ-साथ उसकी नींद की आदतों में भी बदलाव होने लगता है। जब शिशु 6 महीने का होता है, तो उसकी नींद की अवधि पहले की तुलना में कम या ज्यादा होने लगती है। 6 महीने के शिशु को रात में 6 से 8 घंटे तक की नींद की जरूरत होती है। इसके अलावा, वह पूरे दिन में एक-दो बार कुछ-कुछ घंटों की झपकी ले सकता है। यह पूरी तरह से शिशु की आदतों व गतिविधियों पर निर्भर करता है।
लेख के आगे के भाग में हम इसी बारे में आपको बताएंगे।
6 महीने के बच्चे के लिए खेल और गतिविधियां
6 महीने का बच्चा काफी फुर्तीला हो जाता है और खेलने व अन्य गतिविधियों में ज्यादा दिलचस्पी दिखाने लगता है। इसलिए, नीचे हम आपको 6 महीने की उम्र में बच्चे की गतिविधियों के बारे जानकारी दे रहे हैं।
- जब शिशु 6 महीने का हो जाता है, तो वो लोगों को देखकर उनकी नकल करना सीखने लगता है। अगर उसके सामने कोई ताली बजाए, तो वो ताली बजाने की कोशिश करता है। अगर वह कोई गाना सुनता है, तो खुशी से ताली बजाने लगता है।
- 6 महीने के बच्चे अपने माता-पिता और हमेशा साथ रहने वाले लोगों को पहचानने लगते हैं। इस स्थिति में उनके साथ आप लुका-छिपी भी खेल सकते हैं। लुका-छिपी से हमारा मतलब यह है कि आप अपने चेहरे को कपड़े से ढक लें और शिशु के सामने छुपने का नाटक करें। ऐसे में शिशु आपके चेहरे से कपड़ा हटाने की कोशिश करेंगे और खिलखिलाकर खेल का आनंद लेंगे।
- छठे महीने में शिशु रंगों में अंतर समझने लगते हैं। ऐसे में आप उनके सामने रंग-बिरंगी कार्टून वाली किताबें रखें और उन्हें कहानियां भी सुनाएं।
- उनके सामने चलने वाले खिलौने व गेंद रखें और उन्हें पकड़ने के लिए प्रेरित करें।
- शिशु को गाने सुनना भी अच्छा लगने लगता है। ऐसे में आप उनके सामने गाना चला सकते हैं। कई बार तो शिशु खुश होकर बैठे-बैठे ही उछलने लगते हैं।
- आप शिशु को आईने के सामने ले जाकर भी उन्हें खेलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। शिशु आईने में अपने प्रतिबिंब को देखकर खुश हो जाते हैं और खेलते-खेलते कई तरह की आवाजें भी निकालने लगते हैं।
- शिशु के साथ बात करें, इससे वो खुश होकर अपने तरीके से आप से बात करने का प्रयास करेंगे।
- उनके सामने कुछ बर्तन या डिब्बे रख दें और उनके हाथ में प्लास्टिक का कोई डंडा थमा दें। ऐसा करने से वो उन डिब्बों और बर्तनों पर मारने लगेंगे और उससे निकलने वाली ढप-ढप की आवाज से उत्साहित भी होंगे।
6 महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं
6 महीने का बच्चा कई सारी चीजें करने लगता है जैसे – खेलना, ठोस आहार का सेवन करना, उछलना आदि। ऐसे में कई बार उन्हें कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी होने लगती हैं। यहां हम 6 महीने के बच्चों की कुछ ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बता रहे हैं, जिन पर माता-पिता को समय रहते ध्यान देना चाहिए।
बुखार – कभी-कभी मौसम में बदलाव के कारण शिशु के शरीर के तापमान में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। आप थर्मामीटर से शिशु का तापमान चेक करते रहें। अगर शिशु के शरीर का तापमान नॉर्मल से ज्यादा है, तो समझिए उसे बुखार है और आप डॉक्टर से संपर्क करें।
डायरिया – छठे महीने में शिशु जो भी देखता है, उसे मुंह में लेने लगता है। इस स्थिति में कई बार शिशु को एलर्जी या संक्रमण के कारण दस्त और उल्टी की समस्या हो सकती है। ऐसे में अगर शिशु को बार-बार उल्टी या पेट खराब की परेशानी हो रही है, तो बिना देर करते हुए उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।
कान में दर्द – कई बार शिशु के कान में गंदगी जम जाने से या पानी चले जाने से कान में संक्रमण की समस्या हो सकती है। ऐसे में शिशु असहज या रोने लग सकता है। अगर ऐसा होता है, तो समझ जाएं कि आपको बच्चे को डॉक्टर से चेकअप कराने की जरूरत है।
लगातार रोना – अगर आपका बच्चा कुछ खा नहीं रहा, दूध नहीं पी रहा, ठीक से सो नहीं रहा है और लगातार रो रहा है, तो समझ जाए कि उसे कुछ शारीरिक तकलीफ है। उसे पेट दर्द, शरीर में दर्द या अन्य कोई परेशानी हो सकती है।
लेख के इस भाग में जानिए 6 महीने के बच्चे से जुड़ी कुछ अन्य जानकारियां।
इस महीने के लिए चेकलिस्ट
छठे महीने के शिशु के लिए माता-पिता को एक चेकलिस्ट तैयार रखनी चाहिए, ताकि उन्हें शिशु के बेहतर विकास का पता चले।
- शिशु को जरूरी वैक्सीन दिलवाना और नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप कराना।
- शिशु को ठोस आहार देने के लिए डॉक्टर से सलाह-परामर्श करके डाइट चार्ट बनाना।
- पानी कितनी मात्रा में देना है, इस बारे में डॉक्टर से पूछना।
- 6 महीने के हिसाब से पर्याप्त खिलौने रखना।
- शिशु के कपड़े, डायपर और साफ-सफाई का ध्यान रखना।
आप E-mail के द्वारा भी अपना सुझाव दे सकते हैं।
prakashgoswami03@gmail.com
http://Goswamispecial.blogspot.com
My channel -
https://youtu.be/7FZQJo_oJMc
Like, Subscribe Goswami Channel-
https://youtu.be/5Yy8qiRFyfs
https://youtu.be/KgfIuA6T5AE
https://youtu.be/vymy2E4x8zg
https://youtu.be/KgfIuA6T5AE
https://mobile.twitter.com/Prakash41827790