उत्तराखंड राज्य सोमवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल के साथ यूसीसी को लॉन्च किया, जो भारत के कानूनी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। Uniform Civil Code : समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद राज्य में आदिवासी समुदाय को छोड़कर बाकी सभी व्यक्तियों के लिए नागरिक कानून एक समान हो गए हैं. इस कानून के तहत लैंगिक समानता पर विशेष जोर दिया गया है. शादी, तलाक, उत्तराधिकार, और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों में अब सभी पर एक समान नियम लागू होंगे. बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड दुनिया के कई देश में पहले से लागू है. जिनमें अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र जैसे देश शामिल हैं. हालांकि कई इस्लामिक देशों में शरिया कानून और कई यूरोपीय देशों में धर्मनिरपेक्ष कानून को फॉलो किया जाता है. यूसीसी का उद्देश्य व्यक्तिगत कानूनों को सरल और सभी नागरिकों के लिए समान बनाना है। इसके तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति से जुड़े कानूनों को एक समान रूप दिया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने संविधान के अनुच्छेद 44 का हवाला देते हुए कहा कि यह देशभर में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। क्या होती है समान नागरिक संहिता(UCC), जानें
समान नागरिक संहिता (UCC) को हमारे संविधान में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 44 के तहत परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि इसका अर्थ है एक देश एक नियम। आइए समान नागरिक संहिता और इसके फायदे और नुकसान के बारे में और जानें। समान नागरिक संहिता: समान नागरिक संहिता धर्म की परवाह किए बिना सभी नागरिकों के व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने के लिए कानूनों का एक सेट रखती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हैं।
यूसीसी फुल फॉर्म
यूसीसी का मतलब समान नागरिक संहिता है।
समान नागरिक संहिता का अर्थ
समान नागरिक संहिता कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करती है, जो भारत के सभी नागरिकों पर विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार के संबंध में लागू होती है। ये कानून भारत के नागरिकों पर धर्म और लिंग रुझान के बावजूद लागू होते हैं। क्या आप जानते हैं:
गोवा में एक समान पारिवारिक कानून है, इस प्रकार यह एकमात्र भारतीय राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता है और 1954 का विशेष विवाह अधिनियम किसी भी नागरिक को किसी विशेष धार्मिक व्यक्तिगत कानून के दायरे से बाहर शादी करने की अनुमति देता है।
समान नागरिक संहिता(UCC)
समान नागरिक संहिता (UCC) को हमारे संविधान में राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 44 के तहत परिभाषित किया गया है। इसमें कहा गया है कि पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि इसका अर्थ है एक देश एक नियम। आइए समान नागरिक संहिता और इसके फायदे और नुकसान के बारे में और जानें।
समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता: समान नागरिक संहिता धर्म की परवाह किए बिना सभी नागरिकों के व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने के लिए कानूनों का एक सेट रखती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हैं।
यूसीसी फुल फॉर्म
यूसीसी का मतलब समान नागरिक संहिता है।
समान नागरिक संहिता का अर्थ
समान नागरिक संहिता कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करती है, जो भारत के सभी नागरिकों पर विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार के संबंध में लागू होती है। ये कानून भारत के नागरिकों पर धर्म और लिंग रुझान के बावजूद लागू होते हैं।
क्या आप जानते हैं:
गोवा में एक समान पारिवारिक कानून है, इस प्रकार यह एकमात्र भारतीय राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता है और 1954 का विशेष विवाह अधिनियम किसी भी नागरिक को किसी विशेष धार्मिक व्यक्तिगत कानून के दायरे से बाहर शादी करने की अनुमति देता है।
समान कानूनों की उत्पत्ति
ब्रिटिश सरकार ने 1840 में लेक्स लोकी की रिपोर्ट के आधार पर अपराधों, सबूतों और अनुबंधों के लिए एक समान कानून बनाए थे, लेकिन हिंदुओं और मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को उन्होंने जानबूझकर कहीं छोड़ दिया था।
दूसरी ओर ब्रिटिश भारत न्यायपालिका ने ब्रिटिश न्यायाधीशों द्वारा हिंदू, मुस्लिम और अंग्रेजी कानून को लागू करने का प्रावधान किया। साथ ही उन दिनों सुधारक महिलाओं द्वारा मूलतः धार्मिक रीति-रिवाजों जैसे सती आदि के तहत किये जाने वाले भेदभाव के विरुद्ध कानून बनाने के लिए आवाज उठा रहे थे।
संविधान सभा की स्थापना की गई थी, जिसमें दोनों प्रकार के सदस्य शामिल थे: वे जो समान नागरिक संहिता को अपनाकर समाज में सुधार चाहते थे जैसे डॉ. बी. आर अम्बेडकर और अन्य मुस्लिम प्रतिनिधि थे, जिन्होंने व्यक्तिगत कानूनों को कायम रखा।
साथ ही समान नागरिक संहिता के समर्थकों का संविधान सभा में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा विरोध किया गया था। परिणामस्वरूप, डीपीएसपी (राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत) के भाग IV में अनुच्छेद 44 के तहत संविधान में केवल एक पंक्ति जोड़ी गई है।
*प्रकाश गोस्वामी-स्पेशल एजुकेटर*
**प्रदेश सचिव* :- नासेर्प, उत्तराखंड.
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**सलाहकार* :- विशेष शिक्षक प्रशिकक्षु एसोसिएशन उत्तराखण्ड.
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**कुमाऊँ संयोजक* :- हेल्प फाउंडेशन उत्तराखंड.
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**ब्लॉक प्रभारी* :- देवभूमि जनसेवा संस्था बागेश्वर उत्तराखंड.
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**जिला मीडिया प्रभारी* :- ओबीसी मोर्चा बागेश्वर, भारतीय जनता पार्टी जनपद बागेश्वर.
🪀📞9690663544 / 7253994805